का सुनाइ बिधि काह सुनावा
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
|चित्र का नाम=रामचरितमानस
|लेखक=
|कवि= गोस्वामी तुलसीदास
|मूल_शीर्षक = रामचरितमानस
|मुख्य पात्र = राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
|कथानक =
|अनुवादक =
|संपादक =
|प्रकाशक = गीता प्रेस गोरखपुर
|प्रकाशन_तिथि =
|भाषा =
|देश =
|विषय =
|शैली =चौपाई, सोरठा, छन्द और दोहा
|मुखपृष्ठ_रचना =
|विधा =
|प्रकार =
|पृष्ठ =
|ISBN =
|भाग =
|शीर्षक 1=संबंधित लेख
|पाठ 1=दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
|शीर्षक 2=काण्ड
|पाठ 2=अयोध्या काण्ड
|भाग =
|विशेष =
|टिप्पणियाँ =
}}
का सुनाइ बिधि काह सुनावा। का देखाइ चह काह देखावा॥ |
- भावार्थ
विधाता ने क्या सुनाकर क्या सुना दिया और क्या दिखाकर अब वह क्या दिखाना चाहता है! एक कहते हैं कि राजा ने अच्छा नहीं किया, दुर्बुद्धि कैकेयी को विचारकर वर नहीं दिया॥1॥
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का सुनाइ बिधि काह सुनावा | ![]() |
चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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