"प्रयोग:कविता बघेल 3": अवतरणों में अंतर

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{घनवाद का प्रथम चित्र किसका था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-126,प्रश्न-10
|type="()"}
-एडवर्ड मंच
-जॉर्ज रूओल
+[[पाब्लो पिकासो]]
-मातिस
||[[पाब्लो पिकासो|पिकासो]] व ब्राक ने घनवाद को विकसित किया। संभवत: घनवाद का उदय ([[1907]] ई.) पिकासो के सुविख्यात चित्र 'एविगनन की स्त्रियां' (सुंदरियां) ([[1907]] ई.) से हुआ जो कि घनवाद का प्रथम चित्र माना जाता है। यह चित्र एविगनन के वेश्यालय से संबंधित हैं। इससे सम्बंधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) पिकासो का चित्र 'बेंत की कुर्सी पर वस्तु समूह' ([[1912]]) घनवाद की प्रथम कोलाज कृति है। (2) आकारों के सामर्थ्य को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पिकासो ने चमकीले रंगों को छोड़कर [[भूरा रंग|भूरे रंगों]] का प्रयोग किया। (3) पिकासो ने [[चित्रकला]] के अतिरिक्त [[मूर्तिकला]], एंग्रेविंग, लीथोग्राफी, सरैमिक्स, कोलाज आदि भिन्न माध्यमों से उत्कृष्ट कलाकृतियों का निर्माण किया। (4) मजाकिया, मुर्गा, धातु की रचना, बिल्ली, बकरी तथा भेड़वाला आदमी आदि पिकासो के मूर्ति शिल्प हैं। (5) पिकासो के प्रमुख चित्र हैं- वायलिन, माता व बालक (मैटरनिटी), युद्ध, शांति आदि।


{'पेरिस का निर्णय' का कलाकार कौन था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-139,प्रश्न-10
|type="()"}
+पीटर पॉल रूबेन्स
-रेम्ब्रां
-डेविड
-कुर्बे
||पीटर पॉल रूबेन्स ने [[बाइबिल]] के विषयों को मानवतावादी दृष्टि से अनुदित किया। रूबेन्स ने बाइबिल की कथाओं, घटनाओं और प्राकृतिक जीवन का चित्रण किया। इससे सम्बंधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) पीटर पॉल रूबेन्स का जन्म सन् 1577 में [[जर्मनी]] में हुआ था। (2) रूबेन्स ने 1612 ई. में 'ईसा का सूली से उतारा जाना' नामक चित्र बनाया, जिसे उनकी सर्वोत्तम कृति मानी जाती है। (3) इन्होंने 1609-10 ई. में 'क्रॉस का खड़ा किया जाना' नामक चित्र बनाया यह भी इनकी अद्वितीय कृति थी। (4) रूबेन्स ने एण्टवर्प के टाउन हाल हेतु 'मैजाइ की वंदना' नामक चित्र बनाया जिसमें मानवाकार की 28 आकृतियां हैं। (5) रूबेंस एक बैरोक चित्रकार (Flemish Baroque Painter) था। (6) पेरिस का निर्णय (The Judgement of paris) रूबेन्स की पेंटिंग है।


