एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "०"।

"प्रयोग:कविता बघेल 9" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
पंक्ति 409: पंक्ति 409:
 
-नीति निर्धारित करने की शक्ति
 
-नीति निर्धारित करने की शक्ति
 
+इनमें से कोई नहीं
 
+इनमें से कोई नहीं
||वह आदेश, नियम तथा उपनियम, जो संसद की किसी विधि द्वारा प्रदत्त सत्ता के अंतर्गत कार्यपालिका अथवा प्रशासन के द्वारा जारी किए जाते हों, 'प्रत्यायोजित विधायन' कहलाते हैं। तीव्रगामी आर्थिक, सामाजिक तथा राजनीतिक परिवर्तनों के कारण वर्तमान समय में प्रतिनिहित विधि निर्माण अपरिहार्य हो गया है। इसकी मात्रा में दिनो-दिन वृद्धि हो रही है। वर्तमान समय में वित्त संबंधी शक्ति, नियम बनाने की शक्ति तथा नीति निर्धारित करने की शक्ति प्रत्यायोजित की जा रही है। लेकिन [[भारत]] में प्रतिनिहित विधायन के क्षेत्र में संसदीय नियंत्रण के साथ न्यायिक नियंत्रण की व्यवस्था भी उभरी है।
+
||वह आदेश, नियम तथा उपनियम, जो [[संसद]] की किसी विधि द्वारा प्रदत्त सत्ता के अंतर्गत कार्यपालिका अथवा प्रशासन के द्वारा जारी किए जाते हों, 'प्रत्यायोजित विधायन' कहलाते हैं। तीव्रगामी आर्थिक, सामाजिक तथा राजनीतिक परिवर्तनों के कारण वर्तमान समय में प्रतिनिहित विधि निर्माण अपरिहार्य हो गया है। इसकी मात्रा में दिनों-दिन वृद्धि हो रही है। वर्तमान समय में वित्त संबंधी शक्ति, नियम बनाने की शक्ति तथा नीति निर्धारित करने की शक्ति प्रत्यायोजित की जा रही है। लेकिन [[भारत]] में प्रतिनिहित विधायन के क्षेत्र में संसदीय नियंत्रण के साथ न्यायिक नियंत्रण की व्यवस्था भी उभरी है।
  
 
{नकारात्मक स्वतंत्रता की अवधारणा निम्नलिखित में से किस एक पर बल देती है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-83,प्रश्न-5
 
{नकारात्मक स्वतंत्रता की अवधारणा निम्नलिखित में से किस एक पर बल देती है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-83,प्रश्न-5
पंक्ति 418: पंक्ति 418:
 
-पसंद की स्वतंत्रता
 
-पसंद की स्वतंत्रता
 
||नकारात्मक स्वतंत्रता की अवधारणा हस्तक्षेप की अनुपस्थिति पर बल देती है। नकारात्मक स्वतंत्रता या औपचारिक स्वतंत्रता से अभिप्राय है कि यदि कोई व्यक्ति कुछ करना चाहता हो और कर भी सकता हो, तो उसे वैसा करने से रोका न जाए।
 
||नकारात्मक स्वतंत्रता की अवधारणा हस्तक्षेप की अनुपस्थिति पर बल देती है। नकारात्मक स्वतंत्रता या औपचारिक स्वतंत्रता से अभिप्राय है कि यदि कोई व्यक्ति कुछ करना चाहता हो और कर भी सकता हो, तो उसे वैसा करने से रोका न जाए।
 
  
  
पंक्ति 429: पंक्ति 428:
 
+गार्नर
 
+गार्नर
 
-[[अरस्तू]]
 
-[[अरस्तू]]
||गार्नर ने अपनी पुस्तक 'Political Science and Government' में राजनीति विज्ञान की 'प्रकृति एवं विषय क्षेत्र' के संबंध में कहा है कि राज्य ही राजनीति विज्ञान का आरंभ और अंत है। इसका संबंध [[राज्य]] के सिद्धान्त, संगठन एवं व्यवहार से है। इसके साथ-साथ राज्य की उत्पत्ति एवं प्रकृति का परीक्षण, राजनीतिक संस्थाओं की प्रकृति, [[इतिहास]] एवं राज्य के रूपों की जांच पड़ताल, तथा जहां तक संभव हो राजनीतिक प्रगति एवं विकास के नियमों को निगमित करना इसके क्षेत्र में आते हैं।
+
||गार्नर ने अपनी पुस्तक 'Political Science and Government' में राजनीति विज्ञान की 'प्रकृति एवं विषय क्षेत्र' के संबंध में कहा है कि राज्य ही राजनीति विज्ञान का आरंभ और अंत है। इसका संबंध [[राज्य]] के सिद्धान्त, संगठन एवं व्यवहार से है। इसके साथ-साथ राज्य की उत्पत्ति एवं प्रकृति का परीक्षण, राजनीतिक संस्थाओं की प्रकृति, [[इतिहास]] एवं राज्य के रूपों की जांच पड़ताल तथा जहां तक संभव हो राजनीतिक प्रगति एवं विकास के नियमों को निगमित करना इसके क्षेत्र में आते हैं।
  
 
{[[राज्य]] की उत्पत्ति के संबंध में कौन-सा सिद्धांत सर्वमान्य है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-19,प्रश्न-16
 
{[[राज्य]] की उत्पत्ति के संबंध में कौन-सा सिद्धांत सर्वमान्य है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-19,प्रश्न-16
पंक्ति 449: पंक्ति 448:
 
{"शक्ति की राजनीति, लोक कल्याण की राजनीति, तकनीकी राजनीति तथा दलीय राजनीति की प्रवृत्ति केंद्रीयकरण की प्रवृत्ति का मुख्य कारण रहा है"- किसने कहा? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-33,प्रश्न-16
 
{"शक्ति की राजनीति, लोक कल्याण की राजनीति, तकनीकी राजनीति तथा दलीय राजनीति की प्रवृत्ति केंद्रीयकरण की प्रवृत्ति का मुख्य कारण रहा है"- किसने कहा? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-33,प्रश्न-16
 
|type="()"}
 
|type="()"}
-प्रो.सी.एफ. स्ट्रांग
+
-प्रो. सी. एफ. स्ट्रांग
+प्रो.के.सी ह्वीयर
+
+प्रो. के. सी ह्वीयर
 
-प्रो. लास्की
 
-प्रो. लास्की
 
-जेम्स वाइस
 
-जेम्स वाइस
||प्रो.के.सी. ह्वीयर ने आधुनिक संघीय व्यवस्थाओं में केंद्र के शक्तिशाली होने एवं बढ़ती केंद्रीयकरण की प्रवृत्ति के लिए 'शक्ति की राजनीति, आर्थिक मंदी की राजनीति, लोक कल्याण की राजनीति, तकनीकी राजनीति, एवं दलीय राजनीति' को मुख्य कारण माना है।
+
||प्रो. के. सी. ह्वीयर ने आधुनिक संघीय व्यवस्थाओं में केंद्र के शक्तिशाली होने एवं बढ़ती केंद्रीयकरण की प्रवृत्ति के लिए 'शक्ति की राजनीति, आर्थिक मंदी की राजनीति, लोक कल्याण की राजनीति, तकनीकी राजनीति, एवं दलीय राजनीति' को मुख्य कारण माना है।
  
