ग़ज़ल

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

ग़ज़ल अरबी साहित्य की प्रसिद्ध काव्य विधा है जो बाद में फ़ारसी, उर्दू, और हिंदी साहित्य में भी बेहद लोकप्रिय हुई। संगीत के क्षेत्र में इस विधा को गाने के लिए ईरानी और भारतीय संगीत के मिश्रण से अलग शैली निर्मित हुई।

ग़ज़ल से अभिप्राय

एक समान रदीफ़ (समांत) तथा भिन्न भिन्न क़वाफ़ी[1] (तुकांत) से सुसज्जित एक ही वज़्न (मात्रा क्रम) अथवा बह'र (छंद) में लिखे गए अश'आर (शे'र का बहुवचन) समूह को ग़ज़ल कहते हैं जिसमें शायर किसी चिंतन, विचार अथवा भावना को प्रकट करता है।[2]

स्वरूप

ग़ज़ल एक ही बह'र और वज़्न के अनुसार लिखे गए शेरों का समूह है। इसके पहले शेर को मतला कहते हैं। जिस शे'र में शायर अपना नाम रखता है उसे मक़ता कहते हैं। ग़ज़ल के सबसे अच्छे शेर को शाहे वैत कहा जाता है। एक ग़ज़ल में 5 से लेकर 25 तक शेर हो सकते हैं। ये शेर एक दूसरे से स्वतंत्र होते हैं। किंतु कभी-कभी एक से अधिक शेर मिलकर अर्थ देते हैं। ऐसे शेर कता बंद कहलाते हैं। ग़ज़लों के ऐसे संग्रह को 'दीवान' कहते हैं जिसमें हर हर्फ से कम से कम एक ग़ज़ल अवश्य हो।

प्रसिद्ध ग़ज़लकार

प्रसिद्ध ग़ज़ल गायक


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. क़ाफ़िया का बहुवचन
  2. ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ (हिंदी) open books online। अभिगमन तिथि: 23 फ़रवरी, 2013।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख