छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-2 खण्ड-20

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  • जो साधक राजन साम को देवताओं में प्रतिष्ठित जानता है, वह उन्हीं देवों के लोकों का ऐश्वर्य और एकरूपता को प्राप्त करता है।
  • अत: ब्राह्मणों की कभी निन्दा नहीं करनी चाहिए।


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