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जन्म: 2 जून 1955,बंगलुरु, कर्नाटक
  
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कार्यक्षेत्र: सॉफ्टवेयर कंपनी इन्फोसिस के सह-संस्थापक, भारतीय विशिष्ट पहचानपत्र प्राधिकरण (UIDAI) के अध्यक्ष
  
व्यवसाय/पद/कार्य: आईसीआईसीआई बैंक के गैर-कार्यकारी चेयरमैन, ब्रिक्स बैंक के पहले चेयरमैन
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'''नंदन नीलेकणि''' ([[अंग्रेजी]]:Nandan Nilekani, जन्म: [[2 जून]] [[1955]], [[कर्णाटक]], [[बैंगलोर]]) एक भारतीय उपक्रमी, नौकरशाह, नेता और प्रसिद्ध सॉफ्टवेयर कंपनी इन्फोसिस के सह-संस्थापक हैं। वे भारतीय विशिष्ट पहचानपत्र प्राधिकरण (UIDAI) के अध्यक्ष भी थे। इन्फोसिस में एक शानदार करियर के बाद नंदन ने भारत सरकार द्वारा गठित एक तकनीकी समिति की अध्यक्षता की इसके बाद वे [[भारत सरकार]] हर नागरिक को एक विशिष्ट पहचान संख्या या यूनिक आइडेंटीफिकेशन नम्बर प्रदान करने के लिए भारतीय विशिष्ट पहचानपत्र प्राधिकरण (यूआईडी) के बनाए गए। बाद में नंदन कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और सन [[2014]] के लोक सभा चुनाव में बैंगलोर सीट से खड़े हुए पर बी.जे.पी. के अनंत कुमार से हार गए।
 
 
'''के. वी. कामथ''' ([[अंग्रेजी]]: K. V. Kamath, जन्म [[2 दिसम्बर]] [[1947]], [[कर्नाटक]], [[मंगलौर]]) भारतीय बैंकिंग क्षेत्र के दिग्गजों में से एक हैं। वो निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई बैंक के पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी रह चुके हैं और वर्तमान में वह इसके गैर-कार्यकारी चेयरमैन हैं। केवी कामथ [[जून]] [[2015]] में उभरते विकासशील देश [[ब्राजील]], [[रूस]], [[भारत]], [[चीन]] और [[दक्षिण अफ्रीका]] (ब्रिक्स) देशों द्वारा स्थापित किए जा रहे 50 अरब डॉलर के न्यू डवेलपमेंट बैंक (एनडीबी ) के मुखिया चुने गए।
 
कामथ देश की दूसरी सबसे बड़ी आई टी कंपनी, इनफ़ोसिस लिमिटेड के भी चेयरमैन रह चुके हैं। उन्होंने अपनी कुसाग्रता से भारतीय बैंकिंग क्षेत्र का आधुनिकीकरण किया। ‘यूनिवर्सल बैंकिंग’ और कर्मचारियों के उचित प्रबंधन के जरिये उन्होंने [[भारत]] के बैंकिंग क्षेत्र में बड़ा बदलाव किया। वह हॉस्टन-स्थित तेल कंपनी स्च्लुम्बेर्गेर और भारतीय बहुराष्ट्रीय फार्मा कंपनी ‘लूपिन’ के भी स्वतंत्र निदेशक रह चुके हैं।
 
  
 
