"सातवाहन वंश": अवतरणों में अंतर
छो (1 अवतरण) |
No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
==सातवाहन / Satvahan== | ==सातवाहन / Satvahan== | ||
{| width="100%" | {| width="100%" | ||
पंक्ति 7: | पंक्ति 6: | ||
|- | |- | ||
|} | |} | ||
[[Category:इतिहास कोश]] | [[Category:इतिहास कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
07:24, 27 मार्च 2010 का अवतरण
सातवाहन / Satvahan
सातवाहन भारत का एक राजवंश था । जिसने केन्द्रीय दक्षिण भारत पर शासन किया । इस वंश का आरंभ सिभुक अथवा सिंधुक नामक व्यक्ति ने दक्षिण में कृष्णा और गोदावरी नदियों की घाटी में किया था। इसे आंध्र राजवंश भी कहते हैं। वंश के संस्थापक विभुक ने 60 ई॰पू0 से 37 ई॰पू0 तक राज्य किया। उसके बाद उसका भाई कृष्ण और फिर कृष्ण का पुत्र सातकर्णी प्रथम गद्दी पर बैठा। इसी के शासनकाल में सातवाहन वंश को सबसे अधिक प्रतिष्ठा प्राप्त हुई। वह ,खारवेल का समकालीन था। उसने गोदावरी के तट पर प्रतिष्ठानगर को अपनी राजधानी बनाया। इस वंश में कुल 27 शासक हुए। ये हिंदू धर्म के अनुयायी थे। साथ ही इन्होंने बौद्ध और जैन विहारों को भी सहायता प्रदान की। यह मौर्य वंश के पतन के बाद शक्तिशाली हुआ 8 वीं सदी ईसा पूर्व में इनका उल्लेख मिलता है । अशोक की मृत्यु (सन् 232 ईसा पूर्व) के बाद सातवाहनों ने स्वयं को स्वतंत्र घोषित कर दिया था । |