"प्रयोग:कविता बघेल 9": अवतरणों में अंतर
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||उपर्युक्त प्रश्न की व्याख्या देखें। | ||उपर्युक्त प्रश्न की व्याख्या देखें। | ||
{लॉक के अनुसार लोगों ने समझौता | {लॉक के अनुसार लोगों ने समझौता किस कारण किया था?(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-18,प्रश्न-11 | ||
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+उनके अधिकारों की रक्षा हो सके | +उनके अधिकारों की रक्षा हो सके | ||
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-गृह युद्धों का अंत हो सके | -गृह युद्धों का अंत हो सके | ||
-शासकीय चर्च की स्थापना हो सके | -शासकीय चर्च की स्थापना हो सके | ||
||लॉक के अनुसार लोगों ने समझौता इसलिए किया था | ||लॉक के अनुसार लोगों ने समझौता इसलिए किया था ताकि उनके अधिकारों की रक्षा हो सके। लॉक समझौता सिद्धांत में अपनी बाधाओं से संबंधित कुछ अधिकार व्यक्तियों ने समाज को इसलिए अर्पित कर दिए ताकि उसकी सामूहिक संतुलित बुद्धि से असुविधा, में बदल जाए। इस समझौता का उद्देश्य जीवन, स्वतंत्रता और संपत्ति की आंतरिक तथा वाह्य संकटों से रक्षा करना था। | ||
{न्याय का अर्थ है | {निम्न में से न्याय का क्या अर्थ है?(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-27,प्रश्न-1 | ||
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+कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता | +कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है। | ||
-भेदभाव किया जा सकता | -भेदभाव किया जा सकता है। | ||
-राजा की बुद्धि के अनुसार भेदभाव किया जा सकता | -राजा की बुद्धि के अनुसार भेदभाव किया जा सकता है। | ||
-बहुमत के अनुसार भेदभाव किया जा सकता | -बहुमत के अनुसार भेदभाव किया जा सकता है। | ||
||सभी प्रकार के भेदभाव का अभाव ही न्याय है। ऑगस्टाइन के अनुसार, "न्याय एक व्यवस्थित और अनुशासित जीवन व्यतीत करने तथा उन कर्त्तव्यों का पालन करने में है जिनकी कि व्यवस्था मांग करती है।" वे आगे कहते हैं कि "जिन राज्यों में न्याय नहीं रह जाता वे डाकुओं के झुंड मात्र कहे जा सकते हैं। | ||सभी प्रकार के भेदभाव का अभाव ही न्याय है। ऑगस्टाइन के अनुसार, "न्याय एक व्यवस्थित और अनुशासित जीवन व्यतीत करने तथा उन कर्त्तव्यों का पालन करने में है जिनकी कि व्यवस्था मांग करती है।" वे आगे कहते हैं कि "जिन [[राज्य|राज्यों]] में न्याय नहीं रह जाता वे डाकुओं के झुंड मात्र कहे जा सकते हैं। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य है-(1). थ्रेसीमेकस के अनुसार, "न्याय शक्तिशाली की हित है"। (2). सैफालस के अनुसार, "न्याय सत्य बोलने तथा अपना कर्ज चुकाने में है"। (3). [[प्लेटो]] के अनुसार, "प्रत्येक व्यक्ति का अपना विशिष्ट कार्य करना तथा दूसरों के कार्य में हस्तक्षेप न करना ही न्याय है"। | ||
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य | |||
.थ्रेसीमेकस के अनुसार, "न्याय शक्तिशाली की हित है"। | |||
.सैफालस के अनुसार, "न्याय सत्य बोलने तथा अपना कर्ज चुकाने में है"। | |||
.प्लेटो के अनुसार, "प्रत्येक व्यक्ति का अपना विशिष्ट कार्य करना तथा दूसरों के कार्य में हस्तक्षेप न करना ही न्याय है"। | |||
{निम्नलिखित में से व्यक्तिवादी विचारक हैं | {निम्नलिखित में से व्यक्तिवादी विचारक कौन हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-32,प्रश्न-11 | ||
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-हेराल्ड लास्की | -हेराल्ड लास्की | ||
-जेम्स मिल | -जेम्स मिल | ||
+हर्बर्ट स्पेंसर | +[[हर्बर्ट स्पेंसर]] | ||
-अरस्तू | -[[अरस्तू]] | ||