==जीवन परिचय==
 
==जीवन परिचय==
कामथ का जन्म [[2 दिसम्बर]] [[1947]] को [[कर्नाटक]] के [[मंगलौर]] में एक गौड़ सारस्वत [[ब्राह्मण]] परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम विश्वनाथ कामथ था। उन्होंने अपना बचपन मुख्यतः मंगलौर में ही बिताया। उनकी प्रारंभिक शिक्षा कन्नड़-माध्यम स्कूल में हुई। मैट्रिकुलेशन के बाद उन्होंने अपना पीयूसी सेंट अलोयसिउस कॉलेज से पूरा किया। प्री-यूनिवर्सिटी (पीयूसी) के बाद उन्होंने नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी [[कर्नाटक]], सुरथकल, में मैकेनिकल इंजीनियरिंग विषय में दाखिला लिया। वर्ष [[1969]] में नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, सुरथकल, से उन्होंने स्नातक की परीक्षा पास की और प्रबंधन की शिक्षा के लिए इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट, [[अहमदाबाद]], में दाखिला लिया।
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नंदन नीलेकणि का जन्म [[2 जून]] [[1955]] में [[कर्णाटक]] की राजधानी [[बैंगलोर]] में हुआ था। उनके पिता मोहन राव नीलेकणि और माता दुर्गा का ताल्लुक कोक्कानी ब्राह्मण समुदाय से है, जो मूलतः कर्णाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के सिरसी कस्बे से है। उनके पिता मोहन राव म्य्सोरे और मिनेर्वा मिल्स में जनरल मेनेजर के पद पर कार्य करते थे और फैबियन साम्राज्यवाद में विश्वास रखते थे जिसके प्रभाव बचपन में नंदन के ऊपर भी पड़ा। नंदन का छोटा भाई विजय ‘नुक्लेअर एनर्जी इंस्टिट्यूट’ में कार्यरत है।
 
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नंदन की पढ़ाई बैंगलोर के बिशप कॉटन बॉयज स्कूल और धारवाड़ के सेंट जोसेफ हाई स्कूल और पी.यू कॉलेज धारवाड़ में हुई। इसके बाद उन्होंने ‘इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी बॉम्बे’ से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया।
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==विवाह==
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नंदन नीलेकणि का विवाह रोहिणी नीलेकणि से हुआ। वे दोनों इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी बॉम्बे में एक क्विज कार्यक्रम के दौरान मिले थे। नीलेकणि दंपत्ति के दो संताने हैं – निहार और जान्हवी और दोनों ही प्रसिद्ध येल विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। नंदन का सम्बन्ध चितरपुर सारस्वत ब्राह्मण समुदाय से है और उनकी प्रथम भाषा कोंकणी है। वे हिंदी, अंग्रेजी के साथ-साथ धाराप्रवाह कन्नड़ और मराठी भी बोलते हैं।
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==राजनीति में योगदान==
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मार्च 2014 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए और 2014 के लोकसभा चुनाव में दक्षिण बैंगलोर से कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया पर उन्हें बी.जे.पी. के नेता अनन्त कुमार से हार का सामना करना पड़ा।
 
==कॅरियर==
 
==कॅरियर==
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट, [[अहमदाबाद]], से प्रबंधन की शिक्षा पूरी करने के बाद कामथ ने वर्ष [[1971]] में आईसीआईसीआई (इंडस्ट्रियल क्रेडिट एंड इन्वेस्टमेंट कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया) के साथ अपने करियर की शुरुआत की। आईसीआईसीआई में ‘प्रोजेक्ट फाइनेंस’ से लेकर उन्होंने धीरे-धीरे संस्था के लगभग हर विभाग में कार्य किया। वहां उन्होंने प्रबंधन की जिम्मेदारियां भी संभाली और इसी के तहत आईसीआईसीआई के कार्य-प्रणाली का कम्प्यूटरीकरण भी प्रारम्भ किया। इस प्रकार उन्होंने आईसीआईसीआई में कम्प्यूटरीकरण प्रारंभ कर भारत के बैंकिंग क्षेत्र में बड़ा बदलाव किया।
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नंदन नीलेकणि ने सन 1978 में अपने करियर का प्रारंभ पाटनी कंप्यूटर सिस्टम से किया। पाटनी में नौकरी के लिए उनका इंटरव्यू एन.आर. नारायणमूर्ति ने लिया था। काम करते करते दोनों में प्रगाढ़ता बढ़ी और सन 1981 में उन्होंने एन.आर. नारायणमूर्ति और पांच अन्य लोगों के साथ पाटनी कंप्यूटर सिस्टम्स छोड़कर एक नयी कंपनी की स्थापना की – इन्फोसिस। इसके बाद अपनी कड़ी मेहनत और लगन से नंदन ने सफलता की बुलंदियों को छुआ। सन 2002 में उन्हें इन्फोसिस का सी.इ.ओ. बनाया गया और अप्रैल 2007 तक वे इस पद पर बने रहे। उनके स्थान पर उनके सहयोगी क्रिस गोपालकृष्णन को इनफ़ोसिस का सी.इ.ओ. बनाया गया और नंदन कंपनी के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स के सह-अध्यक्ष बनाये गए।
 
