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'''सागरमाला परियोजना''' [[केंद्र सरकार]] द्वारा प्रारम्भ की गई परियोजना है, जिसके तहत देश के चारों ओर सीमाओं पर सड़क परियोजनाओं में 7500 किलोमीटर लंबे तटीय क्षेत्र को जोड़ने के लिए नेटवर्क विकसित किया जाना है। इस परियोजना का मकसद बंदरगाहों पर जहाजों पर लदने और उतरने वाले माल का रेल और राष्ट्रीय राजमार्गों के जरिए उनके गंतव्य तक सागरमाला से पहुंचाना है।


==परियोजना के उद्देश्य==
'''हेस्नाम कन्हाईलाल''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Heisnam Kanhailal''; जन्म- [[17 जनवरी]], [[1941]], [[मणिपुर]], [[भारत]]; मृत्यु: [[6 अक्टूबर]] [[2016]], [[इम्फाल]], मणिपुर) मणिपुर से प्रसिद्ध भारतीय रंगमंच निर्देशक एवं ‘कलाक्षेत्र मणिपुर’ के संस्थापक-निदेशक थे। वे संगीत नाटक अकादमी के फेलो भी थे। उन्होंने अपने जीवनकाल में भारतीय रंगमंच की विविधिता को समृद्ध किया।<ref name="s">{{cite web |url=https://khabar.ndtv.com/news/india/theatre-personality-kanhailal-passes-away-1471124 |title= भारतीय रंगमंच के अप्रतिम निर्देशक हेस्नाम कन्हाईलाल का निधन |accessmonthday= 24 अगस्त |accessyear= 2017|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=khabar.ndtv.com|language=हिंदी}}</ref>
*देश के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ के तहत सागरमाला परियोजना की शुरूआत पिछले वर्ष की गई थी, इसके तहत देश के चारों ओर सीमाओं पर सड़क परियोजनाओं में 7500 किलोमीटर लंबे तटीय क्षेत्र को जोड़ने के लिए नेटवर्क विकसित किया जाना है।
==परिचय==
* बंदरगाहों को जोड़ने की योजना के तहत रेल मंत्रालय 20 हजार करोड़ रुपए की लागत से 21 बंदरगाह-रेल संपर्क परियोजनाओं पर काम शुरू करेगा। इस परियोजना का मकसद बंदरगाहों पर जहाजों पर लदने और उतरने वाले माल का रेल और राष्ट्रीय राजमार्गों के जरिए उनके गंतव्य तक सागरमाला से पहुंचाना है।
भारतीय रंगमंच के अप्रतिम निर्देशक हेस्नाम कन्हाईलाल का जन्म 17 जनवरी, 1941 को मणिपुर में हुआ था। उनकी पत्नी का नाम सावित्री हेस्नाम हैं, जो विख्यात रंगमंच अभिनेत्री हैं और उनके पुत्र हेस्नाम तोम्बा उभरते हुए निर्देशक हैं।
* इस परियोजना में बंदरगाहों के विकास और नए ट्रांसशिपिंग पोर्ट का निर्माण भी शामिल है, ताकि बंदरगाहों की क्षमता बढ़ाई जा सके। जाहिर सी बात है कि इससे देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी, वहीं इसके तहत 27 इंफ्रास्ट्रक्चर क्लस्टरों का विकास होने से करीब एक करोड़ रोज़गार भी सृजित होंगे।
==कार्यक्षेत्र==
* सरकार की जारी रिपोर्ट पर भरोसा करें तो सागरमाला देश के लॉजिस्टिक्स सेक्टर की तस्वीर बदल देगी।
हेस्नाम ने भारतीय रंगमंच की विविधता को समृद्ध किया। उनकी रंगभाषा में पुर्वोत्तर का शरीर, मानस और वहां की लोक परंपराओं के साथ वहां की जनता का संघर्ष और प्रतिरोध भी शामिल है। उनकी रंगभाषा में पूर्वोत्तर की ध्वनियों का खेल भी था, जो उसे गहराई देता था। उनकी प्रस्तुतियां देश विदेश में मंचित हुईं और सराही गईं। कन्हाईलाल ने [[मणिपुर]] में कलाक्षेत्र रंगमंडल की स्थापना की थी और इसके साथ वे काम करते रहे। उन्होंने देश-विदेश की विभिन्न संस्थाओं में अभिनेतों को प्रशिक्षण भी दिया।<ref name="s"/>
==अमेरिका की सहभागिता==
==प्रमुख प्रस्तुति==
भारत की सागरमाला परियोजना के तहत समुद्री तटों के विकास के लिए भारत के साथ अमेरिका भी मिलकर कार्य कर रहा है। अमेरिका को नए बंदरगाहों को बनाने और उनके विकास के लिए पूंजी निवेश को भी आमंत्रित किया। इस दौरान काम कर रहे बंदरगाहों पर नए टर्मिनल बनाने, तटीय इलाकों में आर्थिक क्षेत्र बनाने, जहाज बनाने, उनकी मरम्मत करने और जहाजों के विकास पर भी बात हुई। बंदरगाहों और सुविधाओं के विकास से भारत और अमेरिका के बीच की समुद्री यात्रा को घटाकर पांच दिन किया जा सकता है। इस परियोजना के जरिए समुद्री कारोबार की तस्वीर बदलने के इरादे से बंदरगाह आधारभूत ढांचे के विकास के लिए 4 लाख करोड़ रुपए का निवेश का भी अप्रैल में मुंबई में हुए मैरीटाइम इंडिया शिखर सम्मेलन के दौरान 140 व्यापारिक करार करके निवेश का एक खाका तैयार किया जा चुका है, जिसमें 140 परियोजनाओं के लिए करीब 13 अरब डालर (83 हज़ार करोड़ रुपए) का निवेश होगा।
हेस्नाम कन्हाईलाल ने बहुत-सी प्रस्तुतियाँ दी, जो काफी लोकप्रिय एवं सराहनीय रहीं। उनकी कुछ प्रस्तुति निम्न प्रकार हैं-