||हर्बर्ट स्पेंसर प्रमुख व्यक्तिवादी विचारक हैं। व्यक्तिवाद व्यक्ति की स्वतंत्रता को अधिकतम तथा राज्य के कार्यक्षेत्र को न्यूनतम रखने की वकालत करता है। स्पेंसर की प्रमुख कृति 'द मैन वर्सेज द स्टेट' (मनुष्य बनाम राज्य) है। स्पेंसर ने प्राकृतिक चयन के नियम को सामाजिक प्रगति की प्रक्रिया पर लागू किया। इनके | ||[[हर्बर्ट स्पेंसर]] प्रमुख व्यक्तिवादी विचारक हैं। व्यक्तिवाद व्यक्ति की स्वतंत्रता को अधिकतम तथा [[राज्य]] के कार्यक्षेत्र को न्यूनतम रखने की वकालत करता है। स्पेंसर की प्रमुख कृति 'द मैन वर्सेज द स्टेट' (मनुष्य बनाम राज्य) है। स्पेंसर ने प्राकृतिक चयन के नियम को सामाजिक प्रगति की प्रक्रिया पर लागू किया। इनके अनुसार "सामाजिक विकास की मुक्त प्रतिस्पर्धा में योग्य यथा परिश्रमी लोगों को उत्तर जीविता का अधिकार है।" राज्य द्वारा योग्य एवं परिश्रमी लोगों का हक छीन कर अयोग्य लोगों को देना सामाजिक प्रगति को कुंठित करना है। इस प्रकार स्पेंसर ने सभी प्रकार के कल्याण कार्यक्रमों का खंडन किया। | ||
{निम्न में से कौन नव-उदारवाद का प्रमुख तर्क नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-36,प्रश्न-1 | {निम्न में से कौन नव-उदारवाद का प्रमुख तर्क नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-36,प्रश्न-1 | ||
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-एक योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था अकुशल और अपव्ययी होती है। | -एक योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था अकुशल और अपव्ययी होती है। | ||
-निजी क्षेत्र के प्रभुत्व वाली किसी अर्थव्यवस्था का उत्पादन और प्रयोग में ज्ञान और प्रौद्योगिकी का विनियोजन अव्यवहित और अपेक्षाकृत अधिक प्रभावी होता है। | -निजी क्षेत्र के प्रभुत्व वाली किसी अर्थव्यवस्था का उत्पादन और प्रयोग में ज्ञान और प्रौद्योगिकी का विनियोजन अव्यवहित और अपेक्षाकृत अधिक प्रभावी होता है। | ||
||नव-उदारवाद राज्य के कार्य-क्षेत्र को फिर से समेटने के लिए मुक्त बाजारवाद तथा मुक्त बाजार समाज का समर्थन करता है। समकालीन विश्व में नव- | ||नव-उदारवाद [[राज्य]] के कार्य-क्षेत्र को फिर से समेटने के लिए मुक्त बाजारवाद तथा मुक्त बाजार समाज का समर्थन करता है। समकालीन विश्व में नव-उदारवाद की प्रेरणा से तीन नीतियों को अपनाया जा रहा है, उदारीकरण, निजीकरण और भूमंडलीकरण। नव-उदारवाद एक बार फिए से 'अहस्तक्षेप की नीति' का समर्थन करता है तथा बाजारोन्मुख अर्थव्यवस्था की बात करता है। यह संसाधनों को बाजार के हवाले करने का पक्षधर है न कि व्यक्तियों व समूहों को। | ||
{लोकतंत्र के बारे में निम्नलिखित कथन किस विचारक का है? "इस बात से कोई इंकार नहीं करता कि वर्तमान प्रतिनिधि सभाओं में अनेक त्रुटियां हैं। पर यदि मोटरगाड़ी खराब हो जाए तो उसकी जगह बैलगाड़ी का इस्तेमाल करने लगना मूर्खता होगी, चाहे इसकी अल्पना कितनी मधुर क्यों न लगे।" (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-43,प्रश्न-2 | {लोकतंत्र के बारे में निम्नलिखित कथन किस विचारक का है? "इस बात से कोई इंकार नहीं करता कि वर्तमान प्रतिनिधि सभाओं में अनेक त्रुटियां हैं। पर यदि मोटरगाड़ी खराब हो जाए तो उसकी जगह [[बैलगाड़ी]] का इस्तेमाल करने लगना मूर्खता होगी, चाहे इसकी अल्पना कितनी मधुर क्यों न लगे।" (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-43,प्रश्न-2 | ||
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+सी.डी. बर्न्स | +सी.डी. बर्न्स | ||
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-हेरल्ड जे.लास्की | -हेरल्ड जे.लास्की | ||
-वाल्टर बेजहाट | -वाल्टर बेजहाट | ||
