मुंह लगाकर जहर निकालने की कोशिश -महात्मा गाँधी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
आदित्य चौधरी (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:19, 10 फ़रवरी 2021 का अवतरण (Text replacement - "तेजी " to "तेज़ी")
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
मुंह लगाकर जहर निकालने की कोशिश -महात्मा गाँधी
महात्मा गाँधी
महात्मा गाँधी
विवरण इस लेख में महात्मा गाँधी से संबंधित प्रेरक प्रसंगों के लिंक दिये गये हैं।
भाषा हिंदी
देश भारत
मूल शीर्षक प्रेरक प्रसंग
उप शीर्षक महात्मा गाँधी के प्रेरक प्रसंग
संकलनकर्ता अशोक कुमार शुक्ला

उन दिनों गांधी जी जेल में थे। उनसे मिलने ढेरों लोग रोज जेल पहुंच जाते थे, जिससे जेलर परेशान रहता था। आखिरकार उसने एक अफ्रीकी कैदी को गांधी जी की निगरानी का काम दे दिया। वह कैदी गांधी जी पर कड़ी नजर रखने लगा ताकि उनसे कोई मिल न पाए। वह जेलर की आज्ञा का सख्ती और ईमानदारी से पालन कर रहा था। वह कोई भी भारतीय भाषा नहीं समझता था।

जब कभी वह गांधी जी के पास से गुजरता गांधी जी उसे देखकर हल्के से मुस्करा देते। वह कभी मुस्कराता और कभी गांधी जी को घूरते हुए गुजर जाता। लेकिन बापू हमेशा उसे देखकर मुस्कराते थे। एक दिन वह कैदी बैरक की सफाई कर रहा था। बैरक में चारों ओर गंदगी फैली थी। अचानक एक बिच्छू ने उसे डंक मार दिया। कैदी दर्द से तड़प उठा। डंक के कारण उसका शरीर धीरे-धीरे नीला और ठंडा पड़ने लगा। उसकी आँखेंं भी बंद होने लगीं।

यह देखकर गांधी जी तेज़ीसे दौड़े और उस कैदी के पास गए। उन्होंने पलक झपकते ही उसका हाथ अपने हाथ में लिया और जहां बिच्छू ने डंक मारा था, उसे रगड़ने लगे। फिर उन्होंने मुंह लगाकर उसका जहर निकालने की कोशिश की। यह देखकर कैदियों में अफरातफरी मच गई। जल्दी से डॉक्टर बुलाया गया। तुरंत उसका उपचार किया गया।

जब उस अफ्रीकी कैदी ने आँखेंं खोलीं तो गांधी जी को अपने पास पाया। गांधी जी उसी चिरपरिचित मुस्कराहट के साथ कैदी को देख रहे थे। कैदी की आंखों से आंसू बह निकले। उसने गांधी जी के चरण स्पर्श कर लिए। उसके बाद वह जीवन भर गांधीजी को अपना आदर्श मानता रहा।


महात्मा गाँधी से जुड़े अन्य प्रसंग पढ़ने के लिए महात्मा गाँधी के प्रेरक प्रसंग पर जाएँ।
पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख