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'''सागरमाला परियोजना''' [[केंद्र सरकार]] द्वारा प्रारम्भ की गई परियोजना है, जिसके तहत देश के चारों ओर सीमाओं पर सड़क परियोजनाओं में 7500 किलोमीटर लंबे तटीय क्षेत्र को जोड़ने के लिए नेटवर्क विकसित किया जाना है। इस परियोजना का मकसद बंदरगाहों पर जहाजों पर लदने और उतरने वाले माल का रेल और राष्ट्रीय राजमार्गों के जरिए उनके गंतव्य तक सागरमाला से पहुंचाना है।
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{[[भारत]] का वह कौन-सा शहर है, जिसे 'सिल्क सिटी' और 'डायमंड सिटी' के नाम से भी जाना जाता है?
|type="()"}
-[[मुम्बई]]
-[[जयपुर]]
-[[अहमदाबाद]]
+[[सूरत]]
||[[चित्र:Parle-Point-Surat.jpg|right|100px|border|परले पॉइंट, सूरत]]'[[सूरत]] [[गुजरात|गुजरात राज्य]] का प्रसिद्ध शहर है। यह दक्षिण-पूर्वी गुजरात राज्य, पश्चिम भारत में स्थित है। यह 'खंभात की खाड़ी' पर ताप्ती नदी के मुहाने पर स्थित है। कहा जाता है कि 1516 ई. में एक हिन्दू ब्राह्मण 'गोपी' ने इसे बसाया था। सूरत मुख्यत: कपड़ा उद्योग और हीरे की कटिंग और पॉलिशैंग आदि के कार्यों के लिए प्रसिद्ध है। यही कारण है कि इस शहर को 'सिल्क सिटी' और 'डायमंड सिटी' के नाम से भी जाना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सूरत]]


{[[पाल वंश]] का संस्थापक कौन था?
==परियोजना के उद्देश्य==
|type="()"}
*देश के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ के तहत सागरमाला परियोजना की शुरूआत पिछले वर्ष की गई थी, इसके तहत देश के चारों ओर सीमाओं पर सड़क परियोजनाओं में 7500 किलोमीटर लंबे तटीय क्षेत्र को जोड़ने के लिए नेटवर्क विकसित किया जाना है।
-[[महिपाल प्रथम]]
* बंदरगाहों को जोड़ने की योजना के तहत रेल मंत्रालय 20 हजार करोड़ रुपए की लागत से 21 बंदरगाह-रेल संपर्क परियोजनाओं पर काम शुरू करेगा। इस परियोजना का मकसद बंदरगाहों पर जहाजों पर लदने और उतरने वाले माल का रेल और राष्ट्रीय राजमार्गों के जरिए उनके गंतव्य तक सागरमाला से पहुंचाना है।
-[[देवपाल (पाल वंश)]]
* इस परियोजना में बंदरगाहों के विकास और नए ट्रांसशिपिंग पोर्ट का निर्माण भी शामिल है, ताकि बंदरगाहों की क्षमता बढ़ाई जा सके। जाहिर सी बात है कि इससे देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी, वहीं इसके तहत 27 इंफ्रास्ट्रक्चर क्लस्टरों का विकास होने से करीब एक करोड़ रोज़गार भी सृजित होंगे।
-[[धर्मपाल]]
* सरकार की जारी रिपोर्ट पर भरोसा करें तो सागरमाला देश के लॉजिस्टिक्स सेक्टर की तस्वीर बदल देगी।
+[[गोपाल प्रथम]]
==अमेरिका की सहभागिता==
||'[[गोपाल प्रथम]] गौड़ (उत्तरी बंगाल) [[पाल वंश]] का प्रथम राजा तथा [[बंगाल]] और [[बिहार]] पर लगभग चार शताब्दी तक शासन करने वाला पाल वंश का संस्थापक था। गोपाल प्रथम का शासन लगभग 750 से 770 ई. तक था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गोपाल प्रथम]], [[पाल वंश]]
भारत की सागरमाला परियोजना के तहत समुद्री तटों के विकास के लिए भारत के साथ अमेरिका भी मिलकर कार्य कर रहा है। अमेरिका को नए बंदरगाहों को बनाने और उनके विकास के लिए पूंजी निवेश को भी आमंत्रित किया। इस दौरान काम कर रहे बंदरगाहों पर नए टर्मिनल बनाने, तटीय इलाकों में आर्थिक क्षेत्र बनाने, जहाज बनाने, उनकी मरम्मत करने और जहाजों के विकास पर भी बात हुई। बंदरगाहों और सुविधाओं के विकास से भारत और अमेरिका के बीच की समुद्री यात्रा को घटाकर पांच दिन किया जा सकता है। इस परियोजना के जरिए समुद्री कारोबार की तस्वीर बदलने के इरादे से बंदरगाह आधारभूत ढांचे के विकास के लिए 4 लाख करोड़ रुपए का निवेश का भी अप्रैल में मुंबई में हुए मैरीटाइम इंडिया शिखर सम्मेलन के दौरान 140 व्यापारिक करार करके निवेश का एक खाका तैयार किया जा चुका है, जिसमें 140 परियोजनाओं के लिए करीब 13 अरब डालर (83 हज़ार करोड़ रुपए) का निवेश होगा।