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इनफ़ोसिस का सी.इ.ओ. बनने से पहले नंदन ने कंपनी में विभिन्न्महत्व्पूर्ण पदों पर कार्य किया जिसमे शामिल है प्रबंध निदेशक, अध्यक्ष, सी.ओ.ओ. (मुख्य कार्यकारी अधिकारी)।
वर्ष [[1988]] में कामथ एशियन डेवलपमेंट बैंक, मनीला (फिलीपींस), चले गए जहाँ उन्होंने बैंक के ‘प्राइवेट सेक्टर’ विभाग में कार्य किया। एशियन डेवलपमेंट बैंक में कार्य करते हुए उन्होंने चाइना, भारत, फ़िलीपीन्स, बांग्लादेश, इंडोनेशिया और वियतनाम के कई वित्तीय परियोजनायों पर काम किया। उन्होंने कंपनियों के बोर्ड पर एशियन डेवलपमेंट बैंक के प्रतिनिधि के तौर पर कार्य किया।
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सन 2009 में इनफ़ोसिस छोड़कर नंदन भारतीय विशिष्ट पहचानपत्र प्राधिकरण (UIDAI) के अध्यक्ष बन गए। कैबिनेट स्तर के इस पद को उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आग्रह पर स्वीकार किया था। भारतीय विशिष्ट पहचानपत्र प्राधिकरण (UIDAI) एक ऐसा डाटा बेस बना रहा है जिसमे देश के प्रत्येक नागरिक के लिए एक विशिष्ट पहचान संख्या प्रदान की जा रही है। इस नम्बर के आधार पर उस व्यक्ति की सम्पूर्ण जानकारी सरकार के पास उपलब्ध रहेगी।
 
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नंदन भारत की ओर से अंतराष्ट्रीय आर्थिक संबंध पर शोध करने वाली काउंसिल (ICRIER) के सदस्‍य हैं और इंडिपेंडेंट एप्‍लाइड इकोनॉमिक रिसर्च इंस्‍टीट्यूट ऑफ इंडिया (NCAER) के अध्‍यक्ष भी हैं।
वर्ष [[1996]] में कामथ आईसीआईसीआई में प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में वापस आ गए। यहाँ आकर उन्होंने समूह की सेवावों को रिटेल ग्राहकों तक फैलाया। वर्ष [[1996]] और [[1998]] के मध्य उनके नेतृत्व में आईसीआईसीआई ने कई ‘नॉन-बैंकिंग फाइनेंसियल कंपनियों’ का अधिग्रहण किया, जिसने ‘आईसीआईसीआई बैंक’ के स्थापना का मार्ग प्रसस्त किया।
 
 
 
[[मई]] [[2011]] में उन्हें [[भारत]] के दूसरे सबसे बड़े सॉफ्टवेयर निर्यातक ‘इनफ़ोसिस’ का गैर-कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया।
 
 
 
कामथ बहुत से शिक्षण संस्थानों के गवर्निंग बोर्ड के सदस्य भी हैं। इनमें प्रमुख हैं इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट, [[अहमदाबाद]], इंडियन स्कूल ऑफ़ बिज़नस, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ बैंक मैनेजमेंट, पंडित दीनदयाल पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी और गांधीनगर मनिपाल अकैडमी ऑफ़ हायर एजुकेशन। इसके अलावा वह इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट, [[इंदौर]], के गवर्निंग बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं।
 
 
 
कामथ कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) के राष्ट्रिय समिति के सदस्य भी हैं।
 