||यद्यपि लोकतंत्र के व्यावहारिक स्वरूप में कुछ कमियां है लेकिन इन्हें दूर करके इसे और कार्यकुशल बनाय जा सकता है। इसकी जगह पुरानी व्यवस्था राजतंत्र या अधिनायक तंत्र अपना लेना मूर्खता होगी। इसी संदर्भ में सी.डी. बर्न्स ने लिखा है कि "इस बात से कोई इनकार नहीं करता कि वर्तमान प्रतिनिधि सभाओं में अनेक त्रुटियां है। पर यदि मोटरगाड़ी खराब हो जाए तो उसकी जगह बैलगाड़ी का इस्तेमाल करने लगना मूर्खता होगी, इसकी कल्पना चाहे कितनी ही मधुर क्यो न लगे।" इसी प्रकार अल्फ्रेड स्मिथ ने लिखा है कि 'लोकतंत्र के सभी रोगों का निदान और अधिक लोकतंत्र के द्वारा ही हो सकता है।" | ||यद्यपि लोकतंत्र के व्यावहारिक स्वरूप में कुछ कमियां है लेकिन इन्हें दूर करके इसे और कार्यकुशल बनाय जा सकता है। इसकी जगह पुरानी व्यवस्था राजतंत्र या अधिनायक तंत्र अपना लेना मूर्खता होगी। इसी संदर्भ में सी.डी. बर्न्स ने लिखा है कि "इस बात से कोई इनकार नहीं करता कि वर्तमान प्रतिनिधि सभाओं में अनेक त्रुटियां है। पर यदि मोटरगाड़ी खराब हो जाए तो उसकी जगह बैलगाड़ी का इस्तेमाल करने लगना मूर्खता होगी, इसकी कल्पना चाहे कितनी ही मधुर क्यो न लगे।" इसी प्रकार अल्फ्रेड स्मिथ ने लिखा है कि 'लोकतंत्र के सभी रोगों का निदान और अधिक लोकतंत्र के द्वारा ही हो सकता है।" इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है-(1). सी.डी. बर्न्स- "सभी प्रकार का शासन शिक्षा प्रदान करने की एक पद्धति है। पर आत्मा शिक्षा ही सबसे अच्छी शिक्षा है, इसलिए सबसे अच्छा शासन स्वशासन है जो लोकतंत्र है।" (2). [[जवाहर लाल नेहरू]]- "लोकतंत्र का अर्थ है सहिष्णुत्ता- न केवल उन लोगों के प्रति जिनसे हम सहमत हो, बल्कि उनके प्रति भी जिनसे हम असहमत हों।" (3). [[महात्मा गांधी]]- "लोकतंत्र वह [[कला]] एवं [[विज्ञान]] है जिसके अंतर्गत जनसाधारण के विभिन्न वर्गों के भौतिक, आर्थिक, और आध्यात्मिक संस्थानों को सबके सामान्य हित की सिद्धि के लिए नियोजित किया जाता है।" | ||
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य | |||
.सी.डी. बर्न्स- "सभी प्रकार का शासन शिक्षा प्रदान करने की एक पद्धति है। पर आत्मा शिक्षा ही सबसे अच्छी शिक्षा है, इसलिए सबसे अच्छा शासन स्वशासन है जो लोकतंत्र है।" | |||
.जवाहर लाल नेहरू- "लोकतंत्र का अर्थ है सहिष्णुत्ता- न केवल उन लोगों के प्रति जिनसे हम सहमत हो, बल्कि उनके प्रति भी जिनसे हम असहमत हों।" | |||
.महात्मा गांधी- "लोकतंत्र वह कला एवं विज्ञान है जिसके अंतर्गत जनसाधारण के विभिन्न वर्गों के भौतिक, आर्थिक, और आध्यात्मिक संस्थानों को सबके सामान्य हित की सिद्धि के लिए नियोजित किया जाता है।" | |||
{मार्क्स ने पॅट्रीशियन- प्लेबियन और गिल्ड मास्टर जार्नीमेन का उल्लेख किस संदर्भ में किया था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-52,प्रश्न-11 | {मार्क्स ने पॅट्रीशियन- प्लेबियन और गिल्ड मास्टर जार्नीमेन का उल्लेख किस संदर्भ में किया था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-52,प्रश्न-11 | ||
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+वर्ग संघर्ष के संदर्भ में | +वर्ग संघर्ष के संदर्भ में | ||
-वर्ग सहयोग एवं विवाह के संदर्भ में | -वर्ग सहयोग एवं [[विवाह]] के संदर्भ में | ||
-नस्लीय संघर्ष के संदर्भ में | -नस्लीय संघर्ष के संदर्भ में | ||
-नस्लीय सहयोग के संदर्भ में | -नस्लीय सहयोग के संदर्भ में | ||
||मार्क्स ने पॅट्रीशियन- प्लेबियन और गिल्ड मास्टर-जार्नीमेन का उल्लेख वर्ग संघर्ष के संदर्भ में किया है। कार्ल मार्क्स एवं फ्रेडरिक एंगेल्स द्वारा रचित पुस्तक कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो (1848) के अनुसार सभी वर्तमान समाजों का इतिहास वर्ग-संघर्ष का इतिहास है। यह वर्ग-संघर्ष विभिन्न कालों में विभिन्न वर्गों जैसे फ्रीमैन-स्लेव, पॅट्रीशियन-प्लेबियन. लॉर्ड-सर्फ, गिल्डमास्टर-जार्नीमेन के मध्य हुआ था। शोषक एवं शोषित के मध्य का यह संघर्ष कभी दृश्य एवं कभी अदृश्य रूप में होता है। जिसके परिणामस्वरूप या तो समाज का पुनर्निर्माण होता है या दोनों ही वर्गों का | ||मार्क्स