{वह कौन-सी पर्वत श्रृंखला है, जो [[राजस्थान|राजस्थान राज्य]] के पूर्वोत्तर क्षेत्र से होकर गुज़रती है?
|type="()"}
+[[अरावली पर्वतमाला]]
-[[मैकॉल श्रेणी]]
-[[विन्ध्याचल पर्वत]]
-[[पश्चिमी घाट पर्वत]]
||[[चित्र:Aravalli-Mountains-1.jpg|right|100px|border|अरावली पर्वतमाला]]'[[अरावली]] या 'अर्वली' उत्तर भारतीय पर्वतमाला है। [[राजस्थान|राजस्थान राज्य]] के पूर्वोत्तर क्षेत्र से गुज़रती हुई 560 किलोमीटर लम्बी इस पर्वतमाला की कुछ चट्टानी पहाड़ियाँ दिल्ली के दक्षिण हिस्से तक चली गई हैं। अरावली पर्वतमाला प्राकृतिक संसाधनों एवं खनिज पदार्थों से परिपूर्ण है और पश्चिमी मरुस्थल के विस्तार को रोकने का कार्य करती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अरावली पर्वतमाला]]


{[[अष्टछाप कवि|अष्टछाप कवियों]] में सबसे ज्येष्ठ [[कवि]] कौन थे?
|type="()"}
-[[कृष्णदास]]
-[[सूरदास]]
+[[कुम्भनदास]]
-[[नंददास]]
||[[चित्र:Kumbhandas.jpg|right|100px|border|कुम्भनदास]]'गोस्वामी बिट्ठलनाथ ने सं.1602 के लगभग अपने पिता [[वल्लभाचार्य|वल्लभ]] के 84 शिष्यों में से चार और अपने 252 शिष्यों में से चार को लेकर अष्टछाप के प्रसिद्ध भक्त कवियों की मंडली की स्थापना की। इन आठ भक्त कवियों में चार वल्लभाचार्य के शिष्य थे। अष्टछाप के भक्त कवियों में सबसे ज्येष्ठ [[कुम्भनदास]] थे और सबसे कनिष्ठ [[नंददास]] थे परंतु काव्यसौष्ठव की दृष्टि से सर्वप्रथम स्थान [[सूरदास]] का है तथा द्वितीय स्थान नंददास का है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अष्टछाप कवि]], [[कुम्भनदास]]


