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| {{सूचना बक्सा प्रसिद्ध व्यक्तित्व
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| |चित्र=Blankimage.png
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| |चित्र का नाम=जी.पी. श्रीवास्तव
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| |पूरा नाम=गंगाप्रसाद श्रीवास्तव
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| |अन्य नाम=गंगा बाबू
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| |जन्म= [[23 अप्रैल]] [[1889]] ई.
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| |जन्म भूमि= सारन, [[बिहार]]
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| |मृत्यु=[[30 अगस्त]] [[1976]] ई.
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| |मृत्यु स्थान=
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| |अभिभावक=
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| |पति/पत्नी=
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| |संतान=
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| |गुरु=
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| |कर्म भूमि=
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| |कर्म-क्षेत्र=साहित्यकार, [[अभिनेता]]
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| |मुख्य रचनाएँ= 'कम्बी दाढ़ी' ([[1913]] ई.), 'नाक झोक' ([[1919]] ई.) आदि।
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| |विषय=
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| |खोज=
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| |भाषा=[[हिन्दी]]
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| |शिक्षा=
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| |विद्यालय=
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| |पुरस्कार-उपाधि=
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| |प्रसिद्धि=
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| |विशेष योगदान=
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| |नागरिकता=भारतीय
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| |संबंधित लेख=
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| |शीर्षक 1=
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| |पाठ 1=
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| |शीर्षक 2=
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| |पाठ 2=
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| |शीर्षक 3=
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| |पाठ 3=
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| |शीर्षक 4=
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| |पाठ 4=
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| |शीर्षक 5=
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| |पाठ 5=
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| |अन्य जानकारी= गंगा बाबू को ‘साहित्य वारिधि’ व ‘साहित्य महारथी’ जैसे अलंकरण से विभूषित किया गया।
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| |बाहरी कड़ियाँ=
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| |अद्यतन=
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| '''जी.पी. श्रीवास्तव''' (जन्म- [[23 अप्रैल]] [[1889]] ई. सारन, [[बिहार]]; मृत्यु- [[30 अगस्त]] [[1976]] ई.) [[हिन्दी]] साहित्यकार थे। गंगाप्रसाद अच्छे कथाकार, कहानीकार के अलावा एक बेहतर [[अभिनेता]] थे। कई नाटकों में उन्होंने सशक्त अभिनय किया है। उस दौरान श्रीवास्तव जी [[एकांकी]] के सशक्त अभिनेता थे। सरलता एवं अभिनय के गुण से परिपक्व, एकांकी लिखने में माहिर गंगा बाबू का नाम [[हिंदी]] के शुरुआती एकांकीकार के रूप में जाना जाता है। गंगा बाबू को ‘साहित्य वारिधि’ व ‘साहित्य महारथी’ जैसे अलंकरण से विभूषित किया गया।
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| === परिचय ===
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| गंगाप्रसाद श्रीवास्तव का जन्म [[23 अप्रैल]] 1889 ई. को छपरा, ज़िला सारन, [[बिहार]] प्रांत में हुआ था। [[हिन्दी]] के [[हास्य रस|हास्य-रस]] के लेखकों में इनका प्रमुख स्थान है। जी.पी. श्रीवास्तव का पूरा नाम गंगाप्रसाद श्रीवास्तव भी है। हिन्दी के पाठकों में जी. पी. श्रीवास्तव के नाम से ही प्रसिद्ध हैं।
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| === शिक्षा ===
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| श्रीवास्तव जी ने प्रयाग विश्वविद्यालय से बी. ए., एल-एल. बी. की परीक्षा पास करके [[गोण्डा|गोण्डा ज़िला]] में वकालत की।
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| === भाषा शैली ===
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| गंगाप्रसाद जी का [[हिन्दी]] के हास्य-रस के लेखकों में प्रमुख स्थान है। हास्य-रस की जिस परम्परा को [[भारतेन्दु हरिश्चन्द्र]] ने 'अन्धेर नगरी चौपट राजा' में स्थापित किया था, इन्होंने हास्य को उसी दिशा में विकसित किया है। गंगाप्रसाद प्रतिभा प्राय: सभी विधाओं में समान रूप से व्यक्त हुई है। [[नाटक]], [[उपन्यास]], [[कहानी]], [[कविता]] एवं शुद्ध परिकल्पना के आधार पर गल्प भी इन्होंने लिखे हैं।
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| === कृतियाँ ===
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| गंगाप्रसाद जी की कुल मिलाकर अब तक बाईस पुस्तकें प्रकाश में आ चुकी हैं। आपकी प्रमुख कृतियाँ इस प्रकार हैं-
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| *[[कहानी]] संग्रह 'कम्बी दाढ़ी' [[1913]] ई. में प्रकाशित हुई।
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| *[[नाटक]] 'उलट फेर' [[1918]] ई. को प्रकाशित हुआ।
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| *[[काव्य संग्रह|काव्यसंग्रह]] 'नाक झोक' [[1919]] ई. प्रकाश में आया।
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| *[[1931]] ई. में गंगाप्रसाद जी का प्रथम उपन्यास 'लतखोरी लाल' प्रकाशित हुआ जो आप के समय में बहुचर्चित उपन्यास रहा।
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| *[[1932]] में दूसरा [[उपन्यास]] 'दिल की आग उर्फ दिल जले की आग' प्रकाशित हुआ।
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| *[[1953]] में इनका एक नाटक 'बौछार' ने नाम से प्रकाशित हुआ था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी साहित्य कोश भाग-2|लेखक=डॉ. धीरेन्द्र वर्मा|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी|संकलन=भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन=|पृष्ठ संख्या=218|url=}}</ref>
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| === निधन===
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| गंगाप्रसाद श्रीवास्तव की मृत्यु- [[30 अगस्त]] [[1976]] ई. को हुई थी।
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| {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
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| ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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| <references/>
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| ==संबंधित लेख==
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| {{साहित्यकार}}{{अभिनेता}}
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