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| {[[हरिद्वार]] से 2 मील दूर, [[गंगा नदी]] और नीलधारा के संगम पर स्थित [[तीर्थ]] का नाम क्या है?
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| -[[अनूपक]]
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| -[[काम्यकवन]]
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| -[[बैराट]]
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| +[[कनखल]]
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| ||[[चित्र:Garwhal-Gangotri-Waterfall.jpg|right|100px|गंगोत्री झरना, गढ़्वाल]][[कनखल]] [[हरिद्वार]] के निकट अति प्राचीन स्थान है। [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार [[दक्ष]] प्रजापति ने अपनी राजधानी कनखल में ही वह [[यज्ञ]] किया था, जिसमें अपने पति भगवान [[शिव]] का अपमान सहन न करने के कारण दक्षकन्या [[सती]] जलकर भस्म हो गई थी। कनखल में दक्ष का मंदिर तथा यज्ञ स्थान आज भी बने हैं। [[मेघदूत]] में [[कालिदास]] ने कनखल का उल्लेख मेध की अलका-यात्रा के प्रसंग में किया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कनखल]]
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| {[[शकुंतला]] के पोषक [[पिता]] का नाम क्या था?
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| +[[कण्व ऋषि|कण्व]]
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| -[[भृगु]]
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| -[[कर्दम ऋषि|कर्दम]]
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| -[[गौतम ऋषि|गौतम]]
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| ||देवी [[शकुंतला]] के धर्मपिता के रूप में महर्षि [[कण्व ऋषि|कण्व]] की अत्यन्त प्रसिद्धि है। महाकवि [[कालिदास]] ने अपने '[[अभिज्ञानशाकुन्तलम]]' में महर्षि के तपोवन, उनके आश्रम-प्रदेश तथा उनका जो धर्माचारपरायण उज्ज्वल एवं उदात्त चरित प्रस्तुत किया है, वह अन्यत्र उपलब्ध नहीं होता। उनके मुख से एक भारतीय कथा के लिये [[विवाह]] के समय जो शिक्षा निकली है, वह उत्तम गृहिणी का आदर्श बन गयी। [[वेद]] में ये बातें तो वर्णित नहीं हैं, पर इनके उत्तम ज्ञान, तपस्या, मन्त्रज्ञान, अध्यात्मशक्ति आदि का आभास प्राप्त होता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कण्व ऋषि|कण्व]]
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| {[[युधिष्ठिर]] के लिए सभा-भवन का निर्माण किसने किया था?
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| -[[गन्धर्व|गन्धर्वों]] ने
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| +मय दानव ने
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| -[[अश्विनीकुमार|अश्विनीकुमारों]] ने
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| -लोकपालों ने
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| ||[[चित्र:Krishna-Arjuna.jpg|right|100px|अर्जुन तथा श्रीकृष्ण]][[युधिष्ठिर]] के लिए एक सुन्दर व आलौकिक सभा-भवन का निर्माण मय दानव द्वारा किया गया था। शुभ मुहूर्त में सभा-भवन की नींव डाली गई थी। धीरे-धीरे सभा-भवन बनकर तैयार हो गया, जो स्फटिक शिलाओं से बना हुआ था। यह भवन शीशमहल-सा चमक रहा था। इसी भवन में महाराज युधिष्ठिर राजसिंहासन पर आसीन हुए। कुछ समय बाद महर्षि [[नारद]] सभा-भवन में पधारे। उन्होंने युधिष्ठिर को '[[राजसूय यज्ञ]]' करने की सलाह दी। युधिष्ठिर ने [[कृष्ण]] को बुलवाया तथा 'राजसूय यज्ञ' के बारे में पूछा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सभा पर्व महाभारत|सभा पर्व]]
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| {[[वन पर्व महाभारत|महाभारत वन पर्व]] के अंतर्गत कितने अध्याय हैं?
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| +315
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| -316
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| -321
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| -311
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| {[[भीम]] द्वारा मारा गया 'अश्वत्थामा' नाम का [[हाथी]] किस राजा का था?
