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+ | जन्म: 2 जून 1955,बंगलुरु, कर्नाटक | ||
+ | कार्यक्षेत्र: सॉफ्टवेयर कंपनी इन्फोसिस के सह-संस्थापक, भारतीय विशिष्ट पहचानपत्र प्राधिकरण (UIDAI) के अध्यक्ष | ||
− | + | '''नंदन नीलेकणि''' ([[अंग्रेजी]]:Nandan Nilekani, जन्म: [[2 जून]] [[1955]], [[कर्णाटक]], [[बैंगलोर]]) एक भारतीय उपक्रमी, नौकरशाह, नेता और प्रसिद्ध सॉफ्टवेयर कंपनी इन्फोसिस के सह-संस्थापक हैं। वे भारतीय विशिष्ट पहचानपत्र प्राधिकरण (UIDAI) के अध्यक्ष भी थे। इन्फोसिस में एक शानदार करियर के बाद नंदन ने भारत सरकार द्वारा गठित एक तकनीकी समिति की अध्यक्षता की इसके बाद वे [[भारत सरकार]] हर नागरिक को एक विशिष्ट पहचान संख्या या यूनिक आइडेंटीफिकेशन नम्बर प्रदान करने के लिए भारतीय विशिष्ट पहचानपत्र प्राधिकरण (यूआईडी) के बनाए गए। बाद में नंदन कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और सन [[2014]] के लोक सभा चुनाव में बैंगलोर सीट से खड़े हुए पर बी.जे.पी. के अनंत कुमार से हार गए। | |
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==जीवन परिचय== | ==जीवन परिचय== | ||
− | + | नंदन नीलेकणि का जन्म [[2 जून]] [[1955]] में [[कर्णाटक]] की राजधानी [[बैंगलोर]] में हुआ था। उनके पिता मोहन राव नीलेकणि और माता दुर्गा का ताल्लुक कोक्कानी ब्राह्मण समुदाय से है, जो मूलतः कर्णाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के सिरसी कस्बे से है। उनके पिता मोहन राव म्य्सोरे और मिनेर्वा मिल्स में जनरल मेनेजर के पद पर कार्य करते थे और फैबियन साम्राज्यवाद में विश्वास रखते थे जिसके प्रभाव बचपन में नंदन के ऊपर भी पड़ा। नंदन का छोटा भाई विजय ‘नुक्लेअर एनर्जी इंस्टिट्यूट’ में कार्यरत है। | |
− | + | नंदन की पढ़ाई बैंगलोर के बिशप कॉटन बॉयज स्कूल और धारवाड़ के सेंट जोसेफ हाई स्कूल और पी.यू कॉलेज धारवाड़ में हुई। इसके बाद उन्होंने ‘इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी बॉम्बे’ से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया। | |
+ | ==विवाह== | ||
+ | नंदन नीलेकणि का विवाह रोहिणी नीलेकणि से हुआ। वे दोनों इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी बॉम्बे में एक क्विज कार्यक्रम के दौरान मिले थे। नीलेकणि दंपत्ति के दो संताने हैं – निहार और जान्हवी और दोनों ही प्रसिद्ध येल विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। नंदन का सम्बन्ध चितरपुर सारस्वत ब्राह्मण समुदाय से है और उनकी प्रथम भाषा कोंकणी है। वे हिंदी, अंग्रेजी के साथ-साथ धाराप्रवाह कन्नड़ और मराठी भी बोलते हैं। | ||
+ | ==राजनीति में योगदान== | ||
+ | मार्च 2014 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए और 2014 के लोकसभा चुनाव में दक्षिण बैंगलोर से कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया पर उन्हें बी.जे.पी. के नेता अनन्त कुमार से हार का सामना करना पड़ा। | ||
==कॅरियर== | ==कॅरियर== | ||
