"प्रयोग:कविता सा.-2": अवतरणों में अंतर
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गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
कविता भाटिया (वार्ता | योगदान) No edit summary |
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<quiz display=simple> | <quiz display=simple> | ||
{ | {लोक कला चित्रों का माध्यम क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-170,प्रश्न-32 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -पेस्टल रंग | ||
- | -एक्रेलिक रंग | ||
- | +गोंद मिले मिट्टी के रंग | ||
-तैल रंग | |||
|| | ||लोक कला के चित्रों का माध्यम गोंद मिले [[मिट्टी]] के [[रंग]] हैं। चित्रों को बनाने के लिए खनिज रंगों का प्रयोग किया जाता है जिसमें गेरू, रामरज, हिरौंजी आदि को चर्बी में घोलकर चित्रों में रंग भरा गया है। [[सफेद रंग]] [[चूना पत्थर|चूने]] अथवा [[खड़िया]] से बना होता था। लाल तथा भूरे रंग लोहे के खनिज का रंग है। हरा रंग स्थानीय पत्थरों की सहायता से बनाया जाता था, जो 'तांबे का खनिज रंग' कहलाता है। इसे 'टेरावर्ट' भी कहा जाता है। | ||
{ | {असंबद्ध बताइए- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-191,प्रश्न-52 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -नाग जी पटेल | ||
- | -शंखो चौधरी | ||
+ | -महेन्द्र पांड्या | ||
+ज्योति भट्ट | |||
|| | ||ज्योति भट्ट, प्रिंट मेंकिंग और ग्रामीण [[भारतीय संस्कृति]] की फोटोग्राफी के लिए जाने जाते हैं और बाकी तीनों मूर्तिकार हैं। | ||
{ | {जैन लद्युचित्रों का प्रमुख क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-43,प्रश्न-2 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | +तीर्थंकर और उनकी जीवनी | ||
- | -पशु-पक्षी | ||
- | -शासक | ||
-मानव | |||
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||'कल्पसूत्र' नामक जैन ग्रंथों में तीर्थंकरों (पार्श्वनाथ, महावीर स्वामी आदि) का जीवन चरित वर्णित है। भद्रबाहु इसके रचयिता माने जाते हैं। कल्पसूत्र ग्रंथों के चित्रण जैन शैली में हुए। इस ग्रंथ की रचना महावीर स्वामी के निर्वाण के 150 वर्ष बाद हुई मानी जाती है। | |||
{इनमें से कौन असंबद्ध है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-50,प्रश्न-22 | |||
|type="()"} | |||
-बूंदी शैली | |||
-जयपुर शैली | |||
-किशनगढ़ शैली | |||
+आगरा शैली | |||
||बूंदी शैली, जयपुर शैली तथा किशनगढ़ शैली का संबंध राजस्थानी चित्रकला शैली से है जबकि [[चित्रकला]] की आगरा शैली का कोई अस्तित्व नहीं है। | |||
{मुगल चित्रों में सर्वश्रेष्ठ शबीह किसके समय की है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-60,प्रश्न-32 | |||
|type="()"} | |||
-[[अकबर]] | |||
-[[शाहजहां]] | |||
-[[औरंगजेब]] | |||
+[[जहांगीर]] | |||
||मुगल चित्रों में सर्वश्रेष्ठ शबीह (हूबहू व्यक्ति चित्र) [[जहांगीर]] के शासन काल की हैं। जहांगीर को अपना चित्र बनवाने का बड़ा शौक था। अबुल हसन ने जहांगीर के सिंहासनारोहण का एक चित्र बनाया था जो तुजुक-ए-जहांगीरी में मुख्य पृष्ठ पर लगा दिया गया। बादशाह इस चित्र को प्रत्येक दृष्टि से पूर्ण समझता था और उसे युग के सर्वश्रेष्ठ चित्रों में मानता था। | |||
{'वाकायत-ए-बाबरी' की [[अकबर]] कालीन प्रति में कितने हिंदू चित्रकारों का उल्लेख है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-68,प्रश्न-78 | |||
|type="()"} | |||
-तीन | |||
+उन्नीस | |||
-सात | |||
-तेरह | |||
||वाकायत-ए-बाबरी की अकबर कालीन प्रति में उन्नीस उच्च कोटि के [[हिंदू]] और तीन उच्च कोटि के [[मुसलमान]] चित्रकारों का बर्णन है। | |||
{किस स्थापत्यविद ने 'शहीद स्मृति' का निर्माण किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-80,प्रश्न-26 | |||
|type="()"} | |||
-प्रदोष दास गुप्ता | |||
+देवी प्रसाद रायचौधरी | |||
-रामकिंकर बैज | |||
-धनराज भगत | |||
||शहीद स्मारक पटना में स्थित है जिसमें 7 वीर पुरुषों की कांस्य प्रतिभा लगी है। 1942 में असहयोग आंदोलन के दौरान पुराने सचिवालय भवन पर कांग्रेसी झंडा लहराया था। इस 'शहीद स्मृति' का निर्माण पटना में देवी प्रसाद रायचौधरी ने किया था। जिसमें यह दिखाया गया है कि एक वीर पुरुष झंडा ले जा रहा है तथा 6 अन्य ब्रिटिश पुलिस की गोली लगने से नीचे गिर गए हैं। | |||
{ | {रबीन्द्रनाथ टैगोर की पहचान किस रूप में नहीं है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-85,प्रश्न-58 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -चित्रकार | ||
- | -कवि | ||
- | +मूर्तिकार | ||
-कहानीकार | |||
|| | ||रबीन्द्रनाथ टैगोर कवि, नाटककार, उपन्यासकार, संगीतज्ञ, अभिनेता, विचारक, दार्शनिक एवं चित्रकार विधाओं में पारंगत थे। उनकी पहचान मूर्तिकार के रूप में नहीं है। | ||
{ | {टर्नर किस वाद के कलाकार हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-117,प्रश्न-11 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | +प्रभाववाद | ||
-अभिव्यंजनावाद | |||
- | -यथार्थवाद | ||
- | -अतियथार्थवाद | ||
|| | ||इंग्लैंड के भू-दृश्य (लैंडस्केप) चित्रकारों में जोसेफ मैलॉर्ड विलियम टर्नर (1775-1851 ई.) को अद्भुत प्रतिभाशाली एवं संयमी कलाकार माना जाता है। उनका कार्य प्रभाववादियों के लिए एक रोमांटिक प्रस्तावना के रूप में जाना जाता है। वह अपने तैल चित्रों के लिए प्रसिद्ध थे। वर्ष 1839 में उनके द्वारा चित्रित चित्र 'द फाइटिंग टेंपरेरी' तैलीय माध्यम में बनी हुई है। वह ब्रिटिश वाटरकलर लैंडस्केप चित्रकारी के महानतम पुरोधा भी थे। टर्नर ने अपनी कला के द्वारा प्रकाश का प्रयोग विकसित किया। | ||
{'यद्यपि' पेंटिगों की एक शृंखला है, जो बनाई गई हैं इनके द्वारा- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-146,प्रश्न-60 | |||
|type="()"} | |||
-अंजली एला मेनन | |||
-रामकुमार | |||
+रामचंद्रन नायर | |||
-बी.सी. सान्याल | |||
||'ययाति' पेंटिगों की शृंखला अच्युतन रामचंद्रन नायर द्वारा बनाई गई है। | |||
</quiz> | </quiz> | ||
|} | |} | ||
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12:21, 2 नवम्बर 2017 का अवतरण
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