नदी की कहानी कभी फिर सुनाना,
मैं प्यासा हूँ दो घूँट पानी पिलाना।
मुझे वो मिलेगा ये मुझ को यकीं है
बड़ा जानलेवा है ये दरमियाना
मुहब्बत का अंजाम हरदम यही था
भंवर देखना, कूदना, डूब जाना।
अभी मुझ से फिर आप से फिर किसी
मियाँ ये मुहब्बत है या कारख़ाना।
ये तन्हाईयाँ, याद भी, चान्दनी भी,
गज़ब का वज़न है सम्भल के उठाना।