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:2. अत्यधिक, अधिक;-'''वासिन्''' ([[पुल्लिंग]]) जो विद्यार्थी की भांति लगातार अपने गुरु के साथ रहता है;-'''संयोगः''' 1. अति सामीप्य, अबाध नैरन्तर्यः कालाध्वनोरत्यन्तसंयोगे- ; 2. अवियोज्य सहअस्तित्व।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश|लेखक=वामन शिवराम आप्टे|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=24|url=|ISBN=}}</ref> | ::2. अत्यधिक, अधिक;-'''वासिन्''' ([[पुल्लिंग]]) जो विद्यार्थी की भांति लगातार अपने गुरु के साथ रहता है;-'''संयोगः''' 1. अति सामीप्य, अबाध नैरन्तर्यः कालाध्वनोरत्यन्तसंयोगे- ; 2. अवियोज्य सहअस्तित्व।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश|लेखक=वामन शिवराम आप्टे|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=24|url=|ISBN=}}</ref> | ||
11:23, 26 अगस्त 2023 के समय का अवतरण
अत्यन्त (विशेषण) [अतिक्रान्तः अन्तम् सीमान्-प्रा. स.]
- 1. बेहद, अत्यधिक, अधिक, बहुत बड़ा, बहुत बलवान्; °वैरम्-बड़ी शत्रुता, इसी प्रकार °मैत्री
- 2. संपूर्ण, पूरा, नितांत
- 3. अनन्त, नित्य, चिरस्थायी; किं वा तबात्यन्तवियोगमोघे हतजीविते-रघुवंश 14/65; कस्यात्यन्तं सुखमपनतम्-मेघ. 109,
-तं (अव्य.)
- 1. अत्यधिक, बहुत अधिक
- 2. हमेशा के लिए आजीवन, जीवनभर
सम.-अभावः (अत्यन्ताभावः) किसी वस्तु का एकदम न होना, सत्ता की नितान्त शून्यता, नितान्त अनस्तित्व,
-गत (विशेषण) सदा के लिए गया हुआ, जो फिर कभी न आयेगा, कथ-मत्यन्तगता न मां दहेः-रघुवंश 8/56,
-गामिन् (विशेषण)
इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 24 |
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