 
 
[[जून]] [[2015]] में केवी कामथ को उभरते विकासशील देश [[ब्राजील]], [[रूस]], [[भारत]], [[चीन]] और [[दक्षिण अफ्रीका]] (ब्रिक्स) देशों द्वारा स्थापित किए जा रहे 50 अरब डॉलर के न्यू डवेलपमेंट बैंक (एनडीबी ) का प्रमुख नियुक्त किया गया।
 
  
==सम्मान और पुरस्कार==
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वे ‘वर्ल्ड इकनोमिक फोरम फाउंडेशन’ और ‘बॉम्बे हेरिटेज फण्ड’ जैसी संस्थाओं के एडवाइजरी बोर्ड पर भी हैं। अपनी पुस्तक ‘इमैजिनिंग इंडिया: द आईडिया ऑफ़ अ रेनयूड नेशन’ के प्रचार के लिए वे ‘द डेली शो विथ जॉन स्टीवर्ट’ पर भी गए थे और सन [[2009]] में TED कांफेरेंस में भी भारत के भविष्य के लिए अपने विचारों को प्रकट किया।
*द एशियन बनकर जर्नल ऑफ़ सिंगापोर द्वारा ‘एशियन बैंकों के सबसे e-savvy CEO
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==पुरस्कार और सम्मान==
*मुंबई मैनेजमेंट एसोसिएशन द्वारा ‘फाइनेंस मैन ऑफ़ द इयर’ सम्मान
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*सन 2011 में टोरंटो विश्वविद्यालय के ‘रॉटमैन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट’ ने उन्हें डॉ ऑफ़ लॉ की मानद उपाधि दी
*वर्ल्ड एचआरडी कांग्रेस द्वारा ‘बेस्ट सीइओ फॉर इनोवेटिव एचआर प्रक्टिसेस’
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*सन 2011 में उन्हें एन.डी टी.वी. इंडियन ऑफ़ द इयर के तहत ‘त्रन्स्फ़ोर्मतिओनल आईडिया ऑफ़ द इयर अवार्ड’ दिया गया
*एशियन बिज़नस लीडर सम्मान [[2001]] में ‘ एशियन बिज़नस लीडर ऑफ़ द इयर’ से सम्मानित
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*सन 2009 में टाइम पत्रिका ने नंदन को अपने प्रतिष्ठित ‘दुनिया के सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों’ की सूचि में रखा
*सीएनबीसी-टीवी18 द्वारा ‘आउटस्टैंडिंग बिज़नस लीडर ऑफ़ द इयर’ सम्मान, [[2006]]
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*सन 2009 में येल विश्वविद्यालय ने उन्हें ‘लीजेंड इन लीडरशिप’ का सम्मान दिया
*बिज़नस इंडिया द्वारा ‘बिजनेसमैन ऑफ़ द इयर’, [[2005]] से सम्मानित
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*सन 2006 में भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया
*द इकनोमिक टाइम्स द्वारा ‘बिजनेसमैन ऑफ़ द इयर’, [[2007]] घोषित
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*सन 2006 में फोर्ब्स एशिया ने उन्हें ‘बिजनेसमैन ऑफ़ द इयर’ का सम्मान दिया
*प्रसिद्ध पत्रिका फोर्ब्स एशिया ने ‘बिजनेसमैन ऑफ़ द इयर’ चुना
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*सन 2004 में सी.एन.बी.सी. द्वारा आयोजित ‘एशिया बिज़नस लीडर्स अवार्ड’ में उन्हें ‘कॉर्पोरेट सिटीजन ऑफ़ द इयर’ का सम्मान दिया गया
*[[भारत सरकार]] द्वारा सन [[2008]] में [[पद्मभूषण]] से सम्मानित
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*अर्थव्यवस्था और राजनीति के क्षेत्र में प्रगतिशील सेवाओं के लिए सन 2005 में जोसेफ शमपीटर अवार्ड दिया गया