‘मेमायर्स ऑफ़ अफ़्रीका’, ‘कर्ण’, ‘पेबेट’, ‘डाकघर’, ‘अचिन गायनेर गाथा’, ‘द्रोपदी’ इत्यादि उनकी चर्चित नाट्य प्रस्तुतियां हैं।


[[महाश्वेता देवी]] की कहानी पर आधारित उनकी प्रस्तुति 'द्रोपदी' अत्यंत प्रशंसित और विवादित रही। इसमें उनकी पत्नी सावित्री का बेमिसाल अभिनय था। प्रस्तुति के बीच एक ऐसा क्षण आता है जब वे मंच पर अनावृत होती हैं। कहा जाता है कि मनोरमा देवी के रेप और अपहरण के खिलाफ़ महिलाओं ने नंगे होकर आसाम राइफल्स के विरोध में जो प्रदर्शन किया था उसकी प्रेरणा इस प्रस्तुति से ही मिली थी।
==पुरस्कार==
संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार - [[1985]] <br />
[[पद्मश्री ]] - [[2004]]<br />
[[पद्मभूषण]] - [[2016]]<br />
==निधन==
हेस्नाम कन्हाईलाल का फेफड़ों के कैंसर के कारण [[6 अक्टूबर]], [[2016]] को निधन हो गया। उनके निधन से भारतीय रंगमंच का एक युगांत हो गया है।


केंद्र सरकार की ‘सागरमाला’ परियोजना देश के बंदरगाहों को ही नहीं, बल्कि देश की सीमाओं पर सेनाओं के परिवहन को भी आसान बनाएगी। वहीं इस परियोजना से देश की अर्थव्यवस्था में भी सुधार होगा यानि ‘सागरमाला’ कार्यक्रम के जरिए देश में सभी बंदरगाहों का सड़क संपर्क हर साल 40 करोड़ रुपये की लागत को बचाएगा।
==टीका एवं टिप्पणी==
<references/>
★ केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय की 70 हजार करोड़ रुपये की लागत वाली ‘सागरमाला’ परियोजना को लेकर केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में जारी की गई एक रिपोर्ट में ऐसा दावा किया गया है। देश में शुरू की गई ‘सागरमाला’ परियोजना को अंजाम तक पहुंचाने के लिए सरकार ने इससे संबन्धित कई अन्य योजनाओं को भी पटरी पर उतारा है।
==सम्बंधित लेख==
 
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★ सरकार का इस परियोजना के जरिए अर्थव्यवस्था में सुधार के साथ समुद्री कारोबार को प्रोत्साहन देते हुए लॉजिस्टिक्स लागत में ज्यादा से ज्यादा कमी लाना पहली प्राथमिकता है। 
 
कौशल विकास को महत्व :-*_
केंद्र सरकार की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस परियोजना के पूरा होने के बाद देश में करीब 40 हजार करोड़ रुपए की सालाना बचत होगी।
 