{किस शहर को 'भारत का प्रवेश द्वार' कहा जाता है?
केंद्र सरकार की ‘सागरमाला’ परियोजना देश के बंदरगाहों को ही नहीं, बल्कि देश की सीमाओं पर सेनाओं के परिवहन को भी आसान बनाएगी। वहीं इस परियोजना से देश की अर्थव्यवस्था में भी सुधार होगा यानि ‘सागरमाला’ कार्यक्रम के जरिए देश में सभी बंदरगाहों का सड़क संपर्क हर साल 40 करोड़ रुपये की लागत को बचाएगा।
|type="()"}
-[[चेन्नई]]
★ केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय की 70 हजार करोड़ रुपये की लागत वाली ‘सागरमाला’ परियोजना को लेकर केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में जारी की गई एक रिपोर्ट में ऐसा दावा किया गया है। देश में शुरू की गई ‘सागरमाला’ परियोजना को अंजाम तक पहुंचाने के लिए सरकार ने इससे संबन्धित कई अन्य योजनाओं को भी पटरी पर उतारा है।
-[[नागपुर]]
-[[हैदराबाद]]
+[[मुम्बई]]
||[[चित्र:A-View-Of-Mumbai.jpg|right|100px|border|मुम्बई का एक दृश्य]]'[[मुम्बई|मुम्बई शहर]], भूतपूर्व बंबई, [[महाराष्ट्र|महाराष्ट्र राज्य]] की [[राजधानी]] है। मुम्बई को '''भारत का प्रवेश द्वार''' भी कहा जाता है। यह दक्षिण-पश्चिम भारत देश का वित्तीय व वाणिज्यिक केंद्र और [[अरब सागर]] में स्थित प्रमुख [[बंदरगाह]] है। मुम्बई दुनिया के विशालतम व सबसे घनी आबादी वाले शहरों में से एक है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मुम्बई]]


{[[बंगाल विभाजन]] [[1905]] के समय [[भारत]] का [[वाइसराय]] कौन था?
sagarmala
|type="()"}
-[[लॉर्ड डफ़रिन]]
+[[लॉर्ड कर्ज़न]]
-[[लॉर्ड मिण्टो द्वितीय]]
-[[लॉर्ड इरविन]]
||[[चित्र:Lord Curzon.jpg|right|100px|border|लॉर्ड कर्ज़न]]'बंगाल विभाजन पहली बार [[1905]] ई. में [[वाइसराय]] [[लॉर्ड कर्ज़न]] द्वारा किया गया था। विभाजन के सम्बन्ध में कर्ज़न का तर्क था कि तत्कालीन [[बंगाल]], जिसमें [[बिहार]] और [[उड़ीसा]] भी शामिल थे, काफ़ी विस्तृत है और अकेला लेफ्टिनेंट गवर्नर उसका प्रशासन भली-भाँति नहीं चला सकता है।विभाजन के समय बंगाल की कुल जनसंख्या 7 करोड़, 85 लाख थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बंगाल विभाजन]], [[लॉर्ड कर्ज़न]]


{'मंगलौर की संधि' किस व्यक्ति से सम्बंधित है?
|type="()"}
-[[मंसूर अली ख़ाँ]]
+[[टीपू सुल्तान]]
-[[अकबर ख़ाँ]]
-[[रणजीत सिंह ]]
||[[चित्र:Tipu-Sultan-1.jpg|right|100px|border|टीपू सुल्तान]]'टीपू सुल्तान' भारतीय [[इतिहास]] के प्रसिद्ध योद्धा [[हैदर अली]] का पुत्र था। इनको इनकी वीरता के कारण ही 'शेर-ए-मैसूर' का ख़िताब अपने पिता से प्राप्त हुआ था। टीपू द्वारा कई युद्धों में हारने के बाद [[मराठा|मराठों]] एवं निज़ाम ने अंग्रेज़ों से संधि कर ली थी। ऐसी स्थिति में टीपू ने भी अंग्रेज़ों से संधि का प्रस्ताव किया और चूंकि अंग्रेज़ों को भी टीपू की शक्ति का अहसास हो चुका था, इसलिए छिपे मन से वे भी संधि चाहते थे। दोनों पक्षों में वार्ता [[मार्च]], 1784 में हुई और इसी के फलस्वरूप 'मंगलौर की संधि' सम्पन्न हुई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[टीपू सुल्तान]]


{[[गुजरात]] की प्रथम महिला [[मुख्यमंत्री]] कौन थी?
★ सरकार का इस परियोजना के जरिए अर्थव्यवस्था में सुधार के साथ समुद्री कारोबार को प्रोत्साहन देते हुए लॉजिस्टिक्स लागत में ज्यादा से ज्यादा कमी लाना पहली प्राथमिकता है।  
|type="()"}
 
-[[]]
कौशल विकास को महत्व :-*_
-[[]]
केंद्र सरकार की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस परियोजना के पूरा होने के बाद देश में करीब 40 हजार करोड़ रुपए की सालाना बचत होगी।
-[[सुचेता कृपलानी ]]
 
+[[आनंदीबेन पटेल]]
इस मकसद को पूरा करने के लिए सरकार को तटीय शिपिंग को बढ़ावा देते हुए देश में मौजूद बंदरगाहों में अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ व्यापक सुधार करना जरूरी होगा।
||[[चित्र:Anandiben-Patel.jpg|right|100px|border|आनंदीबेन पटेल]]'आनंदीबेन पटेल' एक भारतीय राजनीतिज्ञ और [[गुजरात]] की पहली महिला [[गुजरात के मुख्यमंत्री|मुख्यमंत्री]] रही हैं। लगातार चार बार विधानसभा का चुनाव जीतने वाली आनंदीबेन पटेल को अच्छा प्रशासक माना जाता है। भाजपा के मनोनित प्रधानमंत्री [[नरेन्द्र मोदी]] ने [[21 मई]], [[2014]] को गुजरात के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इनका मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल [[22 मई]], [[2014]] से [[7 अगस्त]], [[2016]] तक रहा। आनंदीबेन पटेल 1987 से भारतीय जनता पार्टी में शामिल हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[आनंदीबेन पटेल]]
खासकर इस सुधार के लिए पहले ऐसे बंदरगाहों को चुनना होगा, जहां पर ज्यादा से ज्यादा माल लाया भी जा सके और उतारा भी जा सके।
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हालांकि जहाजरानी मंत्रालय ने बंदरगाहों के अत्याधुनिक सुधार की योजनाओं को भी तेजी के साथ पटरी पर उतारा हुआ है, जिनका सकारात्मक नतीजा भी कई बंदरगाहों से  
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सामने आ चुका है।
 
रिपोर्ट के अनुसार नौवहन क्षेत्र में 27 इंफ्रास्ट्रक्चर क्लस्टरों का विकास होने से अकेले सागरमाला कार्यक्रम के जरिए ही एक करोड़ लोगों को रोजगार मिल सकेगा, जिसके लिए
कौशल विकास को महत्व दिया जा रहा है।

12:57, 22 अगस्त 2017 का अवतरण

सागरमाला परियोजना केंद्र सरकार द्वारा प्रारम्भ की गई परियोजना है, जिसके तहत देश के चारों ओर सीमाओं पर सड़क परियोजनाओं में 7500 किलोमीटर लंबे तटीय क्षेत्र को जोड़ने के लिए नेटवर्क विकसित किया जाना है। इस परियोजना का मकसद बंदरगाहों पर जहाजों पर लदने और उतरने वाले माल का रेल और राष्ट्रीय राजमार्गों के जरिए उनके गंतव्य तक सागरमाला से पहुंचाना है।

परियोजना के उद्देश्य

  • देश के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ के तहत सागरमाला परियोजना की शुरूआत पिछले वर्ष की गई थी, इसके तहत देश के चारों ओर सीमाओं पर सड़क परियोजनाओं में 7500 किलोमीटर लंबे तटीय क्षेत्र को जोड़ने के लिए नेटवर्क विकसित किया जाना है।
  • बंदरगाहों को जोड़ने की योजना के तहत रेल मंत्रालय 20 हजार करोड़ रुपए की लागत से 21 बंदरगाह-रेल संपर्क परियोजनाओं पर काम शुरू करेगा। इस परियोजना का मकसद बंदरगाहों पर जहाजों पर लदने और उतरने वाले माल का रेल और राष्ट्रीय राजमार्गों के जरिए उनके गंतव्य तक सागरमाला से पहुंचाना है।
  • इस परियोजना में बंदरगाहों के विकास और नए ट्रांसशिपिंग पोर्ट का निर्माण भी शामिल है, ताकि बंदरगाहों की क्षमता बढ़ाई जा सके। जाहिर सी बात है कि इससे देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी, वहीं इसके तहत 27 इंफ्रास्ट्रक्चर क्लस्टरों का विकास होने से करीब एक करोड़ रोज़गार भी सृजित होंगे।
  • सरकार की जारी रिपोर्ट पर भरोसा करें तो सागरमाला देश के लॉजिस्टिक्स सेक्टर की तस्वीर बदल देगी।

अमेरिका की सहभागिता

भारत की सागरमाला परियोजना के तहत समुद्री तटों के विकास के लिए भारत के साथ अमेरिका भी मिलकर कार्य कर रहा है। अमेरिका को नए बंदरगाहों को बनाने और उनके विकास के लिए पूंजी निवेश को भी आमंत्रित किया। इस दौरान काम कर रहे बंदरगाहों पर नए टर्मिनल बनाने, तटीय इलाकों में आर्थिक क्षेत्र बनाने, जहाज बनाने, उनकी मरम्मत करने और जहाजों के विकास पर भी बात हुई। बंदरगाहों और सुविधाओं के विकास से भारत और अमेरिका के बीच की समुद्री यात्रा को घटाकर पांच दिन किया जा सकता है। इस परियोजना के जरिए समुद्री कारोबार की तस्वीर बदलने के इरादे से बंदरगाह आधारभूत ढांचे के विकास के लिए 4 लाख करोड़ रुपए का निवेश का भी अप्रैल में मुंबई में हुए मैरीटाइम इंडिया शिखर सम्मेलन के दौरान 140 व्यापारिक करार करके निवेश का एक खाका तैयार किया जा चुका है, जिसमें 140 परियोजनाओं के लिए करीब 13 अरब डालर (83 हज़ार करोड़ रुपए) का निवेश होगा।


केंद्र सरकार की ‘सागरमाला’ परियोजना देश के बंदरगाहों को ही नहीं, बल्कि देश की सीमाओं पर सेनाओं के परिवहन को भी आसान बनाएगी। वहीं इस परियोजना से देश की अर्थव्यवस्था में भी सुधार होगा यानि ‘सागरमाला’ कार्यक्रम के जरिए देश में सभी बंदरगाहों का सड़क संपर्क हर साल 40 करोड़ रुपये की लागत को बचाएगा।

★ केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय की 70 हजार करोड़ रुपये की लागत वाली ‘सागरमाला’ परियोजना को लेकर केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में जारी की गई एक रिपोर्ट में ऐसा दावा किया गया है। देश में शुरू की गई ‘सागरमाला’ परियोजना को अंजाम तक पहुंचाने के लिए सरकार ने इससे संबन्धित कई अन्य योजनाओं को भी पटरी पर उतारा है।

sagarmala


★ सरकार का इस परियोजना के जरिए अर्थव्यवस्था में सुधार के साथ समुद्री कारोबार को प्रोत्साहन देते हुए लॉजिस्टिक्स लागत में ज्यादा से ज्यादा कमी लाना पहली प्राथमिकता है।

कौशल विकास को महत्व :-*_ केंद्र सरकार की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस परियोजना के पूरा होने के बाद देश में करीब 40 हजार करोड़ रुपए की सालाना बचत होगी।

इस मकसद को पूरा करने के लिए सरकार को तटीय शिपिंग को बढ़ावा देते हुए देश में मौजूद बंदरगाहों में अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ व्यापक सुधार करना जरूरी होगा। खासकर इस सुधार के लिए पहले ऐसे बंदरगाहों को चुनना होगा, जहां पर ज्यादा से ज्यादा माल लाया भी जा सके और उतारा भी जा सके।

हालांकि जहाजरानी मंत्रालय ने बंदरगाहों के अत्याधुनिक सुधार की योजनाओं को भी तेजी के साथ पटरी पर उतारा हुआ है, जिनका सकारात्मक नतीजा भी कई बंदरगाहों से सामने आ चुका है।

रिपोर्ट के अनुसार नौवहन क्षेत्र में 27 इंफ्रास्ट्रक्चर क्लस्टरों का विकास होने से अकेले सागरमाला कार्यक्रम के जरिए ही एक करोड़ लोगों को रोजगार मिल सकेगा, जिसके लिए कौशल विकास को महत्व दिया जा रहा है।