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प्रसिद्ध समाजसेवी और लोगों को देश के प्राचीन गौरव से परिचित कराने वाले विद्वान डॉक्टर रामकृष्ण विट्ठल लाड का जन्म 1822 ईस्वी में गोवा के एक गांव में हुआ था। विट्ठल लाड ने खेतों में काम करके फिर मुंबई में मिट्टी के खिलौने बेच कर जीवन यापन किया और बाद में उन्होंने मेडिकल डिग्री लेकर चिकित्सक बने और अपने को प्रसिद्ध चिकित्सकों की श्रेणी में स्थापित किया। रामकृष्ण विट्ठल लाड लोगों के बीच 'डॉक्टर भाऊ दाजी' के नाम से प्रसिद्ध हो गये। [[दादाभाई नौरोजी]] जैसे प्रमुख व्यक्तियों से उनका निजी संबंध था। उस समय की सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में उन्होंने बराबर भाग लिया। उन्होंने [[विधवा विवाह]] का समर्थन किया तथा विदेश यात्रा पर लगे धार्मिक प्रतिबंध का विरोध किया।
 
प्रसिद्ध समाजसेवी और लोगों को देश के प्राचीन गौरव से परिचित कराने वाले विद्वान डॉक्टर रामकृष्ण विट्ठल लाड का जन्म 1822 ईस्वी में गोवा के एक गांव में हुआ था। विट्ठल लाड ने खेतों में काम करके फिर मुंबई में मिट्टी के खिलौने बेच कर जीवन यापन किया और बाद में उन्होंने मेडिकल डिग्री लेकर चिकित्सक बने और अपने को प्रसिद्ध चिकित्सकों की श्रेणी में स्थापित किया। रामकृष्ण विट्ठल लाड लोगों के बीच 'डॉक्टर भाऊ दाजी' के नाम से प्रसिद्ध हो गये। [[दादाभाई नौरोजी]] जैसे प्रमुख व्यक्तियों से उनका निजी संबंध था। उस समय की सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में उन्होंने बराबर भाग लिया। उन्होंने [[विधवा विवाह]] का समर्थन किया तथा विदेश यात्रा पर लगे धार्मिक प्रतिबंध का विरोध किया।
 
==योगदान==
 
==योगदान==
1852 में बनी 'मुंबई एसोसिएशन' नामक संगठन के वे सचिव थे। दादाभाई नौरोजी द्वारा स्थापित 'ईस्ट इंडिया एसोसिएशन' से भी वे संबद्ध रहे। डॉ दास जी का एक बड़ा योगदान संस्कृत पाली और अरबी की प्राचीन पांडुलिपियों की खोज और उन्हें प्रकाश में लाना था। इसीलिए दादाजी ने देशभर में घूम-घूमकर प्राचीन सभ्यता और संस्कृति पर प्रकाश डालने वाली यह सामग्री एकत्र की। वे प्राचीन गुफाओं और मंदिरों में गए। वहां प्राप्त भित्तिचित्रों, शिलालेखों, तामपत्रों आदि का संग्रह किया।
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1852 में बनी 'मुंबई एसोसिएशन' नामक संगठन के वे सचिव थे। दादाभाई नौरोजी द्वारा स्थापित 'ईस्ट इंडिया एसोसिएशन' से भी वे संबद्ध रहे। डॉ दास जी का एक बड़ा योगदान [[संस्कृत]], [[पाली]] और [[अरबी]] की प्राचीन [[पांडुलिपि|पांडुलिपियों]] की खोज और उन्हें प्रकाश में लाना था। इसीलिए दादाजी ने देशभर में घूम-घूमकर प्राचीन सभ्यता और संस्कृति पर प्रकाश डालने वाली यह सामग्री एकत्र की। वे प्राचीन गुफाओं और मंदिरों में गए। वहां प्राप्त भित्तिचित्रों, शिलालेखों, तामपत्रों आदि का संग्रह किया।
 
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रामकृष्ण विट्ठल लाड (डॉ0 भाऊ दाजी) का [[1877]] में निधन हो गया।
 
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11:54, 31 मई 2018 का अवतरण

रामकृष्ण विट्ठल लाड (डॉ0 भाऊ दाजी) (जन्म- 1822, मृत्यु-1877, गोवा) प्रसिद्ध चिकित्सक थे और डॉक्टर भाऊ दाजी के नाम से अधिक प्रसिद्ध हुए। उन्होंने खेतों में काम करके और फिर मुंबई में मिट्टी के खिलौने बेच कर जीवन आरंभ किया। उसके बाद मेडिकल डिग्री लेकर अपने समय के प्रसिद्ध चिकित्सक बने। डॉ दाजी आरंभ से ही सार्वजनिक कार्यों में रुचि लेने लगे थे। रामकृष्ण विट्ठल लाड (डॉ0 भाऊ दाजी) के बारे में प्रसिद्ध इतिहासकार भंडारकर ने कहा था यदि कोई भारत के विगत 2000 वर्षों के बारे में कुछ लिखना चाहता है तो उसे डॉक्टर भाऊ दाजी की सहायता लेनी ही पड़ेगी।

परिचय

प्रसिद्ध समाजसेवी और लोगों को देश के प्राचीन गौरव से परिचित कराने वाले विद्वान डॉक्टर रामकृष्ण विट्ठल लाड का जन्म 1822 ईस्वी में गोवा के एक गांव में हुआ था। विट्ठल लाड ने खेतों में काम करके फिर मुंबई में मिट्टी के खिलौने बेच कर जीवन यापन किया और बाद में उन्होंने मेडिकल डिग्री लेकर चिकित्सक बने और अपने को प्रसिद्ध चिकित्सकों की श्रेणी में स्थापित किया। रामकृष्ण विट्ठल लाड लोगों के बीच 'डॉक्टर भाऊ दाजी' के नाम से प्रसिद्ध हो गये। दादाभाई नौरोजी जैसे प्रमुख व्यक्तियों से उनका निजी संबंध था। उस समय की सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में उन्होंने बराबर भाग लिया। उन्होंने विधवा विवाह का समर्थन किया तथा विदेश यात्रा पर लगे धार्मिक प्रतिबंध का विरोध किया।

योगदान

1852 में बनी 'मुंबई एसोसिएशन' नामक संगठन के वे सचिव थे। दादाभाई नौरोजी द्वारा स्थापित 'ईस्ट इंडिया एसोसिएशन' से भी वे संबद्ध रहे। डॉ दास जी का एक बड़ा योगदान संस्कृत, पाली और अरबी की प्राचीन पांडुलिपियों की खोज और उन्हें प्रकाश में लाना था। इसीलिए दादाजी ने देशभर में घूम-घूमकर प्राचीन सभ्यता और संस्कृति पर प्रकाश डालने वाली यह सामग्री एकत्र की। वे प्राचीन गुफाओं और मंदिरों में गए। वहां प्राप्त भित्तिचित्रों, शिलालेखों, तामपत्रों आदि का संग्रह किया।

मृत्यु

रामकृष्ण विट्ठल लाड (डॉ0 भाऊ दाजी) का 1877 में निधन हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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