 
{निम्नलिखित में से किसका उदारवाद से मेल नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-37,प्रश्न-6
 
{निम्नलिखित में से किसका उदारवाद से मेल नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-37,प्रश्न-6
पंक्ति 469: पंक्ति 468:
 
-गैटेल
 
-गैटेल
 
-गार्नर
 
-गार्नर
||[[गिलक्राइस्ट]] ने कहा है कि "सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार वास्तव में सार्वभौमिक नहीं हैं"। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है-  
+
||[[गिलक्राइस्ट]] ने कहा है कि "सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार वास्तव में सार्वभौमिक नहीं हैं"। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- विभिन्न देशों में वयस्क मताधिकार की आयु निम्नलिखित है- (1 ) [[भारत]] में वयस्क मताधिकार की आयु 18 वर्ष है। (2) [[फ़्राँस]] व [[जर्मनी]] में वयस्क मताधिकार की आयु 20 वर्ष है। (3) डेनमार्क व [[जापान]] में वयस्क मताधिकार की आयु 25 वर्ष है। (4) नॉर्वे में वयस्क मताधिकार की आयु 23 वर्ष है।
विभिन्न देशों में वयस्क मताधिकार की आयु निम्नलिखित है- (1 ) [[भारत]] में वयस्क मताधिकार की आयु 18 वर्ष है। (2) [[फ्रांस]] व [[जर्मनी]] में वयस्क मताधिकार की आयु 20 वर्ष है। (3) डेनमार्क व [[जापान]] में वयस्क मताधिकार की आयु 25 वर्ष है। (4) नॉर्वे में वयस्क मताधिकार की आयु 23 वर्ष है।
 
  
 
{लेनिन के अनुसार साम्राज्यवाद क्या है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-53,प्रश्न-16
 
{लेनिन के अनुसार साम्राज्यवाद क्या है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-53,प्रश्न-16
पंक्ति 478: पंक्ति 476:
 
+पूंजीवाद की उच्चतम अवस्था है।
 
+पूंजीवाद की उच्चतम अवस्था है।
 
-पूंजीवाद का समाजवाद में विलय है।
 
-पूंजीवाद का समाजवाद में विलय है।
||लेनिन के अनुसार साम्राज्यवाद पूंजीवाद की उच्चतम अवस्था है। लेनिन ने इस अवस्था का विश्लेषण अपनी प्रसिद्ध कृति 'इंपीरियलिज्म: द हाइएस्ट स्टेज ऑफ़ कैपिटलिज्म' (साम्राज्यवाद: पूंजीवाद की उच्चतम अवस्था) में किया। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) लेनिन साम्राज्यवाद को पूंजीवाद की अभिव्यक्ति मानते हैं। (2) लेनिन ने वर्ष [[1902]] में 'ह्वाट इज टु बि इन?' (अब हमे क्या करना है?) की रचना किया। जिसमें अपने सैद्धांतिक विचारों का उल्लेख किया।
+
||लेनिन के अनुसार साम्राज्यवाद पूंजीवाद की उच्चतम अवस्था है। लेनिन ने इस अवस्था का विश्लेषण अपनी प्रसिद्ध कृति 'इंपीरियलिज्म: द हाइएस्ट स्टेज ऑफ़ कैपिटलिज्म' (साम्राज्यवाद: पूंजीवाद की उच्चतम अवस्था) में किया। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) लेनिन साम्राज्यवाद को पूंजीवाद की अभिव्यक्ति मानते हैं। (2) लेनिन ने वर्ष [[1902]] में 'ह्वाट इज टु बि इन?' (अब हमें क्या करना है?) की रचना की। जिसमें अपने सैद्धांतिक विचारों का उल्लेख किया।
  
 
{निम्नलिखित में से कौन आमण्ड के हित-अभिव्यक्त करने वाली संरचनाओं के वर्गीकरण में शामिल नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-66,प्रश्न-16
 
{निम्नलिखित में से कौन आमण्ड के हित-अभिव्यक्त करने वाली संरचनाओं के वर्गीकरण में शामिल नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-66,प्रश्न-16
पंक्ति 486: पंक्ति 484:
 
+प्रजातीय संरचनाएं
 
+प्रजातीय संरचनाएं
 
-प्रदर्शनात्मक संरचनाएं
 
-प्रदर्शनात्मक संरचनाएं
||जी.ए. आमंड तथा पॉवेल ने अपनी पुस्तक 'Comparative Politics' में दबाव समूहों को चार श्रेणियों में विभक्त किया है- ?(1) संस्थात्मक दवाब समूह (Institutional Prassure Groups)- ये दबाव समूह राजनीतिज दलों, विधान मण्डलों, सेना, नौकरशाही इत्यादि में सक्रिय रहते हैं। (2) समुदायात्मक दबाव समूह (Associational Pressure Groups)- ये विशेषीकृत संघ होते हैं जो अपने विशिष्टहितों की पूर्ति करते हैं। (3) गैर समुदायात्मक दबाव समूह (Non Associational Pressure Groups)- ये संगठित संघ नहीं होते ये अनौपचारिका रूप से अपने हितों की अभिव्यक्ति करते हैं- जैसे- सांप्रदायिक और धार्मिक समुदाय, जातीय समुदाय आदि। (4) प्रदर्शनात्मक दबाव समूह (Anomic Pressure Groups)- ये अपनी मांगों को लेकर अवैधानिक उपायों का प्रयोग करते हैं जैसे- हिंसा, राजनैतिक हत्या, दंगे तथा अन्य आक्रामक रवैया अपनाते हैं।
+
||जी. ए. आमंड तथा पॉवेल ने अपनी पुस्तक 'Comparative Politics' में दबाव समूहों को चार श्रेणियों में विभक्त किया है- (1) संस्थात्मक दवाब समूह (Institutional Prassure Groups)- ये दबाव समूह राजनीतिज दलों, विधान मण्डलों, सेना, नौकरशाही इत्यादि में सक्रिय रहते हैं। (2) समुदायात्मक दबाव समूह (Associational Pressure Groups)- ये विशेषीकृत संघ होते हैं जो अपने विशिष्टहितों की पूर्ति करते हैं। (3) गैर समुदायात्मक दबाव समूह (Non Associational Pressure Groups)- ये संगठित संघ नहीं होते ये अनौपचारिक रूप से अपने हितों की अभिव्यक्ति करते हैं- जैसे- सांप्रदायिक और धार्मिक समुदाय, जातीय समुदाय आदि। (4) प्रदर्शनात्मक दबाव समूह (Anomic Pressure Groups)- ये अपनी मांगों को लेकर अवैधानिक उपायों का प्रयोग करते हैं जैसे- हिंसा, राजनैतिक हत्या, दंगे तथा अन्य आक्रामक रवैया अपनाते हैं।
  
 
{'मूल्य तटस्थता' निम्न में से किसकी विशेषता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-79,प्रश्न-95
 
{'मूल्य तटस्थता' निम्न में से किसकी विशेषता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-79,प्रश्न-95
पंक्ति 498: पंक्ति 496:
 
{"आर्थिक समानता के बिना राजनीतिक स्वतंत्रता मिथक है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-83,प्रश्न-6
 
{"आर्थिक समानता के बिना राजनीतिक स्वतंत्रता मिथक है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-83,प्रश्न-6
 
|type="()"}
 
|type="()"}
-ग्रीन  
+
-ग्रीन
-जे.एस. मिल
+
-जे. एस. मिल
+जी.डी.एच. कोल
+
+जी. डी. एच. कोल
 
-लास्की
 
-लास्की
||जी.डी.एच. कोल ने कहा है कि "आर्थिक समानता के बिना राजनीतिक स्वतंत्रता मिथक है।" दूसरे शब्दों में "आर्थिक समानता के अभाव में राजनीतिक स्वतंत्रता केवल एक भ्रम है।" राजनीतिक स्वतंत्रता के आधार के रूप में आर्थिक समानता कार्य करती है, एक व्यक्ति सार्वजनिक क्षेत्र के प्रति तभी रुचि ले सकता है जब उसके पास अपनी अनिवार्य आवश्यकताओं को पूरा करने के पर्याप्त साधन उपलब्ध हों। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) लास्की के अनुसार, "मुझे स्वादिष्ट भोजन करने का अधिकार नहीं है यदि मेरे पड़ोसी को मेरे इस अधिकार के कारण सूखी रोटी से वंचित रहना पड़े।" (2) [[जवाहरलाल नेहरू]] ने कहा है, "भूखे व्यक्ति के लिए मत का कोई मूल्य नहीं होता।" (3) लास्की के अनुसार, "यदि [[राज्य]] संपत्ति को अधीन नहीं रखता, तो संपत्ति राज्य को वशीभूत कर लेगी।" (4) कोल की तरह लास्की ने भी कहा है कि "आर्थिक समानता के बिना राजनीतिक स्वतंत्रता कभी भी वास्तविक नहीं हो सकती।"
+
||जी. डी. एच. कोल ने कहा है कि "आर्थिक समानता के बिना राजनीतिक स्वतंत्रता मिथक है।" दूसरे शब्दों में "आर्थिक समानता के अभाव में राजनीतिक स्वतंत्रता केवल एक भ्रम है।" राजनीतिक स्वतंत्रता के आधार के रूप में आर्थिक समानता कार्य करती है, एक व्यक्ति सार्वजनिक क्षेत्र के प्रति तभी रुचि ले सकता है जब उसके पास अपनी अनिवार्य आवश्यकताओं को पूरा करने के पर्याप्त साधन उपलब्ध हों। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) लास्की के अनुसार, "मुझे स्वादिष्ट भोजन करने का अधिकार नहीं है यदि मेरे पड़ोसी को मेरे इस अधिकार के कारण सूखी रोटी से वंचित रहना पड़े।" (2) [[जवाहरलाल नेहरू]] ने कहा है, "भूखे व्यक्ति के लिए मत का कोई मूल्य नहीं होता।" (3) लास्की के अनुसार, "यदि [[राज्य]] संपत्ति को अधीन नहीं रखता, तो संपत्ति राज्य को वशीभूत कर लेगी।" (4) कोल की तरह लास्की ने भी कहा है कि "आर्थिक समानता के बिना राजनीतिक स्वतंत्रता कभी भी वास्तविक नहीं हो सकती।"
  
  
पंक्ति 515: पंक्ति 513:
 
+गार्नर
 
+गार्नर
 
-लास्की
 
-लास्की
||गार्नर ने अपनी पुस्तक 'Political Science and Government' में राजनीति विज्ञान की 'प्रकृति एवं विषय क्षेत्र' के संबंध में कहा है कि राज्य ही राजनीति विज्ञान का आरंभ और अंत है। इसका संबंध राज्य के सिद्धान्त, संगठन एवं व्यवहार से है। इसके साथ-साथ राज्य की उत्पत्ति एवं प्रकृति का परीक्षण, राजनीतिक संस्थाओं की प्रकृति, इतिहास एवं राज्य के रूपों की जांच पड़ताल, तथा जहां तक संभव हो राजनीतिक प्रगति एवं विकास के नियमों को निगमित करना इसके क्षेत्र में आते हैं।
+
||गार्नर ने अपनी पुस्तक 'Political Science and Government' में राजनीति विज्ञान की 'प्रकृति एवं विषय क्षेत्र' के संबंध में कहा है कि राज्य ही राजनीति विज्ञान का आरंभ और अंत है। इसका संबंध राज्य के सिद्धान्त, संगठन एवं व्यवहार से है। इसके साथ-साथ राज्य की उत्पत्ति एवं प्रकृति का परीक्षण, राजनीतिक संस्थाओं की प्रकृति, इतिहास एवं राज्य के रूपों की जांच पड़ताल तथा जहां तक संभव हो राजनीतिक प्रगति एवं विकास के नियमों को निगमित करना इसके क्षेत्र में आते हैं।
  
 
{राज्य की उत्पत्ति का सबसे सही सिद्धांत क्या है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-19,प्रश्न-17
 
{राज्य की उत्पत्ति का सबसे सही सिद्धांत क्या है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-19,प्रश्न-17
पंक्ति 529: पंक्ति 527:
 
|type="()"}
 
|type="()"}
 
-न्याय समाज का प्रथम सद्गुण है
 
-न्याय समाज का प्रथम सद्गुण है
-प्रक्रियात्मक न्याय की प्रधानता
+
-प्रक्रियात्मक न्याय की प्रधानता है
-सामाजिक न्याय से सरोकार
+
-सामाजिक न्याय से सरोकार है
 
