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| {निम्नलिखित में से शक्ति संतुलन की विशेषता कौन-सी नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-195,प्रश्न-15
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| -इतिहासकार शक्ति संतुलन को वस्तुनिष्ठ दृष्टि से देखता है जबकि राजनीतिज्ञ उसे व्यक्तिनिष्ठ दृष्टि से देखता है।
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| -शक्ति-संतुलन की नीति गतिशील होती है।
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| +शक्ति-संतुलन की स्थापना स्वत: हो जाती है।
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| -विश्व के राष्ट्रों के बीच शक्ति-संतुलन सदैव बना रह सकता है।
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| ||'शक्ति संतुलन अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के सबसे पुराने व महत्त्वपूर्ण सिद्धांतों में से एक है। शक्ति संतुलन की निम्नलिखित मुख्य विशेषताएं हैं- (1) इतिहासकार शक्ति संतुलन को वस्तुनिष्ठ दृष्टि से देखता है जबकि राजनीतिज्ञ उसे व्यक्तिनिष्ठ दृष्टि से देखता है। (2) इसकी स्थापना हेतु राज्यों/राष्ट्रों को सदैव प्रयत्नशील रहना पड़ता है। (3) शक्ति संतुलन की नीति गतिशील होती है। (4) शक्ति संतुलन मात्र बड़े राष्ट्रों द्वारा किया जाता है। (5) शक्ति संतुलन की स्थापना स्थायी रूप से भी हो सकती है।
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| {'ए थ्योरी ऑफ़ जस्टिस' किसने लिखी है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-202,प्रश्न-12
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| +जॉन राल्स ने
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| -[[जवाहर लाल नेहरू]] ने
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| -[[भीमराव अम्बेडकर]] ने
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| -लॉक ने
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| ||'ए थ्योरी ऑफ़ जस्टिस' के लेखक जॉन राल्स हैं। राजनीतिक दर्शन एवं नीतिशास्त्र की यह पुस्तक वर्ष 1971 में प्रकाशित हुई।
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| {आदर्शवाद है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-10,प्रश्न-35
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| +राज्य का समर्थक
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| -राज्य के विरुद्ध
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| -राज्य व व्यक्ति का समर्थक
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| -व्यक्ति का समर्थक
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| ||आदर्शवादी विचारक राज्य के समर्थक है। आदर्शवादी राज्य को नैतिक संस्था मानते हुए व्यक्ति के पूर्ण विकास के लिए आवश्यक मानता है। काण्ट, हीगल, ग्रीन, ब्रैडले, बोसांके आदि विचारकों द्वारा प्रमुख रूप से इसका समर्थन किया गया, परंतु इस सिद्धांत का चरमोत्कर्ष हमें हीगल की विचारधारा में मिलता है।
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| {लोक संप्रभुता के दर्शन को सर्वप्रथम किसने प्रतिपादित किया था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-24,प्रश्न-12
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| -हॉब्स
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| -लॉक
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| +रूसो
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| -मिल
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| ||लोक संप्रभुता के दर्शन को सर्वप्रथम रूसो ने प्रतिपादित किया था। रूसो के अनुसार, मनुष्य आपस में समझौता करके ही सत्ता या प्रभुसत्ता की स्थापना करते हैं। परंतु यह प्रभुसत्ता किसी ऐसे शासक की विशेषता नहीं होती जिसका अस्तित्व समाज से अलग या समाज के बाहर हो, बल्कि यह जनसाधारण के पास ही रहती है। इस तरह रूसो ने लोकप्रिय प्रभुसत्ता के विचार को बढ़ावा दिया।
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| {[[अरस्तू]] की नागरिकता की अवधारणा लागू करने पर- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-34, प्रश्न-22
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| +केवल कुछ भारतवासी भारत के नागरिक, [[भारत]] के माने जाएंगे
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| -भारतीय मूल के सभी लोग (PIOs) भारत के नागरिक माने जाएंगे
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| -सभी अनिवासी भारतीय (NRIs) भारतीय नागरिक बनेंगे
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| -उपर्युक्त में कोई नहीं
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| ||अरस्तू की नागरिकता की अवधारणा लागू करने पर केवल कुछ भारतवासी भारत के नागरिक, भारत के माने जाएंगे क्योंकि अरस्तू ने राज्य में निवास करते हुए भी नागरिक न होने की चार दशाएं बतलाई हैं जो इस प्रकार है- 1. किसी राज्य में निवास करने से नागरिकता नहीं मिलती है क्योंकि स्त्री बच्चे, दास और विदेशी को नागरिक नहीं माना जाता है। 2. किसी पर अभियोग चलाने का अधिकार रखने वाले व्यक्ति को नागरिक नहीं माना जा सकता है क्योंकि संधि के द्वारा यह अधिकार किसी विदेशी को भी प्राप्त हो सकता है। 3. उन व्यक्तियों को नागरिक नहीं माना जा सकता जिनके माता-पिता दूसरे राज्य के नागरिक हों। 4. निष्कासित तथा मताधिकार से वंचित व्यक्ति को भी राज्य का नागरिक नहीं माना जा सकता है।