ने पॅट्रीशियन- प्लेबियन और गिल्ड मास्टर-जार्नीमेन का उल्लेख वर्ग संघर्ष के संदर्भ में किया है। कार्ल मार्क्स एवं फ्रेडरिक एंगेल्स द्वारा रचित पुस्तक कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो (1848) के अनुसार सभी वर्तमान समाजों का [[इतिहास]] वर्ग-संघर्ष का इतिहास है। यह वर्ग-संघर्ष विभिन्न कालों में विभिन्न वर्गों जैसे फ्रीमैन-स्लेव, पॅट्रीशियन-प्लेबियन. लॉर्ड-सर्फ, गिल्डमास्टर-जार्नीमेन के मध्य हुआ था। शोषक एवं शोषित के मध्य का यह संघर्ष कभी दृश्य एवं कभी अदृश्य रूप में होता है। जिसके परिणामस्वरूप या तो समाज का पुनर्निर्माण होता है या दोनों ही वर्गों का विनाश होता है। | ||
{अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में यथार्थवादियों को तामस-पुत्र और आदर्शवादियों को प्रकाश-पुत्र की संज्ञा किसने दी है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-65,प्रश्न-11 | {अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में यथार्थवादियों को तामस-पुत्र और आदर्शवादियों को प्रकाश-पुत्र की संज्ञा किसने दी है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-65,प्रश्न-11 | ||
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||राइनहोल्ड नाइबहर ने 'प्रकाश की संतान और 'अंधकार की संतान' की चर्चा की है। प्रकाश की संतान वे लोग हैं जो यह मानते हैं कि स्वहित को अधिक सार्वभौम नियमों के अधीन रखना चाहिए और विश्व कल्याण के साथ उसका मेल बैठाना चाहिए। दूसरी ओर अंधकार की संतान वे लोग हैं जो अपने संकल्प और हित के अलावा और कोई नियम नहीं जानते। इस आधार पर नाइबहर ने अंधकार की संतान (यथार्थवादी) को दुष्ट और बदमाश तथा प्रकाश की सन्तान (आदर्शवादी) को पुण्यात्मा मानता है। इसके अनुसार अंधकार की संतान समझदार है क्योंकि वह आत्मसंकल्प (स्वहित) की शक्ति को पहचानते हैं जबकि प्रकाश के संतान (आदर्शवादी) मूर्ख हैं क्योंकि वे आत्मसंकल्प (स्वहित) की शक्ति को ठीक से न पहचानने के कारण अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में अराजकता और अव्यवस्था के खतरे को बहुत छोटा करके देखते हैं। | ||राइनहोल्ड नाइबहर ने 'प्रकाश की संतान और 'अंधकार की संतान' की चर्चा की है। प्रकाश की संतान वे लोग हैं जो यह मानते हैं कि स्वहित को अधिक सार्वभौम नियमों के अधीन रखना चाहिए और विश्व कल्याण के साथ उसका मेल बैठाना चाहिए। दूसरी ओर अंधकार की संतान वे लोग हैं जो अपने संकल्प और हित के अलावा और कोई नियम नहीं जानते। इस आधार पर नाइबहर ने अंधकार की संतान (यथार्थवादी) को दुष्ट और बदमाश तथा प्रकाश की सन्तान (आदर्शवादी) को पुण्यात्मा मानता है। इसके अनुसार अंधकार की संतान समझदार है क्योंकि वह आत्मसंकल्प (स्वहित) की शक्ति को पहचानते हैं जबकि प्रकाश के संतान (आदर्शवादी) मूर्ख हैं क्योंकि वे आत्मसंकल्प (स्वहित) की शक्ति को ठीक से न पहचानने के कारण अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में अराजकता और अव्यवस्था के खतरे को बहुत छोटा करके देखते हैं। | ||
{हॉब्स के 'लेवियाथन' में प्रयुक्त 'कॉमनवेल्थ' शब्द का अर्थ हैं | {हॉब्स के 'लेवियाथन' में प्रयुक्त 'कॉमनवेल्थ' शब्द का क्या अर्थ हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-78,प्रश्न-90 | ||
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-सम्प्रभु | -सम्प्रभु | ||
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-प्राकृतिक अवस्था में रहने वाले लोगों का वर्ग | -प्राकृतिक अवस्था में रहने वाले लोगों का वर्ग | ||
-उपर्युक्त में से कोई नहीं | -उपर्युक्त में से कोई नहीं | ||
