अगस्त्यतीर्थ

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रेणु (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:47, 5 जुलाई 2011 का अवतरण ('*'अगस्त्यतीर्थ सौभद्र' पौलोमं च सुपावनम्, कारंधर्म प...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
  • 'अगस्त्यतीर्थ सौभद्र' पौलोमं च सुपावनम्, कारंधर्म प्रसन्नं च हयमेधफलं च तत'। [1]
  • अगस्त्यतीर्थ दक्षिण-समुद्र तट पर स्थित था- 'तत: समुद्रे तीर्थानि दक्षिणे भरतर्षभ'।[2]
  • इसकी गणना दक्षिण-सागर के पंचतीर्थों (अगस्त्य, सौभद्र, पौलोम, कारंधम और भारद्वाज) में की जाती थी- 'दक्षिणे सागरानूपे पंचतीर्थानि सन्ति वै'।[3]
  • महाभारत के अनुसार अर्जुन ने इस तीर्थ की यात्रा की थी।
  • वन पर्व[4] में अगस्त्यतीर्थ का नारीतीर्थ के साथ द्रविड़ देश में वर्णन है- 'ततो विपाप्मा द्रविडेषु राजन् समुद्रमासाद्य च लोकपुण्यं, अगस्त्यतीर्थं च महापवित्रं नारीतीर्थान्यत्र वीरो ददर्श।'
  • अगस्त्यतीर्थ को अगस्त्येश्वर भी कहते थे।
  • अगस्त्याश्रम इससे भिन्न था और इसकी स्थिति गया (बिहार) के पूर्व में थी।



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत 1,215, 3
  2. महाभारत 1,215,1
  3. महाभारत 1,216,17
  4. वन पर्व 118,4

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख