बादाम

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परिचय

बादाम एक ऐसा फल है, जो सदा से ही बहुत उत्तम माना जाता रहा है। इसमें प्रोटीन और वसा शरीर की धातुओं को पुष्ट बनाने के लिए लाभकारी है। बादाम का तेल न्यूरोटॉनिक या दिमाग के स्वास्थ्य के लिए परम उपयोगी होता है।

बादाम को अंग्रेजी में आलमांड कहते हैं। वनस्पति शास्त्र में इसे प्रूनस-एडिमडगेलस कहते हैं। यह ड्रुप जाति का फल है, यह पंजाब एवं कश्मीर में ज्यादा पैदा होता है। हरे बादाम ज्यादा पौष्टिक माने जाते हैं पर वे ज्यादा देर तक नहीं रखे जा सकते।

अफगानिस्तान, इराक और अमेरिका के बादाम जगत प्रसिध्द हैं। आस्ट्रेलिया, कैलिफोर्निया, अफ्रीका, भारत भी बादाम उत्पादन वाले राष्ट्र हैं। यदि बादाम मीठा हो तो मन एवं मस्तिष्क को आनंद मिलता है। यदि कड़वा हो तो हम तुरंत थूक देते हैं। कड़वा बादाम शरीर में जाकर बेचैनी पैदा करता है। इससे बचना चाहिए।

बादाम के पेड़

बादाम के पेड़ पर्वतीय क्षेत्रों में अधिक पाये जाते हैं। इसके तने मोटे होते हैं। इसके पत्ते लम्बे, चौडे़ और मुलायम होते हैं। इसके फल के अंदर की मींगी को बादाम कहते हैं। बादाम के पेड़ एशिया में ईरान, ईराक, सउदी अरब, आदि देशों में अधिक मात्रा में पाये जाते हैं। हमारे देश में जम्मू कश्मीर में इसके पेड़ पाये जाते हैं। इसका पेड़ बहुत बड़ा होता है। बादाम की दो जातियां होती हैं एक कड़वी तथा दूसरी मीठी। बादाम पौष्टिक होती है। बादाम का तेल भी निकाला जाता है। कड़वी बादाम हमें उपयोग में नहीं लानी चाहिए क्योंकि यह शरीर के लिए हानिकारक होती है।

बादाम के प्रकार

कच्चा बादाम :- यह दस्तावर है। इसमें भारीपन होता है। पित्त को उत्तेजित करता है। यह कफ और वायु की बीमारियों को खत्म करता है।

पक्का बादाम :- पक्का बादाम मीठा और चिकना होता है। इससे वीर्य में वृद्धि होती है और वीर्य गाढ़ा होता है। यह कफ को पैदा करता है और रक्त पित्त और वातपित्त को समाप्त करता है।

सूखा बादाम :- यह मीठा होता है और धातु में वृद्धि करता है। यह शरीर को सुन्दर व शक्तिशाली बनाता है, पित्त को उत्तेजित करता है तथा वात पित्त और कफ को नष्ट करता है।

गुण :- बादाम गर्म, चिकना, वीर्य को बढ़ाने वाला तथा वात नाशक होती है। मीठी भीगी बादाम वीर्यवर्द्धक होती है तथा पित्त एवं वात को खत्म करती है तथा कफ को बढ़ाती है। इसका उपयोग रक्तपित्त के रोगियों के लिए हानिकारक होता है।

कागजी बादाम बहुत महंगे और स्वादिष्ट होते हैं, लेकिन नकली कागजी बादाम भी बनाए जाते हैं। बादाम का छिलका एसिड में भिगोकर नर्म और लिया जाता है, उसे कागजी बादाम की श्रेणी में रख दिया जाता है। बादाम का तेल निकालकर व दाम की खाली गाय, भैंस को देने से जानवर दूध ज्यादा देते हैं।

मीठा बादाम

यह बाहर से लाल तथा अंदर से सफेद रंग का होता है। यह मीठा और स्वादिष्ट होता है। यह गर्म होता है। यह शरीर में देर से पचता है। शक्कर, मीठा बादाम के दोषों को दूर करता है। चिलगोजे से बादाम की तुलना की जा सकती है। मात्रा : 1 ग्राम से 3 ग्राम तक।

स्वरूप :- बादाम के पेड़ बहुत ऊंचे होते हैं। इसके पेड़ अफगानिस्तान और मालद्वीप में अधिक पाये जाते हैं। इसके पत्ते लम्बे और गोल तथा फूल छोटे-छोटे होते हैं। इसके फल के अंदर जो बीज पाया जाता है उसे ही बादाम कहते हैं।