इस मकसद को पूरा करने के लिए सरकार को तटीय शिपिंग को बढ़ावा देते हुए देश में मौजूद बंदरगाहों में अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ व्यापक सुधार करना जरूरी होगा।
खासकर इस सुधार के लिए पहले ऐसे बंदरगाहों को चुनना होगा, जहां पर ज्यादा से ज्यादा माल लाया भी जा सके और उतारा भी जा सके।
 
हालांकि जहाजरानी मंत्रालय ने बंदरगाहों के अत्याधुनिक सुधार की योजनाओं को भी तेजी के साथ पटरी पर उतारा हुआ है, जिनका सकारात्मक नतीजा भी कई बंदरगाहों से
सामने आ चुका है।
 
रिपोर्ट के अनुसार नौवहन क्षेत्र में 27 इंफ्रास्ट्रक्चर क्लस्टरों का विकास होने से अकेले सागरमाला कार्यक्रम के जरिए ही एक करोड़ लोगों को रोजगार मिल सकेगा, जिसके लिए
कौशल विकास को महत्व दिया जा रहा है।

12:28, 24 अगस्त 2017 का अवतरण

हेस्नाम कन्हाईलाल (अंग्रेज़ी: Heisnam Kanhailal; जन्म- 17 जनवरी, 1941, मणिपुर, भारत; मृत्यु: 6 अक्टूबर 2016, इम्फाल, मणिपुर) मणिपुर से प्रसिद्ध भारतीय रंगमंच निर्देशक एवं ‘कलाक्षेत्र मणिपुर’ के संस्थापक-निदेशक थे। वे संगीत नाटक अकादमी के फेलो भी थे। उन्होंने अपने जीवनकाल में भारतीय रंगमंच की विविधिता को समृद्ध किया।[1]

परिचय

भारतीय रंगमंच के अप्रतिम निर्देशक हेस्नाम कन्हाईलाल का जन्म 17 जनवरी, 1941 को मणिपुर में हुआ था। उनकी पत्नी का नाम सावित्री हेस्नाम हैं, जो विख्यात रंगमंच अभिनेत्री हैं और उनके पुत्र हेस्नाम तोम्बा उभरते हुए निर्देशक हैं।

कार्यक्षेत्र

हेस्नाम ने भारतीय रंगमंच की विविधता को समृद्ध किया। उनकी रंगभाषा में पुर्वोत्तर का शरीर, मानस और वहां की लोक परंपराओं के साथ वहां की जनता का संघर्ष और प्रतिरोध भी शामिल है। उनकी रंगभाषा में पूर्वोत्तर की ध्वनियों का खेल भी था, जो उसे गहराई देता था। उनकी प्रस्तुतियां देश विदेश में मंचित हुईं और सराही गईं। कन्हाईलाल ने मणिपुर में कलाक्षेत्र रंगमंडल की स्थापना की थी और इसके साथ वे काम करते रहे। उन्होंने देश-विदेश की विभिन्न संस्थाओं में अभिनेतों को प्रशिक्षण भी दिया।[1]

प्रमुख प्रस्तुति

हेस्नाम कन्हाईलाल ने बहुत-सी प्रस्तुतियाँ दी, जो काफी लोकप्रिय एवं सराहनीय रहीं। उनकी कुछ प्रस्तुति निम्न प्रकार हैं-

‘मेमायर्स ऑफ़ अफ़्रीका’, ‘कर्ण’, ‘पेबेट’, ‘डाकघर’, ‘अचिन गायनेर गाथा’, ‘द्रोपदी’ इत्यादि उनकी चर्चित नाट्य प्रस्तुतियां हैं।

महाश्वेता देवी की कहानी पर आधारित उनकी प्रस्तुति 'द्रोपदी' अत्यंत प्रशंसित और विवादित रही। इसमें उनकी पत्नी सावित्री का बेमिसाल अभिनय था। प्रस्तुति के बीच एक ऐसा क्षण आता है जब वे मंच पर अनावृत होती हैं। कहा जाता है कि मनोरमा देवी के रेप और अपहरण के खिलाफ़ महिलाओं ने नंगे होकर आसाम राइफल्स के विरोध में जो प्रदर्शन किया था उसकी प्रेरणा इस प्रस्तुति से ही मिली थी।

पुरस्कार

संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार - 1985
पद्मश्री - 2004
पद्मभूषण - 2016

निधन

हेस्नाम कन्हाईलाल का फेफड़ों के कैंसर के कारण 6 अक्टूबर, 2016 को निधन हो गया। उनके निधन से भारतीय रंगमंच का एक युगांत हो गया है।

टीका एवं टिप्पणी

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