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'''रामभजदत्त चौधरी''' (जन्म- [[1866]], [[गुरदासपुर]], [[पंजाब]]; मृत्यु- [[1923]]) प्रसिद्ध राष्ट्रवादी और एक क्रांतकारी नेता थे। इनका [[विवाह]] [[रबींद्रनाथ टैगोर]] की भतीजी सरला देवी चौधरानी से हुआ था। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलनों में भाग लिया और जेल में सज़ा भोगी।
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'''राम लिंगम चेट्टियार''' (जन्म- [[18 मई]] [[1881]], [[कोयंबटूर]], [[तमिलनाडु]]; मृत्यु- [[1952]],) एक वकील और राजनीतिज्ञ थे। वे [[संविधान सभा]] के सदस्य रहे और बाद में [[लोकसभा]] के सदस्य चुने गए।
 
==परिचय==
 
==परिचय==
प्रसिद्ध राष्ट्रवादी नेता रामभजदत्त चौधरी का जन्म 1866 में पंजाब के गुरदासपुर जिले में हुआ था। उनके पिता चौधरी राधाकृष्ण दत्त एक बड़े [[जमींदार]] थे। रामभजदत्त की शादी रबींद्रनाथ टैगोर की भतीजी सरला देवी चौधरानी से हुई। उन्होंने शिक्षा पूरी करके [[लाहौर]] में वकालत की शुरुआत की थी।  कुछ समय बाद कूका गुरु राम सिंह की प्रेरणा से [[सिख धर्म]] की ओर आकृष्ट हुए, किंतु बाद में [[आर्य समाज]] के प्रभाव में आ गए। [[1888]] ई. से ही उन्होंने [[कांग्रेस]] के कामों में भाग लेना भी आरंभ कर दिया था। वे सामाजिक जीवन के साथ-साथ अछूतोद्धार आदि कार्यों में रुचि लेने लगे।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=736|url=}}</ref>
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एक संपन्न परिवार में जन्मे रामलिंगम चिट्ठियार का जन्म 18 मई 1881 ईस्वी को तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले में हुआ था। इनके पिता अंगप्पा चिट्ठियार प्रसिद्ध व्यापारी और बेंकर
 
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थे। वे [[मद्रास विश्वविद्यालय]] से [[1904]] ईस्वी में कानून की डिग्री लेकर वकालत करने लगे और बाद में उन्होंने राजनीति में भी भाग लेना आरम्भ कर दिया। वह नरम विचारों के व्यक्ति थे और अखिल भारतीय लिबरल फेडरेशन से जुड़ गये।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=738|url=}}</ref>  
==जेल यात्रा==
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==गतिविधियाँ==
रामभजदत्त चौधरी बड़े प्रभावशाली वक्ता थे और क्रांतिकारियों के प्रति सहानुभूति रखते थे। इन्हें कई आंदोलनों के कारण जेल जाना पड़ा। उस समय के प्रमुख नेताओं [[लाला लाजपत राय]], डॉक्टर सतपाल, डॉक्टर किचलू आदि से उनकी निकटता थी।1907 ईस्वी में पंजाब के किसान आंदोलन में उन्होंने भी प्रमुख रूप से भाग लिया। पंजाब के देहात अंग्रेजों की सेना के महत्वपूर्ण भर्ती-केंद्र थे। इसलिए सरकार ने इस आंदोलन को दबाने के उद्देश्य से रामभज दत्त को गिरफ्तार करके डेरा गाजी खां भेज दिया। बाद में उन्हें आजीवन कैद की सजा हुई और उनकी संपत्ति भी जब्त कर ली गई। लेकिन कुछ समय बाद आम रिहाई में वे भी छोड़ दिए गए। चोरी चोरा की घटना के बाद [[गांधीजी]] द्वारा आंदोलन वापस लेने से उन्हें भी बड़ा असंतोष हुआ था।  
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राम लिंगम चेट्टियार को [[1921]] में मद्रास लेजिस्लेटिव कॉउंसिल का सदस्य चुन लिया गया और [[1939]] तक लगातार इसके सदस्य रहे। [[1946]] में रामलिंगम [[संविधान सभा]] के सदस्य निर्वाचित हुए और [[1951]] में वे निर्विरोध प्रथम लोकसभा के सदस्य चुने गए। संविधान सभा में इन्होंने [[हिंदी]] को [[राजभाषा]] के रूप में स्वीकार किए जाने का कड़ा विरोध किया था।
 