− | + | नंदन नीलेकणि ने सन 1978 में अपने करियर का प्रारंभ पाटनी कंप्यूटर सिस्टम से किया। पाटनी में नौकरी के लिए उनका इंटरव्यू एन.आर. नारायणमूर्ति ने लिया था। काम करते करते दोनों में प्रगाढ़ता बढ़ी और सन 1981 में उन्होंने एन.आर. नारायणमूर्ति और पांच अन्य लोगों के साथ पाटनी कंप्यूटर सिस्टम्स छोड़कर एक नयी कंपनी की स्थापना की – इन्फोसिस। इसके बाद अपनी कड़ी मेहनत और लगन से नंदन ने सफलता की बुलंदियों को छुआ। सन 2002 में उन्हें इन्फोसिस का सी.इ.ओ. बनाया गया और अप्रैल 2007 तक वे इस पद पर बने रहे। उनके स्थान पर उनके सहयोगी क्रिस गोपालकृष्णन को इनफ़ोसिस का सी.इ.ओ. बनाया गया और नंदन कंपनी के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स के सह-अध्यक्ष बनाये गए। | |
− | + | इनफ़ोसिस का सी.इ.ओ. बनने से पहले नंदन ने कंपनी में विभिन्न्महत्व्पूर्ण पदों पर कार्य किया जिसमे शामिल है प्रबंध निदेशक, अध्यक्ष, सी.ओ.ओ. (मुख्य कार्यकारी अधिकारी)। | |
− | + | सन 2009 में इनफ़ोसिस छोड़कर नंदन भारतीय विशिष्ट पहचानपत्र प्राधिकरण (UIDAI) के अध्यक्ष बन गए। कैबिनेट स्तर के इस पद को उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आग्रह पर स्वीकार किया था। भारतीय विशिष्ट पहचानपत्र प्राधिकरण (UIDAI) एक ऐसा डाटा बेस बना रहा है जिसमे देश के प्रत्येक नागरिक के लिए एक विशिष्ट पहचान संख्या प्रदान की जा रही है। इस नम्बर के आधार पर उस व्यक्ति की सम्पूर्ण जानकारी सरकार के पास उपलब्ध रहेगी। | |
− | + | नंदन भारत की ओर से अंतराष्ट्रीय आर्थिक संबंध पर शोध करने वाली काउंसिल (ICRIER) के सदस्य हैं और इंडिपेंडेंट एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (NCAER) के अध्यक्ष भी हैं। | |
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− | ==सम्मान | + | वे ‘वर्ल्ड इकनोमिक फोरम फाउंडेशन’ और ‘बॉम्बे हेरिटेज फण्ड’ जैसी संस्थाओं के एडवाइजरी बोर्ड पर भी हैं। अपनी पुस्तक ‘इमैजिनिंग इंडिया: द आईडिया ऑफ़ अ रेनयूड नेशन’ के प्रचार के लिए वे ‘द डेली शो विथ जॉन स्टीवर्ट’ पर भी गए थे और सन [[2009]] में TED कांफेरेंस में भी भारत के भविष्य के लिए अपने विचारों को प्रकट किया। |
− | * | + | ==पुरस्कार और सम्मान== |
− | * | + | *सन 2011 में टोरंटो विश्वविद्यालय के ‘रॉटमैन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट’ ने उन्हें डॉ ऑफ़ लॉ की मानद उपाधि दी |
− | * | + | *सन 2011 में उन्हें एन.डी टी.वी. इंडियन ऑफ़ द इयर के तहत ‘त्रन्स्फ़ोर्मतिओनल आईडिया ऑफ़ द इयर अवार्ड’ दिया गया |
− | * | + | *सन 2009 में टाइम पत्रिका ने नंदन को अपने प्रतिष्ठित ‘दुनिया के सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों’ की सूचि में रखा |
− | * | + | *सन 2009 में येल विश्वविद्यालय ने उन्हें ‘लीजेंड इन लीडरशिप’ का सम्मान दिया |
− | + | *सन 2006 में भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया | |
− | * | + | *सन 2006 में फोर्ब्स एशिया ने उन्हें ‘बिजनेसमैन ऑफ़ द इयर’ का सम्मान दिया |
− | * | + | *सन 2004 में सी.एन.बी.सी. द्वारा आयोजित ‘एशिया बिज़नस लीडर्स अवार्ड’ में उन्हें ‘कॉर्पोरेट सिटीजन ऑफ़ द इयर’ का सम्मान दिया गया |
− | + | *अर्थव्यवस्था और राजनीति के क्षेत्र में प्रगतिशील सेवाओं के लिए सन 2005 में जोसेफ शमपीटर अवार्ड दिया गया |
12:33, 4 अक्टूबर 2017 का अवतरण
जन्म: 2 जून 1955,बंगलुरु, कर्नाटक
कार्यक्षेत्र: सॉफ्टवेयर कंपनी इन्फोसिस के सह-संस्थापक, भारतीय विशिष्ट पहचानपत्र प्राधिकरण (UIDAI) के अध्यक्ष
नंदन नीलेकणि (अंग्रेजी:Nandan Nilekani, जन्म: 2 जून 1955, कर्णाटक, बैंगलोर) एक भारतीय उपक्रमी, नौकरशाह, नेता और प्रसिद्ध सॉफ्टवेयर कंपनी इन्फोसिस के सह-संस्थापक हैं। वे भारतीय विशिष्ट पहचानपत्र प्राधिकरण (UIDAI) के अध्यक्ष भी थे। इन्फोसिस में एक शानदार करियर के बाद नंदन ने भारत सरकार द्वारा गठित एक तकनीकी समिति की अध्यक्षता की इसके बाद वे भारत सरकार हर नागरिक को एक विशिष्ट पहचान संख्या या यूनिक आइडेंटीफिकेशन नम्बर प्रदान करने के लिए भारतीय विशिष्ट पहचानपत्र प्राधिकरण (यूआईडी) के बनाए गए। बाद में नंदन कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और सन 2014 के लोक सभा चुनाव में बैंगलोर सीट से खड़े हुए पर बी.जे.पी. के अनंत कुमार से हार गए।
जीवन परिचय
नंदन नीलेकणि का जन्म 2 जून 1955 में कर्णाटक की राजधानी बैंगलोर में हुआ था। उनके पिता मोहन राव नीलेकणि और माता दुर्गा का ताल्लुक कोक्कानी ब्राह्मण समुदाय से है, जो मूलतः कर्णाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के सिरसी कस्बे से है। उनके पिता मोहन राव म्य्सोरे और मिनेर्वा मिल्स में जनरल मेनेजर के पद पर कार्य करते थे और फैबियन साम्राज्यवाद में विश्वास रखते थे जिसके प्रभाव बचपन में नंदन के ऊपर भी पड़ा। नंदन का छोटा भाई विजय ‘नुक्लेअर एनर्जी इंस्टिट्यूट’ में कार्यरत है। नंदन की पढ़ाई बैंगलोर के बिशप कॉटन बॉयज स्कूल और धारवाड़ के सेंट जोसेफ हाई स्कूल और पी.यू कॉलेज धारवाड़ में हुई। इसके बाद उन्होंने ‘इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी बॉम्बे’ से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया।
विवाह
नंदन नीलेकणि का विवाह रोहिणी नीलेकणि से हुआ। वे दोनों इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी बॉम्बे में एक क्विज कार्यक्रम के दौरान मिले थे। नीलेकणि दंपत्ति के दो संताने हैं – निहार और जान्हवी और दोनों ही प्रसिद्ध येल विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। नंदन का सम्बन्ध चितरपुर सारस्वत ब्राह्मण समुदाय से है और उनकी प्रथम भाषा कोंकणी है। वे हिंदी, अंग्रेजी के साथ-साथ धाराप्रवाह कन्नड़ और मराठी भी बोलते हैं।
राजनीति में योगदान
मार्च 2014 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए और 2014 के लोकसभा चुनाव में दक्षिण बैंगलोर से कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया पर उन्हें बी.जे.पी. के नेता अनन्त कुमार से हार का सामना करना पड़ा।
कॅरियर