{भारतीय सौंदर्यशास्त्र के प्रथम दार्शनिक कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-152,प्रश्न-10
|type="()"}
-भट्टलोल्लट
-[[अभिनवगुप्त]]
+[[भरत मुनि]]
-[[आनन्दवर्धन]]
||भारतीय सौन्दर्य के प्रथम दार्शनिक [[भरत मुनि]] थे। इन्होंने '[[नाट्यशास्त्र]]' नामक ग्रंथ का प्रतिपादन किया जो सर्वाधिक प्राचीनतम ग्रंथ है। इस ग्रंथ में [[रंगमंच]] एवं अभिनय के माध्यम से [[रस]] के स्वरूप, उनकी निष्पत्ति एवं अनुभूति के विषय में सविस्तार वर्णन किया गया है।
{'[[शांत रस]]' पहली बार किसने प्रस्तुत किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-155,प्रश्न-10
|type="()"}
-[[भरत मुनि]]
-[[वात्स्यायन]]
-[[मार्कण्डेय|मार्कण्डेय मुनि]]
+[[अभिनवगुप्त]]
||[[भरत मुनि]] ने आठ प्रकार के [[रस|रसों]] का वर्णन किया है। [[अभिनवगुप्त|अभिनव गुप्त]] ने '[[शांत रस]]' को नवां रस माना है। अत: अभिनव गुप्त ने 'शान्त रस' को पहली बार प्रस्तुत किया। इससे सम्बंधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) सुनीति शतक में आचार्य विद्यासागर ने लिखा है, "जिस प्रकार तिलक के बिना चंद्रमुखी, उद्यम के बिना देश, सम्यक दृष्टि के बिना मुनि का चरित्र सुशोभित नहीं होता, उसी प्रकार 'शांत रस' के बिना कवि सुशोभित नहीं होता।"
{A4 [[काग़ज़]] का वास्तविक माप क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-167,प्रश्न-10
|type="()"}
+201x297 मि.मी.
-297x420 मि.मी.
-210x287 मि.मी.
-228x287 मि.मी.
||A4 [[काग़ज़]] का प्रयोग ऑफ़िस तथा स्टेशनरी आदि कार्यों के लिए किया जाता है। A4 काग़ज़ का वास्तविक माप 201x297 मि.मी. है। अन्य माप के काग़ज़ों का वास्तविक माप इस प्रकार है- A0 काग़ज़ का वास्तविक माप 841x1189 मि.मी. है।, A1 काग़ज़ का वास्तविक माप 594x841 मि.मी. है।, A2 काग़ज़ का वास्तविक माप 420x594 मि.मी. है।, A3 काग़ज़ का वास्तविक माप 297x420 मिमी. तथा A5 काग़ज़ का वास्तविक माप 148x210 मिमी. है। A0 सबसे बड़े माप का होता है जबकि A5 नोट पैड के लिए तथा A6 पोस्टकार्ड की माप होती है।
{भारतीय चित्र षडंग के सूत्रधार कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-178,प्रश्न-10
|type="()"}
+[[यशोधर पंडित|पंडित यशोधर]]
-[[बाणभट्ट]]
-[[भास]]
-[[शुक्राचार्य]]
||ईसा पूर्व पहली शताब्दी के लगभग षडंग चित्रकला (छ: अंगों वाली कला) का विकास हुआ। [[यशोधर पंडित]] ने '[[जयमंगला]]' नाम से टीका की। कामसूत्र के प्रथम अधिकरण के तीसरे अध्याय की टीका करते हुए पंडित यशोधर ने आलेख (चित्रकला) के छ: अंग बताए हैं- '''रूपभेदा: प्रमाणिनि भावलावण्ययोजनम्। यादृश्यं वर्णिकाभंग इति चित्र षडंगकम्॥''' अर्थात रूपभेद, प्रमाण (सही नाप और संरचना आदि), भाव (भावना), लावण्ययोजना, सादृश्य विधान तथा वर्णिकाभंग ये छ: अंग हैं।
{[[विश्व फोटोग्राफी दिवस]] कब मनाया जाता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-182,प्रश्न-10
|type="()"}
-[[5 सितंबर]]
+[[19 अगस्त]]
-[[14 नवंबर]]
-[[7 दिसंबर]]
||विश्व फोटोग्राफी दिवस [[19 अगस्त]] को मनाया जाता है। विश्व फोटोग्राफी लुईस देगुरे द्वारा विकसित एक फोटोग्राफिक प्रक्रिया 'देगुरियोटाइप' की खोज से उत्पन्न हुई। [[9 जनवरी]], 1839 को 'फ़्रेच एकेडमी ऑफ़ साइंसेज ने 'देगुरियोटाइप' की घोषणा की। कुछ महीने बाद [[19 अगस्त]], 1819 को [[फ़्राँस]] की सरकार की घोषणा के बाद यह खोज विश्व को उपहार में मिला।
{[[शेरशाह सूरी]] का प्रसिद्ध मक़बरा कहाँ है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-188,प्रश्न-41
|type="()"}
-[[कलकत्ता]]
-[[दिल्ली]]
-[[अजमेर]]
+[[सासाराम]]
||[[शेरशाह सूरी]] का प्रसिद्ध मक़बरा '[[सासाराम]]' ([[बिहार]]) में है। शेरशाह सूरी ने शासनिक, प्रशासनिक और सामरिक दृष्टि से [[गंगा]] के मैदानों के किनारे-किनारे अनेक सड़कों का निर्माण कराया था। उसने [[ग्रैंड ट्रंक रोड]] का निर्माण कराया जो [[कलकत्ता]] से [[पेशावर]] तक जाती है।
{निम्न में से कौन कला समीक्षा से संबंधित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-196,प्रश्न-81
|type="()"}
-के.एस. कुलकर्णी
-रामेश्वर बरूटा
+रतन परिमू
-हिम्मत शाह
||रतन परिमू कला समीक्षा से संबंधित हैं। वह एक प्रसिद्ध कला अध्यापक, इतिहासकार एवं समीक्षक है। अपनी इन्हीं प्रतिभाओं के आधार पर उन्होंने वर्ष [[1968]] में [[ऑस्ट्रेलिया]] में आयोजित [[कला]] के माध्यम से शिक्षा की अंतर्राष्ट्रीय सोसाइटी के तेईसवें विश्व कांग्रेस में प्रतीभाव किया। उन्होंने वर्ष [[2010]] में समकालीन भारतीय कला [[1880]]-[[1947]] के ऐतिहासिक विकास का संपादन किया। उनके प्रकाशनों में शामिल हैं- 'Painting of three Tagore's in Modern Indian art' तथा 'Sculptures of Sheshasayi Vishnu' इत्यादि।
{वास्तु-विद्या और सृजन के [[देवता]] कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-196,प्रश्न-83
|type="()"}
-[[विष्णु]]
-[[इन्द्र]]
+[[विश्वकर्मा]]
-[[गणेश]]
||[[अग्नि पुराण]] 15,400 [[छंद|छंदों]] से युक्त है और [[वास्तुशास्त्र]] तथा रत्नशास्त्र (Gemology) के विवरण प्रस्तुत करता है, अग्नि पुराण में कलाकार को [[ब्रह्मांड]] का वास्तुकार (विश्वकर्मण) कहा गया है। वास्तु-विद्या और सृजन (निर्माण) के [[देवता]] [[विश्वकर्मा]] थे।
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12:00, 18 जनवरी 2018 के समय का अवतरण