"तब दसकंठ बिबिधि बिधि": अवतरणों में अंतर
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तब दसकंठ बिबिधि बिधि समुझाईं सब नारि। | तब दसकंठ बिबिधि बिधि समुझाईं सब नारि। | ||
नस्वर रूप | नस्वर रूप जगत् सब देखहु हृदयँ बिचारि॥ 77॥ | ||
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तब रावण ने सब स्त्रियों को अनेकों प्रकार से समझाया कि समस्त | तब रावण ने सब स्त्रियों को अनेकों प्रकार से समझाया कि समस्त जगत् का यह (दृश्य) रूप नाशवान है, हृदय में विचारकर देखो॥ 77॥ | ||
13:46, 30 जून 2017 के समय का अवतरण
तब दसकंठ बिबिधि बिधि
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कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | 'रामचरितमानस' |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि। |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
शैली | दोहा, चौपाई, छंद और सोरठा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | लंकाकाण्ड |
सभी (7) काण्ड क्रमश: | बालकाण्ड, अयोध्या काण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किंधा काण्ड, सुंदरकाण्ड, लंकाकाण्ड, उत्तरकाण्ड |
तब दसकंठ बिबिधि बिधि समुझाईं सब नारि। |
- भावार्थ
तब रावण ने सब स्त्रियों को अनेकों प्रकार से समझाया कि समस्त जगत् का यह (दृश्य) रूप नाशवान है, हृदय में विचारकर देखो॥ 77॥
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तब दसकंठ बिबिधि बिधि | ![]() |
दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
पुस्तक- श्रीरामचरितमानस (लंकाकाण्ड) |प्रकाशक- गीताप्रेस, गोरखपुर |संकलन- भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|पृष्ठ संख्या-439
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