वज्रेश्वरी
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वज्रेश्वरी बौद्धों की देवी है, जिसे वज्रयोगिनी अथवा वज्रबाई भी कहा गया है। इनकी पूजा,अब नेपाल में की जाती है। कोटेश्वरी, भुवनेश्वरी, वत्सलेश्वरी और गुह्येश्वरी आदि प्राचीन देवियों के साथ इनका नाम है। इनका बिगड़ा हुआ रूप ब्रजेश्वरी हो गया था।[1]
- जालंधर पीठ में ब्रजेश्वरी का मंदिर है।
- पौराणिक मान्यता के अनुसार ,शिव जी ने सती के मृत शरीर को लेकर, जब तांडव नृत्य किया, तो उनका शव 84 खंडों में बिखरकर धरती पर गिरा था।
- जालंधर में इनका स्तनभाग गिरा, यही स्तनपीठ की व्रजेश्वरी देवी कही जाती है।
- कुछ लोंगो का मानना है कि जालंधर दैत्य का वध करने के कारण शिव पाप से ग्रस्त हो गए थे और जब जालंधर पीठ में आकर, उन्होंने तारा देवी की उपासना की, तब इनका पाप दूर हुआ था।
- यहाँ की अधिष्ठात्री देवी त्रिशक्ति अर्थात् त्रिपुरा, काली और तारा हैं, लेकिन स्तन की अधिष्ठात्री देवी, व्रजेश्वरी ही मुख्य देवी हैं। इन्हें 'विद्याराज्ञी' भी कहते हैं।
- स्तनपीठ में विद्याराज्ञी देवी के चक्र और आद्या त्रिपुरा की पिंडी की स्थापना है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ वज्रेश्वरी (हिन्दी) हिन्दी विश्वकोश। अभिगमन तिथि: 17 जून, 2015।