12:33, 4 अक्टूबर 2017 का अवतरण

जन्म: 2 जून 1955,बंगलुरु, कर्नाटक

कार्यक्षेत्र: सॉफ्टवेयर कंपनी इन्फोसिस के सह-संस्थापक, भारतीय विशिष्ट पहचानपत्र प्राधिकरण (UIDAI) के अध्यक्ष

नंदन नीलेकणि (अंग्रेजी:Nandan Nilekani, जन्म: 2 जून 1955, कर्णाटक, बैंगलोर) एक भारतीय उपक्रमी, नौकरशाह, नेता और प्रसिद्ध सॉफ्टवेयर कंपनी इन्फोसिस के सह-संस्थापक हैं। वे भारतीय विशिष्ट पहचानपत्र प्राधिकरण (UIDAI) के अध्यक्ष भी थे। इन्फोसिस में एक शानदार करियर के बाद नंदन ने भारत सरकार द्वारा गठित एक तकनीकी समिति की अध्यक्षता की इसके बाद वे भारत सरकार हर नागरिक को एक विशिष्ट पहचान संख्या या यूनिक आइडेंटीफिकेशन नम्बर प्रदान करने के लिए भारतीय विशिष्ट पहचानपत्र प्राधिकरण (यूआईडी) के बनाए गए। बाद में नंदन कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और सन 2014 के लोक सभा चुनाव में बैंगलोर सीट से खड़े हुए पर बी.जे.पी. के अनंत कुमार से हार गए।

जीवन परिचय

नंदन नीलेकणि का जन्म 2 जून 1955 में कर्णाटक की राजधानी बैंगलोर में हुआ था। उनके पिता मोहन राव नीलेकणि और माता दुर्गा का ताल्लुक कोक्कानी ब्राह्मण समुदाय से है, जो मूलतः कर्णाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के सिरसी कस्बे से है। उनके पिता मोहन राव म्य्सोरे और मिनेर्वा मिल्स में जनरल मेनेजर के पद पर कार्य करते थे और फैबियन साम्राज्यवाद में विश्वास रखते थे जिसके प्रभाव बचपन में नंदन के ऊपर भी पड़ा। नंदन का छोटा भाई विजय ‘नुक्लेअर एनर्जी इंस्टिट्यूट’ में कार्यरत है। नंदन की पढ़ाई बैंगलोर के बिशप कॉटन बॉयज स्कूल और धारवाड़ के सेंट जोसेफ हाई स्कूल और पी.यू कॉलेज धारवाड़ में हुई। इसके बाद उन्होंने ‘इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी बॉम्बे’ से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया।

विवाह

नंदन नीलेकणि का विवाह रोहिणी नीलेकणि से हुआ। वे दोनों इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी बॉम्बे में एक क्विज कार्यक्रम के दौरान मिले थे। नीलेकणि दंपत्ति के दो संताने हैं – निहार और जान्हवी और दोनों ही प्रसिद्ध येल विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। नंदन का सम्बन्ध चितरपुर सारस्वत ब्राह्मण समुदाय से है और उनकी प्रथम भाषा कोंकणी है। वे हिंदी, अंग्रेजी के साथ-साथ धाराप्रवाह कन्नड़ और मराठी भी बोलते हैं।

राजनीति में योगदान

मार्च 2014 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए और 2014 के लोकसभा चुनाव में दक्षिण बैंगलोर से कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया पर उन्हें बी.जे.पी. के नेता अनन्त कुमार से हार का सामना करना पड़ा।