|| | ||हॉब्स ने अपनी कृति 'लेवायथन' में 'कॉमनवेल्थ' शब्द का प्रयोग किया है जो समाज, राज्य तथा शासन तीनों का सामूहिक नाम है। हॉब्स ने ज्यामितीय विधि से अपनी चिंतन का प्रारम्भ प्राकृतिक अवस्था से करता है जो समाज, राज्य तथा शासन से विहीन कल्पित युग है। यह अवस्था हर तरह युद्ध, निरंतर भय तथा [[मृत्यु]] का खतरा है। इस अवस्था में बल और छल ही मनुष्य के सद्गुण है। इस प्रकार इस अवस्था से मुक्ति पाने के लिए व्यक्ति कामनवेल्थ (समाज, राज्य तथा शासन) की स्थापना करने के लिए शक्तियों को लेवायथन को सौंप देता है। | ||
{"सतत | {"सतत जागरुकता ही स्वतंत्रता का मूल्य है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-82,प्रश्न-1 | ||
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-ब्राइस | -ब्राइस | ||
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+वाशिंगटन | +वाशिंगटन | ||
-मार्क्स | -मार्क्स | ||
||"सतत जागरूकता ही स्वतंत्रता का मूल्य है।" यह कथन अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति | ||"सतत जागरूकता ही स्वतंत्रता का मूल्य है।" यह कथन [[अमेरिका]] के प्रथम [[राष्ट्रपति]] वाशिंगटन का है। जे.एस. मिल ने अपनी पुस्तक 'On Liderty' में स्वतंत्रता को मानव जीवन का मूल आधार बताया है। सी.डी. बर्न्स ने कहा है कि स्वतंत्रता न केवल सभ्य जीवन का आधार है, वरन सभ्यता का विकास भी व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर ही निर्भर करता है।" इसी संदर्भ में [[राधाकृष्णन|डॉ. राधाकृष्णन]] ने कहा है कि स्वतंत्रता किसी अन्य साध्य की प्राप्ति का साधन नहीं, वरन यह सर्वोच्च साध्य है। | ||
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{निम्न में से कौन-सा विद्वान 'भूमि को राज्य का आवश्यक तत्त्व' नहीं मानता है | {निम्न में से कौन-सा विद्वान 'भूमि को राज्य का आवश्यक तत्त्व' नहीं मानता है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-6,प्रश्न-12 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-हाल | -हाल | ||
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+उपर्युक्त दोनों | +उपर्युक्त दोनों | ||
-उपर्युक्त में दे कोई नहीं | -उपर्युक्त में दे कोई नहीं | ||
||राज्य के चार प्रमुख आवश्यक | ||राज्य के चार प्रमुख आवश्यक तत्त्व- जनसंख्या, सरकार, निश्चित भू-भाग तथा प्रभुसत्ता है। लेकिन कुछ विद्वान जैसे सीले, डुग्वी अथवा डिग्विट तथा हॉल आदि ने भूमि को राज्य का आवश्यक तत्त्व नहीं माना है। विकल्प में हॉल एवं डिग्विट दोनों के होने से किसी भी विकल्प का चयन संभव नहीं है चूंकि विकल्प (A) एवं (B) दोनों सही है। | ||
{हॉब्स के सामाजिक समझौते में लोगों ने लेवियाथन को- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-18,प्रश्न- 12 | {हॉब्स के सामाजिक समझौते में लोगों ने लेवियाथन को कौन-कौन से अधिकार सौंपे थे? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-18,प्रश्न- 12 | ||
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-केवल विद्रोह का अधिकार सौंपा | -केवल विद्रोह का अधिकार सौंपा | ||
पंक्ति 113: | पंक्ति 105: | ||
||हॉब्स के सामाजिक समझौते में लोगों ने लेवियाथन को लगभग सभी अधिकार सौंप दिए। हॉब्स सामाजिक समझौता सिद्धांत में कहा है कि मैं व्यक्ति अथवा व्यक्ति समूह को अपना शासन स्वयं कर सकने का अधिकार एवं शक्ति इस शर्त पर समर्पित करता हूं कि तुम भी अपने अधिकार इसी तरह (व्यक्ति या व्यक्ति समूह को) समर्पित कर दो। इस तरह समझौते के परिणामस्वरूप समुदाय संयुक्त होता है और राज्य का निर्माण होता है। हॉब्स के अनुसार यहीं उस महान देवता लेवियाथन का जन्म होता है जिसकी कृपा पर अविनाशी ईश्वर की छत्रछाया में हमारी शांति एवं सुरक्षा निर्भर है। | ||हॉब्स के सामाजिक समझौते में लोगों ने लेवियाथन को लगभग सभी अधिकार सौंप दिए। हॉब्स सामाजिक समझौता सिद्धांत में कहा है कि मैं व्यक्ति अथवा व्यक्ति समूह को अपना शासन स्वयं कर सकने का अधिकार एवं शक्ति इस शर्त पर समर्पित करता हूं कि तुम भी अपने अधिकार इसी तरह (व्यक्ति या व्यक्ति समूह को) समर्पित कर दो। इस तरह समझौते के परिणामस्वरूप समुदाय संयुक्त होता है और राज्य का निर्माण होता है। हॉब्स के अनुसार यहीं उस महान देवता लेवियाथन का जन्म होता है जिसकी कृपा पर अविनाशी ईश्वर की छत्रछाया में हमारी शांति एवं सुरक्षा निर्भर है। | ||
{राजनीतिक न्याय सुनिश्चित होता है | {राजनीतिक न्याय किसके द्वारा सुनिश्चित होता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-27,प्रश्न-2 | ||
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-विधायिका द्वारा | -विधायिका द्वारा | ||
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-राजनीतिक दलों द्वारा | -राजनीतिक दलों द्वारा | ||
-निर्वाचन सत्ता द्वारा | -निर्वाचन सत्ता द्वारा | ||
||राजव्यवस्था का प्रभाव समाज के सभी व्यक्तियों पर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पड़ता है। सभी व्यक्तियों को समान अवसर, समान रूप से प्राप्त होने चाहिएं तथा राजनीतिक व्यक्तियों द्वारा | ||राजव्यवस्था का प्रभाव समाज के सभी व्यक्तियों पर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पड़ता है। सभी व्यक्तियों को समान अवसर, समान रूप से प्राप्त होने चाहिएं तथा राजनीतिक व्यक्तियों द्वारा सभी व्यक्तियों की लाभ प्राप्त भी सुनिश्चित होनी चाहिए, यही राजनीतिक न्याय है। इसकी प्राप्ति स्वाभाविक रूप से एक प्रजातांत्रिक व्यवस्था के अंतर्गत ही की जा सकती है, जिसका आधार (स्त्रोत) संविधान होता है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है-(1) राजनीतिक न्याय प्राप्ति के मुख्य साधन हैं- वयस्क मताधिकार, सभी व्यक्तियों को भाषण- विचार, सम्मेलन, संगठन आदि नागरिक स्वतंत्रताएं, प्रेस की स्वतंत्रता, [[न्यायपालिका]] की स्वतंत्रता, भेद-भाव के बिना सार्वजनिक पदों हेतु सभी को समान अवसर आदि। (2) राजनीतिक न्याय की धारणा में यह तथ्य निहित है कि राजनीति में कोई कुलीन या विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग नहीं होगा। | ||
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य | |||
{'योग्यत्तम की अतिजीविता' का सिद्धांत किसके द्वारा प्रतिपादित किया गया | {'योग्यत्तम की अतिजीविता' का सिद्धांत किसके द्वारा प्रतिपादित किया गया था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-32,प्रश्न-12 | ||
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-प्लेटो | -[[प्लेटो]] | ||
+स्पेंसर | +[[हर्बर्ट स्पेंसर]] | ||
-रूसो | -रूसो | ||
-लॉक | -लॉक | ||
||हर्बर्ट स्पेंसर (1820-1903) उन्नीसवीं | ||[[हर्बर्ट स्पेंसर]] (1820-[[1903]]) उन्नीसवीं सदी के ब्रिटिश दार्शनिक और सिद्धांतकार हैं। इन्होंने योग्यतम की अतिजीविता का सिद्धांत प्रतिपादित किया। स्पेंसर की पहली महत्वपूर्ण कृति 'सोशल स्टेटिक्स' (1850) चार्ल्स डार्विन की 'ओरजिन ऑफ़ स्पसीज' ([[1857]]) से 9 वर्ष पहले प्रकाशित हुई थी। इस तरह स्पेंसर ने अपना विकासवादी सिद्धांत डार्विन से भी पहले रखा था। योग्यता की विजय या योग्यता की अतिजीविता शब्दावली का प्रयोग सर्वप्रथम स्पेंसर ने ही किया था। यद्यपि यह डार्विन के नाम के साथ जुड़ कर प्रसिद्ध हुई। इस प्रकार स्पेंसर ही योग्यतम की अतिजीविता के सिद्धांत का प्रतिपादक है। | ||
{"अनियंत्रित बाजार आधारित पूंजीवाद का परिणाम होगा- कार्यकुशलता, उत्पादन वृद्धि तथा व्यापक संपन्नता।" यह विश्वास जुड़ा है | {"अनियंत्रित बाजार आधारित पूंजीवाद का परिणाम होगा- कार्यकुशलता, उत्पादन वृद्धि तथा व्यापक संपन्नता।" यह विश्वास किसके साथ जुड़ा है?(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-36,प्रश्न-2 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+नव उदारवाद के साथ | +नव उदारवाद के साथ | ||