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| {किसने कहा "आदमी के लिए युद्ध वही है जो औरत के लिए मातृत्व है"? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-42,प्रश्न-13
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| -[[कार्ल मार्क्स]]
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| -हीगल
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| +मुसोलिनी
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| -लेनिन
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| ||फॉसीवाद युद्ध को मानवता का विरोधी नहीं बल्कि राज्यों की सेहत बनाने वाला व्यायाम मानता है। मुसोलिनी ने कहा है कि "युद्ध राज्य के लिए वैसा ही है जैसा कि नारी के लिए मातृत्व।" शान्ति का नारा उत्साहहीन कमजोर तथा नपुंसक देश देते हैं। युद्ध की आग में तपकर ही शक्तिशाली राष्ट्र सोना बनते हैं।
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| {निम्न में से किस एक को आधुनिक लोकतंत्र में 'अदृश्य साम्राज्य' कहा जाता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-48,प्रश्न-23
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| -राजनीतिक दल
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| +दबाव समूह
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| -जनसंचार माध्यम
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| -[[समाचार पत्र|समाचार-पत्र]]
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| ||आधुनिक लोकतंत्र में 'अदृश्य सरकार' 'दबाव समूह' को कहा जाता है। डी.डी. मेक्किन दबाव समूह को 'अदृश्य सरकार' कहता है। दबाव समूह एक प्रकार के अनौपचारिक संगठन हैं जो अपने हितों की पूर्ति हेतु राजनीति को प्रभावित करते हैं।
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| {"कानून संप्रभु का आदेश है।" यह किसका कथन है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-68,प्रश्न-25
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| +जॉन ऑस्टिन का
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| -सालमंड का
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| -हालैंड का
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| -ग्रीन का
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| ||जॉन ऑस्टिन के अनुसार "कानून उच्चतर द्वारा निम्नतर को दिया गया आदेश है।" या "कानून संप्रभु की आज्ञा (आदेश) है।" ऑस्टिन के कानून की इस परिभाषा में तीन तत्व निहित है- (1) संप्रभुता (2) आदेश (समादेश) (3) शास्ति-अर्थात संप्रभु के आदेश की अवहेलना करने वाले को दण्ड देने की शक्ति। इस प्रकार ऑस्टिन ने कानून को संप्रभु का आदेश (समादेश) माना है। ऑस्टिन ने अपनी पुस्तक में संप्रभुता की एकलवादी अवधारणा का प्रतिपादन किया है।
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| {[[चीन]] के नेताओं की [[भारत]] यात्रा के दौरान किस स्थानों पर चीनी सेनाओं की घुसपैठ पर समस्या हुई? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-112,प्रश्न-13
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| |type="()"}
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| -[[लद्दाख]] के न्वांग और [[अरुणाचल]] के डेप्सांग में
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| +लद्दाख के डेप्सांग और चुमार में
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| -लद्दाख के चुमार और अरुणाचल के डेप्सांग में
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| -उपर्युक्त में कोई नहीं
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| ||प्रश्नकाल के दौरान चीन के नेताओं की [[भारत]] यात्रा के समय जिन स्थानों पर घुसपैठ की समस्या हुई थी, [[जम्मू-कश्मीर]] राज्य के लद्दाख क्षेत्र में आते हैं और उनके नाम डेप्सांग और चुमार हैं।
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| {अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में कितने न्यायाधीश होते हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-120,प्रश्न-14
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| -20
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| -21
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| -22
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| +15
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| ||[[संयुक्त राष्ट्र संघ]] के घोषणा-पत्र के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने के उद्देश्य से एक अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय की स्थापना का प्रावधान रखा गया। अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में 15 सदस्य होते हैं जो महासभा एवं सुरक्षा परिषद द्वारा निर्वाचित किए जाते हैं। इनका कार्यकाल 9 वर्षों का होता है। अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का मुख्यालय हेग (नीदरलैंड) में है। अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में गणपूर्ति (कोरम) के लिए कम से कम न्यायाधीशों की संख्या 9 होनी चाहिए।
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| {निम्नलिखित में से कितने अधिकारी तंत्र (नौकरशाही) को विवेकपूर्ण विविध सत्ता के रूप में चित्रित किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-134,प्रश्न-34 | | {निम्नलिखित में से कितने अधिकारी तंत्र (नौकरशाही) को विवेकपूर्ण विविध सत्ता के रूप में चित्रित किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-134,प्रश्न-34 |