+उपर्युक्त सभी
 
+उपर्युक्त सभी
||राल्स के अनुसार, "न्याय समाज का प्रथम सद्गुण है, यह प्रक्रियात्मक होता है एवं इसका सरोकर सामाजिक न्याय से होता है"। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) समकालीन उदारवादी चिंतक जॉन राल्स ने अपनी कृति 'ए थ्योरी ऑफ़ जस्टिस' (न्याय सिद्धांत) में तर्क दिया कि उत्तम समाज में अनेक सद्गुण अपेक्षित होते हैं, जिनमें न्याय का स्थान सर्वप्रथम है। न्याय उत्तम समाज की आवश्यक शर्त है किंतु यह उसके लिए पर्याप्त नहीं है। (2) राल्स के अनुसार, न्याय की समस्या प्राथमिक वस्तुओं के न्यायपूर्ण वितरण की समस्या है। ये प्राथमिक वस्तुएं हैं- अधिकार एवं स्वतंत्रताएं, शक्तियां एवं अवसर, आय और संपदा, तथा आत्म-सम्मान के साधन। (3) राल्स ने अपने न्याय सिद्धांत को 'शुद्ध प्रक्रियात्मक न्याय' की संज्ञा दी। इसका अर्थ है कि सर्वसम्मति से स्वीकार किए गए न्याय सिद्धांतों के प्रयोग से जो भी वितरण-व्यवस्था अस्तित्व में आएगी यह अनिवार्यत: न्यायपूर्ण होगी। (3) राल्स ने न्याय की सर्वसम्मत प्रक्रिया निर्धारित करने हेतु सामाजिक अनुबंध की तर्क प्रणाली अपनाई। (4) राल्स ने सामाजिक न्याय की स्थापना हेतु भेद-मूलक सिद्धांत स्वीकारा जिसके अनुसार, किसी व्यक्ति की असाधारण योग्यता और परिश्रम हेतु विशेष पुरस्कार तभी न्यायसंगत होगा जब उससे समाज के कमज़ोर वर्ग या व्यक्तियों को अधिकतम लाभ पहुंचे। इसके बाद प्रतिस्पर्धात्मक अर्थव्यवस्था के मानदंड को लागू किया जा सकता है।
+
||राल्स के अनुसार, "न्याय समाज का प्रथम सद्गुण है, यह प्रक्रियात्मक होता है एवं इसका सरोकर सामाजिक न्याय से होता है"। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) समकालीन उदारवादी चिंतक जॉन राल्स ने अपनी कृति 'ए थ्योरी ऑफ़ जस्टिस' (न्याय सिद्धांत) में तर्क दिया कि उत्तम समाज में अनेक सद्गुण अपेक्षित होते हैं, जिनमें न्याय का स्थान सर्वप्रथम है। न्याय उत्तम समाज की आवश्यक शर्त है किंतु यह उसके लिए पर्याप्त नहीं है। (2) राल्स के अनुसार, न्याय की समस्या प्राथमिक वस्तुओं के न्यायपूर्ण वितरण की समस्या है। ये प्राथमिक वस्तुएं हैं- अधिकार एवं स्वतंत्रताएं, शक्तियां एवं अवसर, आय और संपदा, तथा आत्म-सम्मान के साधन। (3) राल्स ने अपने न्याय सिद्धांत को 'शुद्ध प्रक्रियात्मक न्याय' की संज्ञा दी। इसका अर्थ है कि सर्वसम्मति से स्वीकार किए गए न्याय सिद्धांतों के प्रयोग से जो भी वितरण-व्यवस्था अस्तित्व में आएगी यह अनिवार्यत: न्यायपूर्ण होगी। (3) राल्स ने न्याय की सर्वसम्मत प्रक्रिया निर्धारित करने हेतु सामाजिक अनुबंध की तर्क प्रणाली अपनाई। (4) राल्स ने सामाजिक न्याय की स्थापना हेतु भेद-मूलक सिद्धांत स्वीकारा जिसके अनुसार, किसी व्यक्ति की असाधारण योग्यता और परिश्रम हेतु विशेष पुरस्कार तभी न्यायसंगत होगा जब उससे समाज के कमज़ोर वर्ग या व्यक्तियों को अधिकतम लाभ पहुंचे। इसके बाद प्रतिस्पर्धात्मक अर्थव्यवस्था के मानदंड को लागू किया जा सकता है।
  
 
{"राजनीति विज्ञान शक्ति की रचना और भागीदारी का अध्ययन है।" यह परिभाषा किसने दी है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-33,प्रश्न-17
 
{"राजनीति विज्ञान शक्ति की रचना और भागीदारी का अध्ययन है।" यह परिभाषा किसने दी है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-33,प्रश्न-17
 
|type="()"}
 
|type="()"}
 
-आलमंड एंड पावेल
 
-आलमंड एंड पावेल
+लासवेल व काप्लान
+
+लासवेल व कैप्लान
 
-राबर्ट ए. डहल
 
-राबर्ट ए. डहल
 
-[[गिलक्राइस्ट]]
 
-[[गिलक्राइस्ट]]
||राजनीति विज्ञान के अध्ययन में व्यवहारवादी क्रांति ने इसकी परम्परागत अध्ययन क्षेत्र एवं अध्ययन की पद्धति दोनों में आमूलचूल परिवर्तन ला दिया। इसकी परम्परागत धारणा में राज्य सरकार एवं संस्थाओं का अध्ययन किया जाता था। लेकिन व्यवहारवादी विचारक शक्ति, सत्ता एवं प्रभाव को अध्ययन का केन्द्र मानते हैं। ऐसे विचारकों में लासवेल, डहल, कैप्लान आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। लासवेल ने राजनीति शस्त्र की परिभाषा करते हुए लिखा है कि यह "शक्ति में सहभगी होने और उसका निरुपण (रचना) करने का अध्ययन है।" उनके अनुसार राजनीतिक क्रिया वह है जो शक्ति के परिप्रेक्ष्य में संपादित की जाए।
+
||राजनीति विज्ञान के अध्ययन में व्यवहारवादी क्रांति ने इसकी परम्परागत अध्ययन क्षेत्र एवं अध्ययन की पद्धति दोनों में आमूलचूल परिवर्तन ला दिया। इसकी परम्परागत धारणा में राज्य सरकार एवं संस्थाओं का अध्ययन किया जाता था। लेकिन व्यवहारवादी विचारक शक्ति, सत्ता एवं प्रभाव को अध्ययन का केन्द्र मानते हैं। ऐसे विचारकों में लासवेल, डहल, कैप्लान आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। लासवेल ने राजनीति शास्त्र की परिभाषा करते हुए लिखा है कि यह "शक्ति में सहभागी होने और उसका निरुपण (रचना) करने का अध्ययन है।" उनके अनुसार राजनीतिक क्रिया वह है जो शक्ति के परिप्रेक्ष्य में संपादित की जाए।
  
 
{उदारवाद का मौलिक सिद्धांत क्या है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-37,प्रश्न-7
 
{उदारवाद का मौलिक सिद्धांत क्या है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-37,प्रश्न-7

12:53, 21 अप्रैल 2017 का अवतरण

1 यह कथन किसका है कि "बिना भू-भाग के भी राज्य का अस्तित्व रह सकता है"? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-6,प्रश्न-11

गार्नर
मैकाइवर
सीले
विलोबी

2 लॉक के अनुसार लोगों ने समझौता किस कारण किया था?(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-18,प्रश्न-11

उनके अधिकारों की रक्षा हो सके
पोपतंत्र का दमन किया जा सके
गृह युद्धों का अंत हो सके
शासकीय चर्च की स्थापना हो सके

3 निम्न में से न्याय का क्या अर्थ है?(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-27,प्रश्न-1

कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है।
भेदभाव किया जा सकता है।
राजा की बुद्धि के अनुसार भेदभाव किया जा सकता है।
बहुमत के अनुसार भेदभाव किया जा सकता है।

4 निम्नलिखित में से व्यक्तिवादी विचारक कौन हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-32,प्रश्न-11

हेराल्ड लास्की
जेम्स मिल
हर्बर्ट स्पेंसर
अरस्तू

5 निम्न में से कौन नव-उदारवाद का प्रमुख तर्क नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-36,प्रश्न-1

बाज़ार संसाधनों का सर्वोत्तम इस्तेमाल करता है।
वरण के परास को मज़बूत करने के लिए सक्षमकार संसाधन व्यक्तियों और समूहों को प्रदान किए जाने चाहिए।
एक योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था अकुशल और अपव्ययी होती है।
निजी क्षेत्र के प्रभुत्व वाली किसी अर्थव्यवस्था का उत्पादन और प्रयोग में ज्ञान और प्रौद्योगिकी का विनियोजन अव्यवहित और अपेक्षाकृत अधिक प्रभावी होता है।

6 लोकतंत्र के बारे में निम्नलिखित कथन किस विचारक का है? "इस बात से कोई इंकार नहीं करता कि वर्तमान प्रतिनिधि सभाओं में अनेक त्रुटियां हैं। पर यदि मोटरगाड़ी खराब हो जाए तो उसकी जगह बैलगाड़ी का इस्तेमाल करने लगना मूर्खता होगी, चाहे इसकी अल्पना कितनी मधुर क्यों न लगे।" (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-43,प्रश्न-2

सी. डी. बर्न्स
लॉर्ड ब्राइस
हेरल्ड जे.लास्की
वाल्टर बेजहाट

7 कार्ल मार्क्स ने पॅट्रीशियन- प्लेबियन और गिल्ड मास्टर जार्नीमेन का उल्लेख किस संदर्भ में किया था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-52,प्रश्न-11

वर्ग संघर्ष के संदर्भ में
वर्ग सहयोग एवं विवाह के संदर्भ में
नस्लीय संघर्ष के संदर्भ में
नस्लीय सहयोग के संदर्भ में

8 अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में यथार्थवादियों को तामस-पुत्र और आदर्शवादियों को प्रकाश-पुत्र की संज्ञा किसने दी है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-65,प्रश्न-11

मार्गेथाउ
पामर एवं पार्किंस
नाइबहर
स्प्राउट

9 हॉब्स के 'लेवियाथन' में प्रयुक्त 'कॉमनवेल्थ' शब्द का क्या अर्थ है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-78,प्रश्न-90

सम्प्रभु
समाज, राज्य एवं सरकार के लिए सामूहिक नाम
प्राकृतिक अवस्था में रहने वाले लोगों का वर्ग
उपर्युक्त में से कोई नहीं

10 "सतत जागरुकता ही स्वतंत्रता का मूल्य है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-82,प्रश्न-1

ब्राइस
मैकाइवर
वाशिंगटन
कार्ल मार्क्स

11 निम्न में से कौन-सा विद्वान 'भूमि को राज्य का आवश्यक तत्त्व' नहीं मानता है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-6,प्रश्न-12

हॉल
डुग्वी
उपर्युक्त दोनों
उपर्युक्त में दे कोई नहीं

12 हॉब्स के सामाजिक समझौते में लोगों ने लेवियाथन को कौन-कौन से अधिकार सौंपे थे? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-18,प्रश्न- 12

केवल विद्रोह का अधिकार
केवल धार्मिक अधिकार
लगभग सभी अधिकार
केवल राजनैतिक अधिकार

13 राजनीतिक न्याय किसके द्वारा सुनिश्चित होता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-27,प्रश्न-2

विधायिका
संविधान
राजनीतिक दल
निर्वाचन सत्ता

14 'योग्यत्तम की अतिजीविता' का सिद्धांत किसके द्वारा प्रतिपादित किया गया था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-32,प्रश्न-12

प्लेटो
हर्बर्ट स्पेंसर
रूसो
जॉन लॉक

15 "अनियंत्रित बाज़ार आधारित पूंजीवाद का परिणाम होगा- कार्यकुशलता, उत्पादन वृद्धि तथा व्यापक संपन्नता।" यह विश्वास किसके साथ जुड़ा है?(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-36,प्रश्न-2

नव उदारवाद
नव अनुदारवाद
नव मार्क्सवाद
उपर्युक्त में से कोई नहीं

16 लोकतंत्र में 'गुटतंत्र के लौह नियम' का प्रतिपादन किसने किया है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-44,प्रश्न-3

राबर्ट मिशेल्स
विल्फ्रेटो पैरेटो
गेतानो मोस्का
रेमों आरों

17 सतत क्रांति का सिद्धांत किसने दिया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-52,प्रश्न-12

कार्ल मार्क्स
लेनिन
माओ से-तुंग
हो-ची मिन्ह

18 मूने के अनुसार स्टाफ़ कार्य के तीन पक्ष कौन-कौन से हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-66,प्रश्न-12

सूचनात्मक
परामर्शकारी
पर्यवेक्षणात्मक
उपुर्युक्त सभी

19 निम्नलिखित में से कौन खेल सिद्धांत से नहीं जुड़े हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-78,प्रश्न-91

आरगान्सकी
स्नाइडर
हर्सेन्यि
थॉमस शेलिंग

20 "स्वतंत्रता सभी बंधनों का अभाव है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-82,प्रश्न-2

मिल
लास्की
बार्कर
सीले

21 किसने कहा "राज्य पृथ्वी पर ईश्वर की गति है"? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-6,प्रश्न-13

बेथम
जे. एस. मिल
कार्ल मार्क्स
हीगल

22 समाजिक संविदा का सिद्धांत मुख्य रूप से किस प्रकार के कार्य करने का प्रयत्न करता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-18,प्रश्न-13

राज्य के ऐतिहासिक उद्गम का पता लगाना
राजनीतिक बाध्यता के आधार की व्याख्या करना
यथास्थिति का औचित्य स्थापित करना
क्रांति द्वारा समाज में आमूल परिवर्तन लाना

23 राजनीतिक न्याय से क्या तात्पर्य है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-28,प्रश्न-3

सभी को समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त हों
सभी को समान आर्थिक अधिकार प्राप्त हों
सभी को समान धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त हो
सभी को हर प्रकार के भेद-भाव से रहित समान सुविधा प्राप्त हो।

24 लेसेज़ फेयर का क्या अभिप्राय है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-32,प्रश्न-13

धर्मनिरपेक्ष
समाजवाद
व्यक्ति को अकेला छोड़ दो
उपरोक्त सभी

25 किसने कहा था कि राज्य को आर्थिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-36,प्रश्न-3

प्लेटो
कार्ल मार्क्स
एडम स्मिथ
जॉन लॉक

26 निम्न में से कौन लोकतंत्र को 'स्वीकृत पागलपन' कहता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-44,प्रश्न-4

ल्यूडोविकी
कार्ल मार्क्स
प्रौंधा
टेलीरैंड

27 माओ से-तुंग के अनुसार, मार्क्सवादी क्रांति में कृषकों की भूमिका कैसी होगी? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-53,प्रश्न-13

प्रतिक्रियात्मक
शून्य
महत्त्वपूर्ण
महत्त्वहीन

28 "किंतु प्रत्येक व्यक्ति है किस- संसद राजा को ऑस्टिनवादी अर्थ में प्रभुसत्त-संपन्न संस्था समझना असंगत है" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-66,प्रश्न-13

डायसी
लास्की
मेटलैंड
लॉर्ड ब्राइस

29 हेगेल ने सभ्य समाज को किस रूप में देखा? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-78,प्रश्न-92

विशिष्टता के साकार रूप में
एकता के साकार रूप में
सार्वभौमिकता के साकार रूप में
समुदाय के साकार रूप में

30 "स्वतंत्रता का मतलब सभी प्रकार के बंधनों का अभाव है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-83,प्रश्न-3

सीले
प्लेटो
अरस्तू
जॉन लॉक

31 "राज्य पृथ्वी पर ईश्वर का पदक्षेप है" यह किसने कहा है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-6,प्रश्न-14

काण्ट
हीगल
रूसो
बोसांके

32 निम्न वक्तव्यों में से कौन-सा वक्तव्य राज्य की उत्पत्ति के विषय में मार्क्सवादी सिद्धांत को स्पष्ट करता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-19,प्रश्न-14

राज्य की उत्पत्ति साधनों का विकास करने के उद्धेश्य से हुई
राज्य की उत्पत्ति उत्पादन की विधि में परिवर्तन लाने के उद्देश्य से हुई
राज्य की उत्पत्ति उत्पादन के शोषणपरक संबंधों के रक्षार्थ हुई
राज्य की उत्पत्ति वर्गविहीन समाज के उद्देश्य से हुई

33 जॉन राल्स की न्याय की धारणा क्या है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-28,प्रश्न-4

समाजवादी
उपयोगितावादी
समुदायवादी
उदारवादी

34 "राजनीति के बिना इतिहास निष्फल है, इतिहास के बिना राजनीति निर्मूल है।" यह कथन निम्नलिखित में से किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-33,प्रश्न-14

सेबाइन
सीले
बार्कर
वेपर

35 संपत्ति के अधिकार की मांग किसने की? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-36,प्रश्न-4

मार्क्सवाद
उदारवाद
समाजवाद
गांधीवाद

36 निम्न में से किसने लोकतंत्र को 'एक जीवन शैली' के रूप में परिभाषित किया है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-44,प्रश्न-5

एडम स्मिथ
इ. बर्क
हेरोल्ड लास्की
टी. वी. स्मिथ

37 'लोक युद्ध' की संकल्पना विकसित करने का श्रेय किसको जाता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-53,प्रश्न-14

व्लादिमीर लेनिन
रूसो
ग्राम्सी
माओ से-तुंग

38 मॉर्टन कैप्लन ने अंतर्राष्ट्रीय राज्यव्यवस्था के निम्न में से किस प्रतिमान की कल्पना नहीं की थी? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-66,प्रश्न-14

शक्ति संतुलन की व्यवस्था
उत्तर परमाणु युद्ध मॉडल
शिथिल द्विध्रुवीय व्यवस्था
दृढ़ द्विध्रुवीय व्यवस्था

39 राजनीतिक संस्कृति का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-79,प्रश्न-93

फाइनर
सिडनी वेब
आमंड
लासवेल

40 किसने कहा "स्वतंत्रता समस्त प्रतिबंधों का अभाव है"? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-83,प्रश्न-4

बैंथम
जॉन लॉक
कांट
सीले

41 निम्न में किस विद्वान ने 'समाज को ईंट तथा राज्य को सीमेंट' कहा है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-6,प्रश्न-15

आशीर्वादम
जॉन गिलक्राइस्ट
गेटेल
गार्नर

42 वर्तमान समय में राज्य की उत्पत्ति का कौन-सा सिद्धांत सबसे अधिक मान्य है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-19,प्रश्न-15

ऐतिहासिक
आर्थिक
दैवी
शक्ति

43 "एक बेहतर न्यायिक समाज की प्रकृति तथा उद्देश्य न्याय सिद्धांत का भौतिक अंग है" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-28,प्रश्न-5

जॉन राल्स
लॉर्ड एक्टन
टॉनी
जे. एस. मिल

44 "इतिहास का राजनीति विज्ञान के बिना फल नहीं तथा राजनीति विज्ञान का इतिहास के बिना जड़ नहीं" यह किसने कहा? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-33,प्रश्न-15

गार्नर
ब्लण्टशली
सीले
पॉल जेनेट

45 'सामाजिक अभियांत्रिकी' का सिद्धांत' प्रस्तुत करने वाले उदारवादी विचारक कौन हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-36,प्रश्न-5

सी. बी. मैक्फर्सन
कार्ल जे. पॉपर
जॉन राल्स
एल. टी. हॉब हाऊस

46 प्रतिनिधित्व का कौन-सा सिद्धांत प्रत्यक्ष लोकतंत्र को प्रतिष्ठा देता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-45,प्रश्न-6

प्रतिक्रियावादी सिद्धांत
अनुदारवादी सिद्धांत
उदारवादी सिद्धांत
क्रांतिकारी सिद्धांत

47 'श्रमिकों की तानाशाही' के सिद्धांत को किसने सुपरिष्कृत किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-53,प्रश्न-15

कार्ल मार्क्स ने 'दास-कैपिटल' में
कार्ल मार्क्स एवं ऐंजिल्स ने 'कम्युनिस्ट मैनीफेस्टो' में
ऐंजिल्स ने 'आरिजिन ऑफ़ फैमिली प्राइवेट प्रॉपर्टी एंड स्टेट' में
लेनिन ने 'स्टे एंड रिवोल्यूशन' में

48 संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक उपागम किसके नाम से जुड़ा है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-66,प्रश्न-15

आमंड और पावेल
डेविड ईस्टन
राबर्ट डाहल
ओ. आर. यंग

49 कौन-सी सत्ता प्रत्यायोजित नहीं की जानी चाहिए? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-79,प्रश्न-94

वित्त संबंधी शक्ति
नियम बनाने की शक्ति
नीति निर्धारित करने की शक्ति
इनमें से कोई नहीं

50 नकारात्मक स्वतंत्रता की अवधारणा निम्नलिखित में से किस एक पर बल देती है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-83,प्रश्न-5

समानता
स्वायत्तता
हस्तक्षेप की अनुपस्थिति
पसंद की स्वतंत्रता

51 किसने कहा "राजनीति शास्त्र का राज्य से प्रारंभ और राज्य के साथ ही अंत होता है"? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-7,प्रश्न-16