नंदन नीलेकणि ने सन 1978 में अपने करियर का प्रारंभ पाटनी कंप्यूटर सिस्टम से किया। पाटनी में नौकरी के लिए उनका इंटरव्यू एन.आर. नारायणमूर्ति ने लिया था। काम करते करते दोनों में प्रगाढ़ता बढ़ी और सन 1981 में उन्होंने एन.आर. नारायणमूर्ति और पांच अन्य लोगों के साथ पाटनी कंप्यूटर सिस्टम्स छोड़कर एक नयी कंपनी की स्थापना की – इन्फोसिस। इसके बाद अपनी कड़ी मेहनत और लगन से नंदन ने सफलता की बुलंदियों को छुआ। सन 2002 में उन्हें इन्फोसिस का सी.इ.ओ. बनाया गया और अप्रैल 2007 तक वे इस पद पर बने रहे। उनके स्थान पर उनके सहयोगी क्रिस गोपालकृष्णन को इनफ़ोसिस का सी.इ.ओ. बनाया गया और नंदन कंपनी के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स के सह-अध्यक्ष बनाये गए। इनफ़ोसिस का सी.इ.ओ. बनने से पहले नंदन ने कंपनी में विभिन्न्महत्व्पूर्ण पदों पर कार्य किया जिसमे शामिल है प्रबंध निदेशक, अध्यक्ष, सी.ओ.ओ. (मुख्य कार्यकारी अधिकारी)। सन 2009 में इनफ़ोसिस छोड़कर नंदन भारतीय विशिष्ट पहचानपत्र प्राधिकरण (UIDAI) के अध्यक्ष बन गए। कैबिनेट स्तर के इस पद को उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आग्रह पर स्वीकार किया था। भारतीय विशिष्ट पहचानपत्र प्राधिकरण (UIDAI) एक ऐसा डाटा बेस बना रहा है जिसमे देश के प्रत्येक नागरिक के लिए एक विशिष्ट पहचान संख्या प्रदान की जा रही है। इस नम्बर के आधार पर उस व्यक्ति की सम्पूर्ण जानकारी सरकार के पास उपलब्ध रहेगी। नंदन भारत की ओर से अंतराष्ट्रीय आर्थिक संबंध पर शोध करने वाली काउंसिल (ICRIER) के सदस्य हैं और इंडिपेंडेंट एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (NCAER) के अध्यक्ष भी हैं।
वे ‘वर्ल्ड इकनोमिक फोरम फाउंडेशन’ और ‘बॉम्बे हेरिटेज फण्ड’ जैसी संस्थाओं के एडवाइजरी बोर्ड पर भी हैं। अपनी पुस्तक ‘इमैजिनिंग इंडिया: द आईडिया ऑफ़ अ रेनयूड नेशन’ के प्रचार के लिए वे ‘द डेली शो विथ जॉन स्टीवर्ट’ पर भी गए थे और सन 2009 में TED कांफेरेंस में भी भारत के भविष्य के लिए अपने विचारों को प्रकट किया।
पुरस्कार और सम्मान
- सन 2011 में टोरंटो विश्वविद्यालय के ‘रॉटमैन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट’ ने उन्हें डॉ ऑफ़ लॉ की मानद उपाधि दी
- सन 2011 में उन्हें एन.डी टी.वी. इंडियन ऑफ़ द इयर के तहत ‘त्रन्स्फ़ोर्मतिओनल आईडिया ऑफ़ द इयर अवार्ड’ दिया गया
- सन 2009 में टाइम पत्रिका ने नंदन को अपने प्रतिष्ठित ‘दुनिया के सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों’ की सूचि में रखा
- सन 2009 में येल विश्वविद्यालय ने उन्हें ‘लीजेंड इन लीडरशिप’ का सम्मान दिया
- सन 2006 में भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया
- सन 2006 में फोर्ब्स एशिया ने उन्हें ‘बिजनेसमैन ऑफ़ द इयर’ का सम्मान दिया
- सन 2004 में सी.एन.बी.सी. द्वारा आयोजित ‘एशिया बिज़नस लीडर्स अवार्ड’ में उन्हें ‘कॉर्पोरेट सिटीजन ऑफ़ द इयर’ का सम्मान दिया गया
- अर्थव्यवस्था और राजनीति के क्षेत्र में प्रगतिशील सेवाओं के लिए सन 2005 में जोसेफ शमपीटर अवार्ड दिया गया