गंगा माता की आरती

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
DrMKVaish (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:26, 14 फ़रवरी 2011 का अवतरण ('<blockquote><span style="color: maroon"><poem> जय गंगे माता श्री जय गंगे माता | जो ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

जय गंगे माता श्री जय गंगे माता |

जो नर तुमको ध्याता मनवांछित फल पाता ||

चंद्र सी जोत तुम्हारी जल निर्मल आता |

शरण पडें जो तेरी सो नर तर जाता ||

पुत्र सगर के तारे सब जग को ज्ञाता |

कृपा दृष्टि तुम्हारी त्रिभुवन सुख दाता ||

एक ही बार जो तेरी शारणागति आता |

यम की त्रास मिटा कर परमगति पाता ||

आरती मात तुम्हारी जो जन नित्य गाता |

दास वही सहज में मुक्त्ति को पाता ||


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