सूरत सिंह
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सूरत सिंह बीकानेर, राजस्थान का राठौड़ शासक था। उसने 1818 ई. में अंग्रेज़ ईस्ट इण्डिया कम्पनी से सन्धि कर ली थी। [1]
- हनुमानगढ़ को पहले भटनेर (भट्टी राजपूतों का दुर्ग) कहा जाता था। 1805 ई. में बीकानेर रियासत में शामिल किये जाने के बाद इसको 'हनुमानगढ़' का नाम दिया गया था। सन 1398 में मंगोल विजेता तैमूर लंग ने दुर्ग सहित इस शहर पर क़ब्ज़ा कर लिया था। उसके बाद से इस पर विभिन्न शासकों का अधिकार रहा है।
- हनुमानगढ़ किसने बसाया है, इसका ठीक से पता नहीं चलता। पहले यह भाटियों के क़ब्ज़े में था तथा 1527 ई. में बीकानेर के चौथे शासक 'राव जैतसिंह' ने यहाँ राठौड़ों का आधिपत्य स्थापित कर दिया।
- 11 वर्ष के बाद बाबर के पुत्र कामरान ने इसे जीता। फिर कुछ दिनों तक राठौड़ों के अधिकार में रहा। फिर बाद में यह मुग़ल क़ब्ज़े में चला गया, और बीच में कई बार अधिकारियों में परिवर्तन हुए। अंत में सूरत सिंह के समय 1805 ई. में 5 माह के विकट घेरे के बाद राठौड़ों ने इसे ज़ाबता ख़ाँ भट्टी से छीना और यहाँ बीकानेर राज्य का एकाधिकार हुआ।
- मंगलवार के दिन इस क़िले पर अधिकार होने के कारण इस क़िले में एक छोटा सा हनुमान जी का मंदिर बनवाया गया तथा उसी दिन से उसका नाम 'हनुमानगढ़' रखा गया।
इन्हें भी देखें: राजस्थान का इतिहास एवं बीकानेर का क़िला
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ बीकानेर के राठौड़ (हिन्दी) historicalsaga.com। अभिगमन तिथि: 03 मार्च, 2017।