अराविडु वंश

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अराविडु वंश दक्षिण भारत के विजयनगर साम्राज्य का चौथा और अंतिम वंश था। इस वंश की स्थापना 1570 में हुई थी। तुलुव वंश के निष्ठावान संरक्षक सदाशिव राय के भाई तिरूमल इस वंश के संस्थापक थे। अराविडु वंश की राजधानी पेनुगोण्डा थी।

  • अराविडु वंश को बीजापुर, अहमदनगर और गोलकुंडा की मिली-जुली सेनाओं द्वारा 1565 में तालीकोट या 'रक्ष तंगडी' की लडाई में विजयनगर की विनाशकारी हार विरासत के तौर पर मिली थी।
  • अंग्रेज़ ईस्ट इंडिया कंपनी के कारण राजाओं की सत्ता का क्षय हो गया था।
  • इस वंश के अंतिम शासक श्रीरंग तृतीय को वेल्लोर के एक छोटे से प्रदेश तक सीमित कर दिया गया था।
  • 1664 की लड़ाई में यह प्रदेश भी बीजापुर और गोलकुंडा की सेना के पास चला गया और इसके साथ ही अराविडु वंश का पतन हो गया।


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