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'''रामकृष्ण देवदत्त भांडारकर''' (जन्म- [[1875]], मृत्यु- [[1950]]) जाने-माने एक प्रसिद्ध पुरातत्त्वविद थे। भांडारकर दीर्घकाल तक [[भारत]] के पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग से संबद्ध रहे। [[विदिशा]] के निकट खुदाई कराई जिसमें ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी के अनेक महत्त्वपूर्ण अवशेष प्राप्त हुए। अनेक शोध कार्य किये हैं। भारतीय [[जनगणना]] के लिए [[धर्म]] और संप्रदाय तथा जातियां और कबीले विषयों के शोधपरक [[ग्रंथ]] तैयार किए।
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'''रामकृष्ण विट्ठल लाड (डॉ0 भाऊ दाजी)''' (जन्म- 1822, मृत्यु-[[1877]], [[गोवा]]) प्रसिद्ध चिकित्सक थे और डॉक्टर भाऊ दाजी के नाम से अधिक प्रसिद्ध हुए। उन्होंने खेतों में काम करके और फिर [[मुंबई]] में मिट्टी के खिलौने बेच कर जीवन आरंभ किया। उसके बाद मेडिकल डिग्री लेकर अपने समय के प्रसिद्ध चिकित्सक बने।
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डॉ दाजी आरंभ से ही सार्वजनिक कार्यों में रुचि लेने लगे थे। रामकृष्ण विट्ठल लाड (डॉ0 भाऊ दाजी) के बारे में प्रसिद्ध इतिहासकार भंडारकर ने कहा था यदि कोई भारत के विगत 2000 वर्षों के बारे में कुछ लिखना चाहता है तो उसे डॉक्टर भाऊ दाजी की सहायता लेनी ही पड़ेगी।
 
==परिचय==
 
==परिचय==
रामकृष्ण देवदत्त भांडारकर का जन्म 1875 ई0 को हुआ था। आपने पालि भाषा में पुरालिपि विषय को लेकर शिक्षा पूरी की। आपने गुजरात राष्ट्रकूट कुमार कर्क प्रथम, कुशाण शिलालेख और शक संवत के उद्भव का प्रश्न तथा इंडोसीथियन राजाओं के वंशक्रम विषयक रचनाएं की। उक्त रचनाओं ने विद्वानों का ध्यान इनकी ओर आकृष्ट किया। भांडारकर ने भारतीय जनगणना के लिए धर्म और संप्रदाय तथा जातियां और कबीले विषयों पर शोध के साथ-साथ [[अहीर|अहीरों]], [[गुर्जर|गुर्जरों]] तथा गहलोतों पर भी विशेष अध्ययन किया। आपने [[कोलकाता विश्वविद्यालय]] में प्राचीन भारतीय इतिहास और [[संस्कृति]] के प्रोफेसर के पद पर रह कर सेवा की। 
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प्रसिद्ध समाजसेवी और लोगों को देश के प्राचीन गौरव से परिचित कराने वाले विद्वान डॉक्टर रामकृष्ण विट्ठल लाड का जन्म 1822 ईस्वी में गोवा के एक गांव में हुआ था। विट्ठल लाड ने खेतों में काम करके फिर मुंबई में मिट्टी के खिलौने बेच कर जीवन यापन किया और बाद में उन्होंने मेडिकल डिग्री लेकर चिकित्सक बने और अपने को प्रसिद्ध चिकित्सकों की श्रेणी में स्थापित किया। रामकृष्ण विट्ठल लाड लोगों के बीच 'डॉक्टर भाऊ दाजी' के नाम से प्रसिद्ध हो गये। [[दादाभाई नौरोजी]] जैसे प्रमुख व्यक्तियों से उनका निजी संबंध था। उस समय की सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में उन्होंने बराबर भाग लिया। उन्होंने [[विधवा विवाह]] का समर्थन किया तथा विदेश यात्रा पर लगे धार्मिक प्रतिबंध का विरोध किया।
==रचनाएं==
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==योगदान==
रामकृष्ण देवदत्त भांडारकर द्वारा लिखित निम्न पुस्तकें विशेष रूप से चर्चित हुईं-
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1852 में बनी 'मुंबई एसोसिएशन' नामक संगठन के वे सचिव थे। दादाभाई नौरोजी द्वारा स्थापित 'ईस्ट इंडिया एसोसिएशन' से भी वे संबद्ध रहे। डॉ दास जी का एक बड़ा योगदान संस्कृत पाली और अरबी की प्राचीन पांडुलिपियों की खोज और उन्हें प्रकाश में लाना था। इसीलिए दादाजी ने देशभर में घूम-घूमकर प्राचीन सभ्यता और संस्कृति पर प्रकाश डालने वाली यह सामग्री एकत्र की। वे प्राचीन गुफाओं और मंदिरों में गए। वहां प्राप्त भित्तिचित्रों, शिलालेखों, तामपत्रों आदि का संग्रह किया।
#'भारतीय मुद्रा विज्ञान'  
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==मृत्यु==  
#'अशोक'
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रामकृष्ण विट्ठल लाड (डॉ0 भाऊ दाजी) का [[1877]] में निधन हो गया।
#'प्राचीन भारत में राजतंत्र एवं लोकतंत्रात्मक संस्थाएं'
 