गुण :- यह दिमाग और शरीर को स्वस्थ, सुन्दर और बलवान बनाता है, आंखों की रोशनी को बढ़ाता है, स्वभाव और आवाज को विनम्र व कोमल बनाता है। इससे हृदय को लाभ मिलता है। इसके उपयोग से शरीर में गाढ़ा और पुष्ट वीर्य पैदा होता है, सूखी खांसी के लिए यह लाभदायक होता है, सूजन को मिटाता है, शरीर के मोटापे को बढ़ाता है और रोगों को दूर करता है।

कड़वा बादाम

कड़वा बादाम का रंग सुर्ख (हल्का लाल और पीलापन) और अंदर सफेद रंग का होता है। कड़वा बादाम का स्वाद कड़वा होता है। कड़वा बादाम, बादाम की ही जाति है। कड़वा बादाम गर्म होता है। कड़वा बादाम का अधिक मात्रा में उपयोग आंतों के लिए हानि पहुंचाता है। चीनी, मिश्री, मीठे बादाम का तेल, कड़वा बादाम के गुणों को सुरक्षित रखता है एवं कड़वा बादाम में सम्मिलित दोषों को दूर करता है। कड़वे बादाम की तुलना भी चिलगोजे से की जा सकती है। मात्रा : 3 ग्राम।

गुण :- कड़ुवा बादाम का प्रयोग सूजनों को ठीक करने में किया जाता है। यह शरीर के अंदर खराब खून को बिल्कुल साफ कर देता है जिससे चर्म रोगों (त्वचा संबन्धी रोगों) से छुटकारा मिलता है। इसका उपयोग सूखी और सर्द दोनों प्रकार की खांसियों के लिए लाभदायक होता है। यह छाती की हलचल (खरखराहट) और फेफड़ों की सूजन को खत्म करता है। हृदय की बीमारी और कामला (पीलिया) को ठीक करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। यह पथरी को भी गलाता है। 4 ग्राम कड़वा बादाम शहद के साथ खाने पर पागल कुत्ते के काटने का जहर समाप्त हो जाता है।

बादाम का तेल

इससे पुरुषों की पौरुष शक्ति में वृद्धि होती है। यह दिमाग के सभी रोगों को दूर करके उसे मजबूत बनाता है। इससे चेहरा सुन्दर और चमकदार हो जाता है। यह प्रमेह उत्पन्न करता है एवं शीतलता प्रदान करता है।

बादाम के तेल में एक विशेष प्रकार की गंध होती है, जो इसमें एक रसायन के कारण होती है। उसको एमिलडेलीन कहते हैं। कई बादाम खाने में कड़वे होते हैं, उनमें ग्लूकोसाइड एवं एमिग्डेलीन की मात्रा ज्यादा होती है। वह प्रूसिक अम्ल में परिवर्तित हो जाते हैं, तो कड़वाहट लाते हैं।

बादाम का तेल निकालना :- बादाम को छीलकर थोड़ी देर तक पानी में रखकर उसके छिलके निकाल देते हैं और उसमें थोड़ी सी मिश्री बारीक मिलाकर पीस लेते हैं। इसके बाद उसे हाथ में लेकर दबाने से तेल निकलता है। यह तेल दिमाग को हल्का और ठंडा रखता है।

बादाम का हानिकारक प्रभाव

कड़वे बादाम में एक प्रकार का जहर होता है अत: यह ध्यान रखा जाना आवश्यक है कि इसका खाने में उपयोग न किया जाए। इसके अतिरिक्त रक्तविकार से पीड़ित लोगों के लिए लोगों के भी बादाम का सेवन लाभकारी नहीं है।

बादाम का उपयोग खानपान में

बादाम को हलुआ, पुडिंग और खीर, आइसक्रीम, बर्फी या किसी भी मिठाई में डालें तो आप मनचाहा आनंद प्राप्त कर सकते हैं। बादाम पीसकर उसका शर्बत भी बनाया जाता है, जो गर्मियों में शीतल पेय का काम करता है। यह जिगर, गुर्दे एवं पेट के लिए लाभदायक रहता है। गर्मियों में बादाम की ठंडाई भी बनाई जाती है। बादाम में खसखस, काली मिर्च पीसकर चीनी डालकर बनाया गया शर्बत स्मृतिवर्धक एवं शांति प्रदायक रहता है।

