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राधिकारमण प्रसाद सिंह (जन्म-1890सूर्यपुरा, शाहाबाद,बिहार, मृत्यु- 24 मार्च 1971)का हिंदी के आधुनिक गद्यकारों में प्रमुख स्थान है। आपने कहानी गद्य, काव्य, उपन्यास, संस्मरण, नाटक सभी विद्याओं में साहित्य की रचना की। 
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==परिचय==
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हिंदी के आधुनिक गद्यकारों में मुख्य स्थान रखने वाले राधिकारमण प्रसाद सिंह का जन्म शाहाबाद (बिहार) के सूर्यपुरा नामक स्थान में हुआ था। आपने अपनी रचनाओं में आपने सामाजिक और राजनीतिक जीवन का सफल चित्रण किया है लगभग 50 वर्षों तक हिंदी की सेवा की। आधुनिक हिंदी कथा साहित्य में आपका स्थान 'कानों में कंगना', के लिए स्मरणीय है
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==योगदान==
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आपने गद्य,काव्य, कहानी, उपन्यास, नाटक और संस्मरण सभी विद्याओं में साहित्य की रचना की  और राजनीतिक एवं सामाजिक जीवन का सफल चित्रण किया है। लम्बे समय तक हिंदी की सेवा की है। 
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==रचनाएं==
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आपने स्भी विद्याओं में जो साहित्य की रचना की है उसके प्रमुख ग्रंथ इस प्रकार हैं:
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#(‌‌कहानी संग्रह) 'कुसुमांजलि', 'अपना पराया', 'गांधी टोपी', 'धर्मधुरी',
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# (गद्यकाव्य) 'नवजीवन', 'प्रेम लहरी',
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# (उपन्यास) 'राम रहीम', 'पुरुष और नारी', 'संस्कार' 'चुंबन और चाय',
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#(संस्मरण) 'सावनी सभा', टूटातारा,' 'सूरदास',
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# (नाटक:) 'अपना पराया', 'धर्मधरी',
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कुछ गद्य कृतियां भी हैं,जैसे:
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#'नारी एक पहेली',
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# 'पूरब और पश्चिम',
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#धर्म और मर्म
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==मृत्यु==
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24 मार्च 1971 को धिकारमण प्रसाद सिंह देहान्त हो गया।
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हिंदी के आधुनिक गद्यकारों में प्रमुख स्थान रखने वाले राधिकारमण प्रसाद सिंह का जन्म 1890 ईस्वी में शाहाबाद
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(बिहार) के सूर्यपुरा नामक स्थान में हुआ था। आपने कहानी गद्य, काव्य, उपन्यास, संस्मरण, नाटक सभी विद्याओं में साहित्य की रचना की। आपके प्रमुख ग्रंथ हैं‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌- (‌‌कहानी संग्रह) 'कुसुमांजलि', 'अपना पराया', 'गांधी टोपी', 'धर्मधुरी',  (गद्यकाव्य) 'नवजीवन', 'प्रेम लहरी', (उपन्यास) 'राम रहीम', 'पुरुष और नारी', 'संस्कार' 'चुंबन और चाय', (संस्मरण) 'सावनी सभा', टूटातारा,' 'सूरदास', (नाटक:) 'अपना पराया', 'धर्मधरी', इसके अतिरिक्त कुछ अन्य  गद्य कृतियां भी हैं,जैसे‌- 'नारी एक पहेली', 'पूरब और पश्चिम', 'हवेली और झोपड़ी', 'देव और दानव', 'वे और हम', धर्म और मर्म तथा 'तब और अब',।
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  अपनी रचनाओं में आपने सामाजिक और राजनीतिक जीवन का सफल चित्रण किया है लगभग 50 वर्षों तक हिंदी की सेवा करने के बाद 24 मार्च 1971 को आपका निधन हो गया। आधुनिक हिंदी कथा साहित्य में आपका स्थान 'कानों में कंगना', के लिए स्मरणीय है।
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भारतीय चरित्र कोश 720

12:28, 30 मई 2018 का अवतरण

राधिकारमण प्रसाद सिंह (जन्म-1890सूर्यपुरा, शाहाबाद,बिहार, मृत्यु- 24 मार्च 1971)का हिंदी के आधुनिक गद्यकारों में प्रमुख स्थान है। आपने कहानी गद्य, काव्य, उपन्यास, संस्मरण, नाटक सभी विद्याओं में साहित्य की रचना की।

परिचय

हिंदी के आधुनिक गद्यकारों में मुख्य स्थान रखने वाले राधिकारमण प्रसाद सिंह का जन्म शाहाबाद (बिहार) के सूर्यपुरा नामक स्थान में हुआ था। आपने अपनी रचनाओं में आपने सामाजिक और राजनीतिक जीवन का सफल चित्रण किया है लगभग 50 वर्षों तक हिंदी की सेवा की। आधुनिक हिंदी कथा साहित्य में आपका स्थान 'कानों में कंगना', के लिए स्मरणीय है

योगदान

आपने गद्य,काव्य, कहानी, उपन्यास, नाटक और संस्मरण सभी विद्याओं में साहित्य की रचना की और राजनीतिक एवं सामाजिक जीवन का सफल चित्रण किया है। लम्बे समय तक हिंदी की सेवा की है।

रचनाएं

आपने स्भी विद्याओं में जो साहित्य की रचना की है उसके प्रमुख ग्रंथ इस प्रकार हैं:

  1. (‌‌कहानी संग्रह) 'कुसुमांजलि', 'अपना पराया', 'गांधी टोपी', 'धर्मधुरी',
  2. (गद्यकाव्य) 'नवजीवन', 'प्रेम लहरी',
  3. (उपन्यास) 'राम रहीम', 'पुरुष और नारी', 'संस्कार' 'चुंबन और चाय',
  4. (संस्मरण) 'सावनी सभा', टूटातारा,' 'सूरदास',
  5. (नाटक:) 'अपना पराया', 'धर्मधरी',

कुछ गद्य कृतियां भी हैं,जैसे:

  1. 'नारी एक पहेली',
  2. 'पूरब और पश्चिम',
  3. 'हवेली और झोपड़ी',
  4. 'देव और दानव',
  5. 'वे और हम',
  6. धर्म और मर्म
  7. 'तब और अब',

मृत्यु

24 मार्च 1971 को धिकारमण प्रसाद सिंह देहान्त हो गया।


हिंदी के आधुनिक गद्यकारों में प्रमुख स्थान रखने वाले राधिकारमण प्रसाद सिंह का जन्म 1890 ईस्वी में शाहाबाद

(बिहार) के सूर्यपुरा नामक स्थान में हुआ था। आपने कहानी गद्य, काव्य, उपन्यास, संस्मरण, नाटक सभी विद्याओं में साहित्य की रचना की। आपके प्रमुख ग्रंथ हैं‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌- (‌‌कहानी संग्रह) 'कुसुमांजलि', 'अपना पराया', 'गांधी टोपी', 'धर्मधुरी', (गद्यकाव्य) 'नवजीवन', 'प्रेम लहरी', (उपन्यास) 'राम रहीम', 'पुरुष और नारी', 'संस्कार' 'चुंबन और चाय', (संस्मरण) 'सावनी सभा', टूटातारा,' 'सूरदास', (नाटक:) 'अपना पराया', 'धर्मधरी', इसके अतिरिक्त कुछ अन्य गद्य कृतियां भी हैं,जैसे‌- 'नारी एक पहेली', 'पूरब और पश्चिम', 'हवेली और झोपड़ी', 'देव और दानव', 'वे और हम', धर्म और मर्म तथा 'तब और अब',।

 अपनी रचनाओं में आपने सामाजिक और राजनीतिक जीवन का सफल चित्रण किया है लगभग 50 वर्षों तक हिंदी की सेवा करने के बाद 24 मार्च 1971 को आपका निधन हो गया। आधुनिक हिंदी कथा साहित्य में आपका स्थान 'कानों में कंगना', के लिए स्मरणीय है।

भारतीय चरित्र कोश 720