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-नव मार्क्सवाद के साथ | -नव मार्क्सवाद के साथ | ||
-इनमें से किसी के साथ नहीं | -इनमें से किसी के साथ नहीं | ||
||"अनियंत्रित बाजार आधारित | ||"अनियंत्रित बाजार आधारित पूंजीवाद का परिणाम होगा- कार्यकुशलता, उत्पादन वृद्धि तथा व्यापक संपन्नता।" यह विश्वास नव उदारवाद के साथ जुड़ा हुआ है। नव उदारवाद वास्तव में शास्त्रीय उदारवाद की नकारात्मक उदारवादी धारा को पुनर्स्थापित करता है। यह राज्य के हस्तक्षेप को न्यूनतम करते हुए बाजार आधारित अर्थव्यवस्था का समर्थन करता है। फ्रेडरिक हेयक व मिल्टन फ्रीडमैन प्रमुख नव उदारवादी सिद्धांतकार हैं। हेयक ने अपनी कृति 'रोड टू सर्फडम' (दासता के पथ पर) में लिखा है कि निर्देशित अर्थव्यवस्था व्यक्तियों के अव्यक्त ज्ञान का उतना उपयोग नहीं कर सकती जितना बाजार अर्थव्यवस्था कर सकती है। इसके अनुसार आर्थिक नियोजन का रास्ता सर्वाधिकारवाद की ओर ले जाता है। मिल्टन फ्रीडमैन ने 'कैपटिलिज्म एवं फ्रीडम' में लिखा है कि 'पूंजीवाद स्वतंत्रता की आवश्यक शर्त है। पूंजीवाद जिसमें निजी उद्यम को स्वतंत्र विनियम का पूरा अवसर हो व्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए अनिवार्य है। | ||
मिल्टन फ्रीडमैन ने 'कैपटिलिज्म एवं फ्रीडम' में लिखा है कि 'पूंजीवाद स्वतंत्रता की आवश्यक शर्त है। पूंजीवाद जिसमें | |||
{लोकतंत्र में 'गुटतंत्र के लौह नियम' का प्रतिपादन किसने किया है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-44,प्रश्न-3 | {लोकतंत्र में 'गुटतंत्र के लौह नियम' का प्रतिपादन किसने किया है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-44,प्रश्न-3 | ||
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-गेतानो मोस्का | -गेतानो मोस्का | ||
-रेमों आरों | -रेमों आरों | ||
||'गुटतंत्र का लौह नियम' जर्मन समाजशास्त्री 'राबर्ट मिशेल्स' द्वारा वर्ष 1911 में अपनी पुस्तक 'पॉलिटिकल पार्टीज' में दिया गया। मिशेल्स ने लोकतंत्र में अभिजनों के शासन को 'गुटतंत्र' की संज्ञा दी है। इनके अनुसार, किसी भी तरह का मानव संगठन स्थापित कर देने पर उसका नियंत्रण अंतत: एक छोटे से गुट के हाथों में आ जाता है और यह बात लोकतंत्रीय प्रणाली पर भी | ||'गुटतंत्र का लौह नियम' जर्मन समाजशास्त्री 'राबर्ट मिशेल्स' द्वारा वर्ष [[1911]] में अपनी पुस्तक 'पॉलिटिकल पार्टीज' में दिया गया। मिशेल्स ने लोकतंत्र में अभिजनों के शासन को 'गुटतंत्र' की संज्ञा दी है। इनके अनुसार, किसी भी तरह का मानव संगठन स्थापित कर देने पर उसका नियंत्रण अंतत: एक छोटे से गुट के हाथों में आ जाता है और यह बात लोकतंत्रीय प्रणाली पर भी लागू होती है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है-(1) [[इटली]] के समाजशास्त्री पैरेटो ने लोकतंत्र के अभिजन वर्गीय सिद्धांत के अंतर्गत 'अभिजनों के संचरण' का सिद्धांत दिया। (2) सी. राट्स मिल्स ने अपनी कृति पॉवर इलीट में अमेरिकी राजव्यवस्था का वर्णन किया है। उसके अनुसार तीन प्रकार के अभिजन वर्ग होते हैं- 1.सैन्य बल अभिजन, 2.राजनीतिक वर्ग अभिजन, 3.औद्योगिक वर्ग अभिजन। (3) मोस्का ने अपनी पुस्तक 'द रूलिंग क्लास' में कहा है कि सभी समाजों में केवल दो वर्ग पाए जाते हैं- पहला वर्ग जो शासन करता है, दूसरा वर्ग जिस पर शासन किया जाता है। | ||
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य | |||
{सतत क्रांति का सिद्धांत किसने दिया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-52,प्रश्न-12 | {सतत क्रांति का सिद्धांत किसने दिया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-52,प्रश्न-12 | ||