बादाम खाने का सर्वोत्तम तरीका है कि उसे रात्रि में पानी में भिगो देना चाहिए। प्रात: छिलका उतारकर उसे पानी या दूध के साथ खा लेना चाहिए। बच्चों के लिए यह स्मृतिवर्धक है। बादाम का छिलका कब्ज करता है। छिलका उतारकर खाएं तो ज्यादा पौष्टिक रहता है। तुरंत छिलका उतारना हो तो इसे दो मिनट तक पानी में उबालें और बाद में छिलका उतार लें। बादाम का छिलका जलाने के बाद उससे दंत मंजन बनाया जा सकता है।

बादाम का चिकित्सकीय गुण

बादाम में मूल रूप से प्रोटीन (16.5 प्रतिशत) और तेल (41 प्रतिशत) का मिश्रण समाया होता है। बादाम का चाहे जिस रूप में सेवन किया जाए, यह तय है कि उनमें समाए चिकित्सकीय गुणों का पूरा लाभ व्यक्ति को मिलता है। संतुलित भोजन के इस प्रमुख स्रोत को सबसे सेहतमंद मेवा बताया गया है।

प्राकृतिक चिकित्सा प्रणालियों जैसे यूनानी में बादाम को खासतौर से बादाम तेल को पूरे परिवार के लिए स्वास्थ्यवर्धक टॉनिक माना जाता है। रक्ताल्पता (एनीमिया) के उपचार में कारगर (इसमें मौजूद लौह तत्व और विटामिनों की बदौलत) बादाम को मानसिक थकान, कब्ज, नपुंसकता और श्वास संबंधी विकारों के इलाज में भी काफी प्रभावी पाया गया है।

बादाम के उपचारी गुण

  • मीठे बादाम तेल के सेवन से माँसपेशियों में दर्द जैसी तकलीफ से तत्काल आराम मिलता है।
  • पूरे परिवार के लिए आदर्श टॉनिक बादाम तेल का सेवन फूड एडिटिव के तौर पर किया जा सकता है। और यह शरीर को ताकतवर बनाता है।
  • बादाम तेल से कब्ज दूर होती है, यह पेट की तकलीफों को दूर करने के साथ आंत की कैंसर में भी उपचारी है।
  • बादाम तेल के नियमित सेवन से कोलेस्ट्रॉल कम होता है। यानी यह दिल की सेहत के लिए भी अच्छा है।
  • बादाम मस्तिष्क और स्नायु प्रणालियों के लिए पोषक तत्व है। यह बौद्धिक ऊर्जा बढ़ाने वाला, दीर्घायु बनाने वाला है। शुद्ध बादाम तेल तनाव को दूर करता है। दृष्टि पैनी करता है और स्नायु के दर्द में भी राहत दिलाता है।
  • विटामिन डी से भरपूर बादाम तेल बच्चों की हड्डियों के विकास में भी योगदान करता है। बादाम तेल से रूसी दूर होती है और बालों की साज-सँभाल में भी यह कारगर है। इसमें मौजूद विटामिन तथा खनिज पदार्थ बालों को चमकदार और सेहतमंद बनाते हैं।
  • बादाम तेल का इस्तेमाल बाहर से किया जाए या फिर इसका सेवन किया जाए, यह हर लिहाज से उपचारी और उपयोगी साबित होता है। हर रोज रात को 250 मिग्रा गुनगुने दूध में 5-10 मिली बादाम तेल मिलाकर सेवन करना लाभदायक होता है।
  • बादाम तेल का प्रयोग रंगत में निखार लाता है और बेजान त्वचा को रौनक प्रदान करता है। त्वचा की खोई नमी लौटाने में भी बादाम तेल सर्वोत्तम माना गया है।
  • त्वचा को नरम, मुलायम बनाने के लिए भी आप इसे लगा सकते हैं। नहाने से 2-3 घंटे पहले इसे लगाना आदर्श रहता है। बादाम तेल की मालिश न सिर्फ बालों के लिए अच्छी होती है, बल्कि मस्तिष्क के विकास में भी फायदेमंद होती है। हफ्ते में एक बार बादाम तेल की मालिश गुणकारी है।


विभिन्न भाषाओं में बादाम के नाम
भाषा नाम
हिन्दी बादाम।
अंग्रेज़ी आलमण्ड।
संस्कृत वाताद, वातवैरी।
मराठी बदाम, कड़वे बदाम।
गुजराती बदाम।
बंगाली बादाम।
फारसी बदाम शोरी, बदाम तल्ख।
लैटिन एमिग्ड्रेलस कम्युनीज।



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