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| -[[विराट]]
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| +इन्द्रवर्मा
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| -[[प्रद्युम्न]]
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| -[[अभिमन्यु]]
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| ||[[चित्र:Tusker-Elephant.jpg|right|100px|हाथी]]गुरु [[द्रोणाचार्य]] ने महाभयंकर युद्ध का श्रीगणेश किया। जो रथी सामने आता, वही मारा जाता। [[श्रीकृष्ण]] ने [[पांडव|पांडवों]] को समझा-बुझाकर तैयार कर लिया कि वे द्रोण तक [[अश्वत्थामा]] की मृत्यु का समाचार पहुंचा दें, जिससे कि युद्ध में द्रोण की रुचि समाप्त हो जाय। भीम ने [[मालव]] नरेश इन्द्रवर्मा के 'अश्वत्थामा' नामक [[हाथी]] का वध कर दिया। फिर [[भीम]] ने द्रोण को 'अश्वत्थामा मारा गया' समाचार दिया। द्रोण ने उस पर विश्वास न कर [[युधिष्ठिर]] से समाचार की सच्चाई जाननी चाही। युधिष्ठिर अपनी सत्यप्रियता के लिए विख्यात थे। श्रीकृष्ण के अनुरोध पर उन्होंने ज़ोर से कहा- "अश्वत्थामा मारा गया है।"{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भीम]]
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| {यह ज्ञात हो जाने पर कि [[कर्ण]] [[पाण्डव|पाण्डवों]] का भाई था, [[युधिष्ठिर]] ने किसे शाप दिया? | | {यह ज्ञात हो जाने पर कि [[कर्ण]] [[पाण्डव|पाण्डवों]] का भाई था, [[युधिष्ठिर]] ने किसे शाप दिया? |
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| -[[जन्मेजय]] | | -[[जन्मेजय]] |
| ||[[चित्र:Krishna-Arjuna.jpg|right|100px|श्रीकृष्ण तथा अर्जुन]][[श्रीकृष्ण]] की कई रानियाँ थीं। इनमें से कई रानियों को तो उनके माता-पिता ने [[विवाह]] में प्रदान किया था और शेष को कृष्ण विजय में प्राप्त कर लाये थे। सतांन-पुराणों से ज्ञात होता है कि कृष्ण के संतानों की संख्या बड़ी थी। [[रुक्मणी]] से दस पुत्र और एक कन्या थी। इनमें सबसे बड़ा [[प्रद्युम्न]] था। [[भागवत]] आदि [[पुराण|पुराणों]] में कृष्ण के गृहस्थ-जीवन तथा उनकी दैनिक चर्या का हाल विस्तार से मिलता है। प्रद्युम्न के पुत्र [[अनिरुद्ध]] का विवाह '[[शोणितपुर]]' के राजा [[बाणासुर]] की पुत्री [[ऊषा]] के साथ हुआ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[प्रद्युम्न]] | | ||[[चित्र:Krishna-Arjuna.jpg|right|100px|श्रीकृष्ण तथा अर्जुन]][[श्रीकृष्ण]] की कई रानियाँ थीं। इनमें से कई रानियों को तो उनके माता-पिता ने [[विवाह]] में प्रदान किया था और शेष को कृष्ण विजय में प्राप्त कर लाये थे। सतांन-पुराणों से ज्ञात होता है कि कृष्ण के संतानों की संख्या बड़ी थी। [[रुक्मणी]] से दस पुत्र और एक कन्या थी। इनमें सबसे बड़ा [[प्रद्युम्न]] था। [[भागवत]] आदि [[पुराण|पुराणों]] में कृष्ण के गृहस्थ-जीवन तथा उनकी दैनिक चर्या का हाल विस्तार से मिलता है। प्रद्युम्न के पुत्र [[अनिरुद्ध]] का विवाह '[[शोणितपुर]]' के राजा [[बाणासुर]] की पुत्री [[ऊषा]] के साथ हुआ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[प्रद्युम्न]] |
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