==मृत्यु==
 
==मृत्यु==
प्रसिद्ध राष्ट्रवादी नेता रामभजदत्त चौधरी का 1923 ईस्वी में इनका निधन हो गया।
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राम लिंगम चेट्टियार का [[1952]] में निधन हो गया।
  
 
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        रामलिंगम चिट्ठियार का जन्म 18 मई 1881 ईस्वी को तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले में एक संपन्न परिवार में हुआ था। इनके पिता अंगप्पा चिट्ठियार प्रसिद्ध व्यापारी और बेंकर थे। राम लिंगम ने मद्रास विश्वविद्यालय से 1904 ईस्वी में कानून की डिग्री ली और वकालत करने लगे। बाद में उन्होंने राजनीति में भी रुचि लेना आरंभ किया।  वह नरम विचारों के व्यक्ति थे और अखिल भारतीय लिबरल फेडरेशन से जुड़ गये। 1921 में उन्हें मद्रास लेजिस्लेटिव कॉउंसिल का सदस्य चुन लिया गया और 1939 तक लगातार इसके सदस्य रहे।
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      1946 में रामलिंगम संविधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए और 1951 में निर्विरोध प्रथम लोकसभा के सदस्य चुने गए।  संविधान सभा में इन्होंने हिंदी को राजभाषा के रूप मेंस्वीकार किए जाने का कड़ा विरोध किया था। 1952 में रामलिंगम  चेट्टियार का देहांत हो गया।
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भारतीय चरित कोश 738

07:55, 14 जून 2018 का अवतरण

राम लिंगम चेट्टियार (जन्म- 18 मई 1881, कोयंबटूर, तमिलनाडु; मृत्यु- 1952,) एक वकील और राजनीतिज्ञ थे। वे संविधान सभा के सदस्य रहे और बाद में लोकसभा के सदस्य चुने गए।

परिचय

एक संपन्न परिवार में जन्मे रामलिंगम चिट्ठियार का जन्म 18 मई 1881 ईस्वी को तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले में हुआ था। इनके पिता अंगप्पा चिट्ठियार प्रसिद्ध व्यापारी और बेंकर थे। वे मद्रास विश्वविद्यालय से 1904 ईस्वी में कानून की डिग्री लेकर वकालत करने लगे और बाद में उन्होंने राजनीति में भी भाग लेना आरम्भ कर दिया। वह नरम विचारों के व्यक्ति थे और अखिल भारतीय लिबरल फेडरेशन से जुड़ गये।[1]

गतिविधियाँ

राम लिंगम चेट्टियार को 1921 में मद्रास लेजिस्लेटिव कॉउंसिल का सदस्य चुन लिया गया और 1939 तक लगातार इसके सदस्य रहे। 1946 में रामलिंगम संविधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए और 1951 में वे निर्विरोध प्रथम लोकसभा के सदस्य चुने गए। संविधान सभा में इन्होंने हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किए जाने का कड़ा विरोध किया था।

मृत्यु

राम लिंगम चेट्टियार का 1952 में निधन हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 738 |

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख




        रामलिंगम चिट्ठियार का जन्म 18 मई 1881 ईस्वी को तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले में एक संपन्न परिवार में हुआ था। इनके पिता अंगप्पा चिट्ठियार प्रसिद्ध व्यापारी और बेंकर थे। राम लिंगम ने मद्रास विश्वविद्यालय से 1904 ईस्वी में कानून की डिग्री ली और वकालत करने लगे। बाद में उन्होंने राजनीति में भी रुचि लेना आरंभ किया।  वह नरम विचारों के व्यक्ति थे और अखिल भारतीय लिबरल फेडरेशन से जुड़ गये। 1921 में उन्हें मद्रास लेजिस्लेटिव कॉउंसिल का सदस्य चुन लिया गया और 1939 तक लगातार इसके सदस्य रहे।
      1946 में रामलिंगम संविधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए और 1951 में निर्विरोध प्रथम लोकसभा के सदस्य चुने गए।  संविधान सभा में इन्होंने हिंदी को राजभाषा के रूप मेंस्वीकार किए जाने का कड़ा विरोध किया था। 1952 में रामलिंगम  चेट्टियार का देहांत हो गया।

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