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||स्टाफ से तात्पर्य ऐसे प्रमुख कार्यकारी प्रशासनिक संरचना से है जिसमें एक सर्वोच्च अधिकारी होता है जो अपने सहायता से कार्य का सम्पादन करता है। मूने के अनुसार स्टाफ कार्य के तीन क्षेत्र पक्ष है- | ||स्टाफ से तात्पर्य ऐसे प्रमुख कार्यकारी प्रशासनिक संरचना से है जिसमें एक सर्वोच्च अधिकारी होता है जो अपने सहायता से कार्य का सम्पादन करता है। मूने के अनुसार स्टाफ कार्य के तीन क्षेत्र पक्ष है-(1) सूचनात्मक- स्टाफ का सूचना संबंधी कार्य यह है कि वह प्रमुख कार्यकारी के लिए उन समस्त सूचनाओं का संग्रह करता है जिसके आधार पर वह निर्णय करता है। (2) परामर्शकारी- आवश्यक सूचना संबंधी देने के साथ-साथ यह प्रमुख कार्यकारी को परामर्श भी देता है कि उसके राय में क्या निर्णय किये जाने चाहिए। यद्यपि प्रमुख कार्यकारी इनके सिफारिशों को मानने के लिए बाध्य नहीं है। (3) अधीक्षणात्मक- स्टाफ को यह भी देखना होता है कि प्रमुख कार्यकारी ने जो निर्णय लिए हैं, वे उपयुक्त सूत्र या व्यवसाय अभिकरणों तक पहुंचा दिए गए हैं और उनका ठीक प्रकार से क्रियान्वयन हो रहा है या नहीं। | ||
सूचनात्मक- स्टाफ का सूचना संबंधी कार्य यह है कि वह प्रमुख कार्यकारी के लिए उन समस्त सूचनाओं का संग्रह करता है जिसके आधार पर वह निर्णय करता है। | |||
परामर्शकारी- आवश्यक सूचना संबंधी देने के साथ-साथ यह प्रमुख कार्यकारी को परामर्श भी देता है कि उसके राय में क्या निर्णय किये जाने चाहिए। यद्यपि प्रमुख कार्यकारी इनके सिफारिशों को मानने के लिए बाध्य नहीं है। | |||
अधीक्षणात्मक- स्टाफ को यह भी देखना होता है कि प्रमुख कार्यकारी ने जो निर्णय लिए हैं, वे उपयुक्त सूत्र या व्यवसाय अभिकरणों तक पहुंचा दिए गए हैं और उनका ठीक प्रकार से क्रियान्वयन हो रहा है या नहीं। | |||
{निम्नलिखित में से कौन खेल सिद्धांत से नहीं जुड़े हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-78,प्रश्न-91 | {निम्नलिखित में से कौन [[खेल]] सिद्धांत से नहीं जुड़े हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-78,प्रश्न-91 | ||
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+सीले | +सीले | ||
||''स्वतंत्रता सभी बंधनों का अभाव है" यह कथन सीले का है। स्वतंत्रता उदारवादी चिंतन का केंद्रीय तत्व तथा सार है। स्वतंत्रता को नकारात्मक स्वतंत्रता तथा सकारात्मक स्वतंत्रता में वर्गीकृत किया गया है। सीले की यह परिभाषा नकारात्मक स्वतंत्रता को व्यक्त करती है। आरंभिक उदारवादी विचारक हॉब्स, लॉक, बेंथम, मिल, सिजविक, स्पेंशर, माण्टेस्क्यू तथा नवा | ||''स्वतंत्रता सभी बंधनों का अभाव है" यह कथन सीले का है। स्वतंत्रता उदारवादी चिंतन का केंद्रीय तत्व तथा सार है। स्वतंत्रता को नकारात्मक स्वतंत्रता तथा सकारात्मक स्वतंत्रता में वर्गीकृत किया गया है। सीले की यह परिभाषा नकारात्मक स्वतंत्रता को व्यक्त करती है। आरंभिक उदारवादी विचारक हॉब्स, लॉक, बेंथम, मिल, सिजविक, स्पेंशर, माण्टेस्क्यू तथा नवा उदारवादी विचारक जैसे हेयक, फ्रीडमैन, वर्लिन आदि नकारात्मक स्वतंत्रता के समर्थन है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) स्वतंत्रता का [[अंग्रेज़ी]] रूपांतर लिबर्टी 'लैटिन' भाषा के शब्द लिबर से लिया गया है जिसका अर्थ होता बंधनों का अभाव। (2) सीले के अनुसार, "स्वतंत्रता अतिशासन का विरोधी है।" (3) हॉब्स के अनुसार, "स्वतंत्रता वाह्य बाधाओं की अनुपस्थिति है वे बाधाएं जो व्यक्ति का कोई भी कार्य करने की शक्ति घटाती है।" (4) रूसो के अनुसार, "स्वतंत्रता सामान्य इच्छा के पालन में है।" (5) हीगल के अनुसार, "स्वतंत्रता राज्य के कानूनों का पालन करने में है।" (6) मैकेन्जी के अनुसार, "स्वतंत्रता सभी प्रकार के प्रतिबंधों का अभाव नहीं, अपितु अनुचित प्रतिबंधों के स्थान पर उचित प्रतिबंधों की व्यवस्था है। | ||
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य | |||
12:17, 31 मार्च 2017 का अवतरण
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