कॅरियर

नंदन नीलेकणि ने सन 1978 में अपने करियर का प्रारंभ पाटनी कंप्यूटर सिस्टम से किया। पाटनी में नौकरी के लिए उनका इंटरव्यू एन.आर. नारायणमूर्ति ने लिया था। काम करते करते दोनों में प्रगाढ़ता बढ़ी और सन 1981 में उन्होंने एन.आर. नारायणमूर्ति और पांच अन्य लोगों के साथ पाटनी कंप्यूटर सिस्टम्स छोड़कर एक नयी कंपनी की स्थापना की – इन्फोसिस। इसके बाद अपनी कड़ी मेहनत और लगन से नंदन ने सफलता की बुलंदियों को छुआ। सन 2002 में उन्हें इन्फोसिस का सी.इ.ओ. बनाया गया और अप्रैल 2007 तक वे इस पद पर बने रहे। उनके स्थान पर उनके सहयोगी क्रिस गोपालकृष्णन को इनफ़ोसिस का सी.इ.ओ. बनाया गया और नंदन कंपनी के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स के सह-अध्यक्ष बनाये गए। इनफ़ोसिस का सी.इ.ओ. बनने से पहले नंदन ने कंपनी में विभिन्न्महत्व्पूर्ण पदों पर कार्य किया जिसमे शामिल है प्रबंध निदेशक, अध्यक्ष, सी.ओ.ओ. (मुख्य कार्यकारी अधिकारी)। सन 2009 में इनफ़ोसिस छोड़कर नंदन भारतीय विशिष्ट पहचानपत्र प्राधिकरण (UIDAI) के अध्यक्ष बन गए। कैबिनेट स्तर के इस पद को उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आग्रह पर स्वीकार किया था। भारतीय विशिष्ट पहचानपत्र प्राधिकरण (UIDAI) एक ऐसा डाटा बेस बना रहा है जिसमे देश के प्रत्येक नागरिक के लिए एक विशिष्ट पहचान संख्या प्रदान की जा रही है। इस नम्बर के आधार पर उस व्यक्ति की सम्पूर्ण जानकारी सरकार के पास उपलब्ध रहेगी। नंदन भारत की ओर से अंतराष्ट्रीय आर्थिक संबंध पर शोध करने वाली काउंसिल (ICRIER) के सदस्‍य हैं और इंडिपेंडेंट एप्‍लाइड इकोनॉमिक रिसर्च इंस्‍टीट्यूट ऑफ इंडिया (NCAER) के अध्‍यक्ष भी हैं।

वे ‘वर्ल्ड इकनोमिक फोरम फाउंडेशन’ और ‘बॉम्बे हेरिटेज फण्ड’ जैसी संस्थाओं के एडवाइजरी बोर्ड पर भी हैं। अपनी पुस्तक ‘इमैजिनिंग इंडिया: द आईडिया ऑफ़ अ रेनयूड नेशन’ के प्रचार के लिए वे ‘द डेली शो विथ जॉन स्टीवर्ट’ पर भी गए थे और सन 2009 में TED कांफेरेंस में भी भारत के भविष्य के लिए अपने विचारों को प्रकट किया।

पुरस्कार और सम्मान

  • सन 2011 में टोरंटो विश्वविद्यालय के ‘रॉटमैन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट’ ने उन्हें डॉ ऑफ़ लॉ की मानद उपाधि दी
  • सन 2011 में उन्हें एन.डी टी.वी. इंडियन ऑफ़ द इयर के तहत ‘त्रन्स्फ़ोर्मतिओनल आईडिया ऑफ़ द इयर अवार्ड’ दिया गया
  • सन 2009 में टाइम पत्रिका ने नंदन को अपने प्रतिष्ठित ‘दुनिया के सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों’ की सूचि में रखा
  • सन 2009 में येल विश्वविद्यालय ने उन्हें ‘लीजेंड इन लीडरशिप’ का सम्मान दिया
  • सन 2006 में भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया
  • सन 2006 में फोर्ब्स एशिया ने उन्हें ‘बिजनेसमैन ऑफ़ द इयर’ का सम्मान दिया
  • सन 2004 में सी.एन.बी.सी. द्वारा आयोजित ‘एशिया बिज़नस लीडर्स अवार्ड’ में उन्हें ‘कॉर्पोरेट सिटीजन ऑफ़ द इयर’ का सम्मान दिया गया
  • अर्थव्यवस्था और राजनीति के क्षेत्र में प्रगतिशील सेवाओं के लिए सन 2005 में जोसेफ शमपीटर अवार्ड दिया गया