"ईथेलरेड प्रथम": अवतरणों में अंतर
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'''ईथेलरेड प्रथम''' (866-71) वेसेक्स और केंट का राजा, जिसका सारा जीवन डेनों से लड़ते बीता। उसके गद्दी पर बैठने के साल ही डेनों ने अपनी एक बड़ी सेना ईस्ट ऐंग्लिया में उतार दी और दो साल बाद जो स्वयं ईथेलरेड के साथ उनका युद्ध शुरू हुआ वह 871 ई. में उसके मरने पर भी खत्म नहीं हुआ। कभी हार कभी जीत उसके हिस्से पड़ी और अंत: में संभवत: लड़ाई में खाई चोट से ही ईथेलरेड की जान गई।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड | '''ईथेलरेड प्रथम''' (866-71) वेसेक्स और केंट का राजा, जिसका सारा जीवन डेनों से लड़ते बीता। उसके गद्दी पर बैठने के साल ही डेनों ने अपनी एक बड़ी सेना ईस्ट ऐंग्लिया में उतार दी और दो साल बाद जो स्वयं ईथेलरेड के साथ उनका युद्ध शुरू हुआ वह 871 ई. में उसके मरने पर भी खत्म नहीं हुआ। कभी हार कभी जीत उसके हिस्से पड़ी और अंत: में संभवत: लड़ाई में खाई चोट से ही ईथेलरेड की जान गई।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=27 |url=}}</ref> | ||
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09:18, 29 जून 2018 के समय का अवतरण
ईथेलरेड प्रथम (866-71) वेसेक्स और केंट का राजा, जिसका सारा जीवन डेनों से लड़ते बीता। उसके गद्दी पर बैठने के साल ही डेनों ने अपनी एक बड़ी सेना ईस्ट ऐंग्लिया में उतार दी और दो साल बाद जो स्वयं ईथेलरेड के साथ उनका युद्ध शुरू हुआ वह 871 ई. में उसके मरने पर भी खत्म नहीं हुआ। कभी हार कभी जीत उसके हिस्से पड़ी और अंत: में संभवत: लड़ाई में खाई चोट से ही ईथेलरेड की जान गई।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 27 |