कोकर
सैबाइन
गार्नर
अरस्तू

52 राज्य की उत्पत्ति के संबंध में कौन-सा सिद्धांत सर्वमान्य है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-19,प्रश्न-16

दैवीय उत्पत्ति का सिद्धांत
शक्ति का सिद्धांत
विकासवादी सिद्धांत
सामाजिक समझौता सिद्धांत

53 जॉन राल्स ने अपने न्याय सिद्धांत को क्या संज्ञा दी है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-28,प्रश्न-6

वितरणात्मक न्याय
सर्वसुलभ न्याय
प्रत्ययात्मक न्याय
शुद्ध प्रक्रियात्मक न्याय

54 "शक्ति की राजनीति, लोक कल्याण की राजनीति, तकनीकी राजनीति तथा दलीय राजनीति की प्रवृत्ति केंद्रीयकरण की प्रवृत्ति का मुख्य कारण रहा है"- किसने कहा? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-33,प्रश्न-16

प्रो. सी. एफ. स्ट्रांग
प्रो. के. सी ह्वीयर
प्रो. लास्की
जेम्स वाइस

55 निम्नलिखित में से किसका उदारवाद से मेल नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-37,प्रश्न-6

बुर्जुआ राज्य
प्रतिनिधि सरकार
लोक कल्याणकारी राज्य
सीमित सरकार

56 किसने कहा था- "सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार वास्तव में सार्वभौमिक नहीं है"? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-45,प्रश्न-7

गिलक्राइस्ट
प्रो. लास्की
गैटेल
गार्नर

57 लेनिन के अनुसार साम्राज्यवाद क्या है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-53,प्रश्न-16

पूंजीवाद की निम्नतम अवस्था है।
पूंजीवाद का संकुचन है।
पूंजीवाद की उच्चतम अवस्था है।
पूंजीवाद का समाजवाद में विलय है।

58 निम्नलिखित में से कौन आमण्ड के हित-अभिव्यक्त करने वाली संरचनाओं के वर्गीकरण में शामिल नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-66,प्रश्न-16

संस्थात्मक संरचनाएं
समुदायात्मक संरचनाएं
प्रजातीय संरचनाएं
प्रदर्शनात्मक संरचनाएं

59 'मूल्य तटस्थता' निम्न में से किसकी विशेषता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-79,प्रश्न-95

अराजकतावादियों की
बहुलवादियों की
मार्क्सवादियों की
व्यवहारवादियों की

60 "आर्थिक समानता के बिना राजनीतिक स्वतंत्रता मिथक है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-83,प्रश्न-6

ग्रीन
जे. एस. मिल
जी. डी. एच. कोल
लास्की

61 "राजनीति शास्त्र का 'प्रारंभ और अंत' राज्य के साथ ही होता है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-7,प्रश्न-17

लीकॉक
गिलक्राइस्ट
गार्नर
लास्की

62 राज्य की उत्पत्ति का सबसे सही सिद्धांत क्या है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-19,प्रश्न-17

दैवी उत्पत्ति सिद्धांत
शक्ति सिद्धांत
पैतृक सिद्धांत
विकासकारी सिद्धांत

63 जॉन राल्स के अनुसार न्याय के क्या लक्षण हैं?(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-28,प्रश्न-7

न्याय समाज का प्रथम सद्गुण है
प्रक्रियात्मक न्याय की प्रधानता है
सामाजिक न्याय से सरोकार है
उपर्युक्त सभी

64 "राजनीति विज्ञान शक्ति की रचना और भागीदारी का अध्ययन है।" यह परिभाषा किसने दी है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-33,प्रश्न-17

आलमंड एंड पावेल
लासवेल व कैप्लान
राबर्ट ए. डहल
गिलक्राइस्ट

65 उदारवाद का मौलिक सिद्धांत क्या है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-37,प्रश्न-7

वैयक्तिक स्वतंत्रता
सामाजिक न्याय
समानता
राष्ट्रवाद

66 "सभी मनुष्यों को कुछ समय के लिए और कुछ मनुष्यों को सदैव के लिए मूर्ख बनाया जा सकता है, लेकिन अभी मनुष्यों को सदैव के लिए मूर्ख नहीं बनाया जा सकता।" यह किसने कहा था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-45,प्रश्न-8

ब्राइस
अब्राहम लिंकन
लास्की
लॉवेल

67 राज्यहीन, वर्गहीन समाज पर किस विचारक का विश्वास था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-53,प्रश्न-17

प्लेटो
अरस्तू
कार्ल मार्क्स
जान लॉक

68 इनमें से किसे 'वैज्ञानिक प्रबंध का' पिता कहा जाता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-67,प्रश्न-17

एल्टन मेयो
बर्नार्ड
मैक्सवेबर
एफ.डब्ल्यू. टेलर

69 राजनीतिक चेतना का क्या अर्थ है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-79,प्रश्न-96

समाज के प्रति प्रेम
धर्म के प्रति प्रेम
राज्य के प्रति प्रेम
सभ्यता/संस्कृति के प्रति प्रेम

70 "राजनीतिक समानता कभी वास्तविक नहीं हो सकती, यदि उसके साथ वास्तविक आर्थिक समानता न हो।' यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-83,प्रश्न-7

कार्ल मार्क्स
जे.एस. मिल
लास्की
जी.डी.एच. कोल

71 शक्ति की अवधारणा सर्वप्रथम किसने दी? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-7,प्रश्न-18

मैकियावेली
कार्ल मार्क्स
लासवेल
बेकर

72 राज्य की उत्पत्ति का कौन-सा सिद्धांत काल्पनिक नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-19,प्रश्न-18

दैवी सिद्धांत
शक्ति सिद्धांत
ऐतिहासिक सिद्धांत
सामाजिक समझौते का सिद्धांत

73 निम्नलिखित में से किसने यह विचार व्यक्त किया है- "यदि न्याय व्यवस्था न हो तो राज्य लुटेरों की टोली बन जाता है"? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-29,प्रश्न-8

प्लेटो
अरस्तू
सेंट ऑगस्टाइन
जॉन लॉक

74 किसने राजनीति शास्त्र को 'शक्ति के निर्माण एवं साझेदारी के अध्ययन' के रूप में परिभाषित किया है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-33,प्रश्न-18

कैटलिन
हैंस मार्गेन्थो
चार्ल्स हैगन
हेराल्ड लैसवेल तथा अब्राहम कैपलन

75 उदारवाद का मूल तत्व क्या है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-37,प्रश्न-8

वैयक्तिक स्वतंत्रता
मिश्रित अर्थव्यवस्था
पंथ निरपेक्षता
समानता

76 'मतों को गिना नहीं, तौला जाना चाहिए"- यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-45,प्रश्न-9

ऑग
रेन
जे.एस. मिल
फाइनर

77 निम्न में विचारकों का कौन-सा युग्म वैज्ञानिक समाजवाद के संस्थापकों में माना जाता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-54,प्रश्न-19

चार्ल्स फूरिये तथा सेंट साइमन
सिडनी वेब तथा बिएट्रिस वेब
कार्ल मार्क्स तथा ऐंजिल्स
आर. एच. टावनी तथा विलियम एबेंसटीन

78 इनमें से कौन यथार्थवादी नहीं था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-67,प्रश्न-18

हॉब्स
थूसीडाइड्स
इमानुएल कांट
मैकियावेली

79 निम्न में से कौन अंतर्राष्ट्रीय संबंध में राज्य के केंद्रीय महत्त्व पर सहमत नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-79,प्रश्न-97

बहुलवादी
यथार्थवादी
नव-यथार्थवादी
संरचनात्मक यथार्थवादी

80 "आर्थिक स्वतंत्रता के अभाव में राजनीतिक स्वतंत्रता एक भ्रम है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-83,प्रश्न-8

कोल
लॉर्ड एक्टन
मेटरलैंड
बार्कर

81 राज्य शब्द का पहली बार प्रयोग किसने किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-7,प्रश्न-19

प्लेटो
अरस्तू
मैकियावेली
हॉब्स

82 निम्नलिखित में से कौन-सा राज्य की उत्पत्ति की सही व्याख्या करता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-19,प्रश्न-19

राज्य का दैवी सिद्धांत
समझौता सिद्धांत
विकासवादी सिद्धांत
उपर्युक्त सभी

83 "यदि न्याय को पृथक कर दिया जाए तो राज्य एक लुटेरे की संपत्ति के अतिरिक्त और कुछ नहीं है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-29,प्रश्न-9

सालमंड
सेंट ऑगस्टाइन
कांट
बेंथम

84 आधुनिक राजनीति विज्ञान में 'प्रक्रिया' की संकल्पना किसने दी थी? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-33,प्रश्न-19

डेविड ईस्टन
राबर्ट डाल
लासवेल
आर्थर बेंटलें

85 उदारवाद किसका हित चाहता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-37,प्रश्न-10

अभिजात्य वर्ग का
धनवानों का
निर्धनों का
सब का

86 किसने कहा "प्रजातंत्र ऐसा शासन है जिसमें प्रत्येक शक्ति की हिस्सेदारी होती है?" (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-45,प्रश्न-10

ब्राइस
डायसी
सीले
डा. बेनी प्रसाद

87 "हरेक से अपनी क्षमता के अनुसार, हरेक को अपनी आवश्यकता के अनुसार।" यह सूत्र किस व्यवस्था का है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-54,प्रश्न-20

पूंजीवादी
समाजवादी
साम्यवादी
राष्ट्रवादी

88 इनमें से किसने कहा था कि 'ज्ञान शक्ति है'? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-67,प्रश्न-19

अरस्तू
फ़्रांसिस बेकन
मिल
हीगल

89 अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में यर्थाथवादी सिद्धांत तीन मान्यताओं पर आधारित है। निम्न में से कौन-सी एक आधारभूत मान्यता नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-79,प्रश्न-98

राजनेता अपने राष्ट्र-हितों की आकांक्षा करता है और उन्हें आगे बढ़ाता है।
राष्ट्रीय हितों के लक्ष्यों को पूरा करने में राजनेता नैतिक सिद्धांतों को ध्यान मे रखते हैं।
प्रत्येक राज्य का बहुराष्ट्रीय हित उसके प्रभाव के विस्तार में निहित है।
राज्य अपने हितों के संरक्षण और संवर्धन के लिए अपनी शक्ति अथवा प्रभाव का प्रयोग करता है।

90 निम्नलिखित में से किस एक विचारक ने स्वतंत्रता तथा समानता को एक-दूसरे का पूरक बताया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-84,प्रश्न-9

लॉर्ड एक्टन
मैकाइवर
मैकियावेली
डी. टाकविल

91 किस राजनीतिक विचारक ने आधुनिक काल में 'राज्य' शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-7,प्रश्न-20

प्लेटो
बोदां
मैकियावेली
हॉब्स

92 'सामाजिक संविदा' का लेखक कौन था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-20,प्रश्न-20

बोदां
गार्नर
जवाहरलाल नेहरू
रूसो

93 "जिन राज्यों में न्याय नहीं होता, वह डाकुओं का समूह है।" यह शब्द निम्न में से किनके हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-29,प्रश्न-10

प्लेटो
अरस्तू
सुकरात
सेंट ऑगस्टाइन

94 कैटलिन के अनुसार, राजनीति विज्ञान का विषय-क्षेत्र क्या है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-34,प्रश्न-20

शक्ति का अध्ययन
सार्वजनिक सहमति का अध्ययन
संघर्ष का तनाव का अध्ययन
मानव-स्वभाव का अध्ययन

95 निम्नलिखित में से कौन-सा सही सुमेलित है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-37,प्रश्न-11

उदारवाद मिश्रण है लोकतंत्र व व्यक्तिवाद का
उदारवाद मिश्रण है साम्यवाद व व्यक्तिवाद का
उदारवाद मिश्रण है समाजवाद व बाहुलवाद का
उदारवाद मिश्रण है व्यक्तिवाद व मार्क्सवाद का

96 "यदि अतिसमानता से प्रजातंत्र भ्रष्ट होता है तो साथ ही अतिसमानता की भावना से भी वह नष्ट हो जाएग।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-46,प्रश्न-11

मान्टेस्क्यू
अरस्तू
मैकियावेली
जे.एस. मिल

97 "राज्य के लुप्त हो जाने का विचार" निम्न में से किससे संबंधित है?(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-54,प्रश्न-21

उदारवाद
समाजवाद
साम्यवाद
श्रेणी समाजवाद

98 'शासकीय विचारधारा' की संकल्पना इनमें से किसकी है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-67,प्रश्न-20

परेटो
माइकल्स
मोस्का
रॉबर्ट डाहल

99 'सामुदायिकतावाद' एक किसकी प्रमुख धारा है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-80,प्रश्न-100

उदारवाद
मार्क्सवाद
सर्वाधिकारवाद
प्रत्ययवाद

100 जॉन स्टुअर्ड मिल के स्वतंत्रता के सिद्धांत के बारे में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक सही है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-84,प्रश्न-10

जॉन स्टुअर्ड मिल की स्वतंत्रता की अवधारणा उपयोगितावाद से तार्किक रूप से सुसंगत है।
मिल की स्वतंत्रता की अवधारणा उपयोगितावाद से विसंगत है।
अधिकतम लोगों के अधिकतम हित की प्राप्ति में मिल स्वतंत्रता को अपरिहार्य साधन मानता है।
जॉन स्टुअर्ड मिल का विचार है कि स्वतंत्रता के बिना मनुष्य वौद्धिक और नैतिक पूर्णता प्राप्त नहीं कर सकता तथा विकास और एक आदर्श मनुष्य नहीं बन सकता।