अब्दुल क़ादिर बदायूँनी

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बदायूंनी, अब्दुल क़ादिर का जन्म 1540 में टोडा भारत में हुआ था। बदायूंनी, अब्दुल क़ादिर भारतीय-फ़ारसी इतिहासकार थे। बदायूंनी, अब्दुल क़ादिर भारत में मुग़लकालीन इतिहास के प्रमुखतम लेखकों में से एक थे। बचपन में बदायूंनी बसबार में रहे और संभल व आगरा में उन्होंने अध्ययन किया। 1562 में वह बदायूं गए, वहाँ से पटियाला जाकर वह एक स्थानी राजा हुसैन ख़ाँ की सेवा में चले गए, जहाँ वह नौ वर्षों तक रहे। दरबार छोड़ने के बाद उन्होंने अपनी शिक्षा जारी रखी और विभिन्न मुस्लिम रहस्यवादियों के साथ अध्ययन किया। 1574 में बदायूंनी, अब्दुल क़ादिर मुग़ल बादशाह अक़बर के दरबार में पेश किए गए, जहाँ अक़बर ने उन्हें धार्मिक कार्यों के लिए नियुक्त किया और पेंशन भी दी।

कृतियाँ

बादशाह द्वारा अधिकृत किए जाने पर बदांयूनी द्वारा लिखी गई बहुत सी कृतियों में सर्वाधिक सम्मानित कृति है- किताब अल हदीस (हदीस की किताब) है, जिसमें पैग़ंबर मुहम्मद के उपदेश हैं। यह पुस्तक आज मौजूद नहीं है। इसके अलावा, उन्होंने तारीख़े हिज्र के हज़ार वर्ष पूरे होने पर इस पुस्तक की रचना करवाई थी, जिसमें दस से अधिक लेखकों ने काम किया था। महान इतिहासकार रशीदद्दीन द्वारा रचित जामी अद तवारीख़ जो कि सार्वभौतिक इतिहास है, का संक्षिप्त अनुवाद भी बदायूंनी ने किया।

बदायूंनी, अब्दुल क़ादिर की सबसे महत्त्वपूर्ण किताब मुंतख़ाब अत तवारीख़ थी जिसका चुनाव इतिहास से किया गया था, जिसे अक्सर तारीख़े बदायूंनी (बदायूंनी का इतिहास) भी कहा जाता है। इसमें मुस्लिम भारत का इतिहास है और मुस्लिम धार्मिकों, चिकित्सकों, कवियों और विद्वानों पर अतिरिक्त खंड शामिल हैं। अक़बर के धार्मिक नियमों की आलोचना किए जाने के कारण इस पुस्तक से विवाद का जन्म हुआ और 17वीं शताब्दी के आरंभ में जहाँगीर के शासनकाल तक इस पुस्तक को महत्त्व नहीं दिया गया। इन पुस्तकों के अलावा बदायूंनी को अनेक संस्कृत कथाओं और रामायणमहाभारत जैसे महाकाव्यों के अनुवाद का कार्य भी सौंपा गया।

मृत्यु

बदायूंनी, अब्दुल क़ादिर की मृत्यु 1615 में भारत में हुई थी।


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