गुप्त शिलालेखों संबंधी ग्रंथ के संशोधन में भी आपका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।
 
==मृत्यु==
 
[[1950]] ईस्वी में भांडारकर का देहांत हो गया।
 
  
 
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    प्रसिद्ध पुरातत्वविद रामकृष्ण देवदत्त भांडारकर का जन्म 1875 ईसवी में हुआ था। पालि भाषा तथा पुरालिप विषय लेकर शिक्षा पूरी करने के बाद आप शोध कार्य में लगे। गुजरात राष्ट्रकूट कुमार कर्क प्रथम, कुशाण शिलालेख और शक संवत के उद्भव का प्रश्न तथा इंडोसीथियन राजाओं के वंशक्रम विषयक उनकी रचनाओं ने विद्वानों का ध्यान इनकी ओर आकृष्ट किया। इन्होंने भारतीय जनगणना के लिए धर्म और संप्रदाय तथा जातियां और कबीले विषयों के शोधपरक ग्रंथ तैयार किए। अहीरों, गुर्जरों तथा गहलोतों पर भी उनका विशेष अध्ययन था।
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      भांडारकर दीर्घकाल तक भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से संबद्ध रहे। विदिशा के निकट खुदाई कराई जिसमें ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी के अनेक महत्वपूर्ण अवशेष प्राप्त हुए। उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय में प्राचीन भारतीय इतिहास और संस्कृति के प्रोफेसर के रूप में भी कार्य किया। उनकी लिखी  पुस्तकें विशेष रूप से चर्चित हुईं- 'भारतीय मुद्रा विज्ञान' 'अशोक' और 'प्राचीन भारत में राजतंत्र एवं लोकतंत्रात्मक संस्थाएं' गुप्त शिलालेखों संबंधी ग्रंथ के संशोधन में भी आपका बहुमूल्य योगदान था 1950 ईस्वी में भांडारकर का निधन हो गया|
 
भारतीय चरित कोश 727
 

11:40, 31 मई 2018 का अवतरण

रामकृष्ण विट्ठल लाड (डॉ0 भाऊ दाजी) (जन्म- 1822, मृत्यु-1877, गोवा) प्रसिद्ध चिकित्सक थे और डॉक्टर भाऊ दाजी के नाम से अधिक प्रसिद्ध हुए। उन्होंने खेतों में काम करके और फिर मुंबई में मिट्टी के खिलौने बेच कर जीवन आरंभ किया। उसके बाद मेडिकल डिग्री लेकर अपने समय के प्रसिद्ध चिकित्सक बने। डॉ दाजी आरंभ से ही सार्वजनिक कार्यों में रुचि लेने लगे थे। रामकृष्ण विट्ठल लाड (डॉ0 भाऊ दाजी) के बारे में प्रसिद्ध इतिहासकार भंडारकर ने कहा था यदि कोई भारत के विगत 2000 वर्षों के बारे में कुछ लिखना चाहता है तो उसे डॉक्टर भाऊ दाजी की सहायता लेनी ही पड़ेगी।

परिचय

प्रसिद्ध समाजसेवी और लोगों को देश के प्राचीन गौरव से परिचित कराने वाले विद्वान डॉक्टर रामकृष्ण विट्ठल लाड का जन्म 1822 ईस्वी में गोवा के एक गांव में हुआ था। विट्ठल लाड ने खेतों में काम करके फिर मुंबई में मिट्टी के खिलौने बेच कर जीवन यापन किया और बाद में उन्होंने मेडिकल डिग्री लेकर चिकित्सक बने और अपने को प्रसिद्ध चिकित्सकों की श्रेणी में स्थापित किया। रामकृष्ण विट्ठल लाड लोगों के बीच 'डॉक्टर भाऊ दाजी' के नाम से प्रसिद्ध हो गये। दादाभाई नौरोजी जैसे प्रमुख व्यक्तियों से उनका निजी संबंध था। उस समय की सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में उन्होंने बराबर भाग लिया। उन्होंने विधवा विवाह का समर्थन किया तथा विदेश यात्रा पर लगे धार्मिक प्रतिबंध का विरोध किया।

योगदान

1852 में बनी 'मुंबई एसोसिएशन' नामक संगठन के वे सचिव थे। दादाभाई नौरोजी द्वारा स्थापित 'ईस्ट इंडिया एसोसिएशन' से भी वे संबद्ध रहे। डॉ दास जी का एक बड़ा योगदान संस्कृत पाली और अरबी की प्राचीन पांडुलिपियों की खोज और उन्हें प्रकाश में लाना था। इसीलिए दादाजी ने देशभर में घूम-घूमकर प्राचीन सभ्यता और संस्कृति पर प्रकाश डालने वाली यह सामग्री एकत्र की। वे प्राचीन गुफाओं और मंदिरों में गए। वहां प्राप्त भित्तिचित्रों, शिलालेखों, तामपत्रों आदि का संग्रह किया।

मृत्यु

रामकृष्ण विट्ठल लाड (डॉ0 भाऊ दाजी) का 1877 में निधन हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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