"प्रयोग:दिनेश" के अवतरणों में अंतर
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | ''' | + | '''लालचंद नवल राय''' (जन्म- [[1870]], [[लरकाना]], मृत्यु- [[1956]]) वकील के रूप में प्रैक्टिस करते हुए सार्वजनिक जीवन में भी भाग लेना आरंभ किया। उन्होंने लड़कियों की शिक्षा हेतु स्कूल खुलवाने के लिये अपना मकान दे दिया था। |
==परिचय== | ==परिचय== | ||
− | प्रसिद्ध | + | अविभाजित भारत में [[सिंध]] के प्रसिद्ध हिंदू नेता लालचंद राय का जन्म [[1870]] ईसवी में लरकाना में हुआ था। पूरे सिंध में उस समय कोई कॉलेज नहीं था। इसलिए लालचंद ने मैट्रिक करने के बाद एक वकील के सहायक के रूप में काम करना आरंभ किया। धीरे-धीरे वे स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस करने लगे और उनकी ख्याति बढ़ने लगी साथ ही उन्होंने सार्वजनिक जीवन में भी भाग लेना आरंभ किया। स्वतंत्रता के साथ हुए विभाजन के कारण लालचंद नवल राय भी शरणार्थी बनकर [[बड़ौदा]] आकर रहने लगे।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=760|url=}}</ref> |
− | == | + | ==बालिकाओं के प्रति झुकाव== |
− | + | लालचंद राय लड़कियों की शिक्षा के प्रति बेहद गम्भीर थे। उन्होंने [[1904]] में लरकाना में अपना मकान देकर लड़कियों का पहला स्कूल खुलवाया था। महिलाओं के प्रति जो कुरीतियां थीं उनका वे विरोध करते थे। | |
− | == | + | ==समर्थक एवं विरोध== |
− | + | [[1917]] में जब लालचंद [[नगरपालिका]] के अध्यक्ष थे तब सरकार ने नगरपालिका के मत के विरुद्ध भवन कर लगा दिया था। लालचंद सहित सभी सदस्यों ने पद त्याग करके इतना तीव्र आंदोलन छेड़ा कि सरकार को अपना निर्णय वापस लेना पड़ा था। लालचंद राय सिंध की अकेली [[हिंदू]] सीट से [[1928]] में केंद्रीय असेंबली के सदस्य चुने गए और [[1945]] तक इस पद पर रहे। उन्होंने सुधार के सभी प्रस्तावों का समर्थन किया। [[बाल विवाह]] रोकने के लिए 'शारदा बिल' पास हो जाने के बाद लालचंद ने बिल में संशोधन करा कर इस पर रोक लगवाई थी। | |
− | == | + | ==मृत्यु== |
− | [[ | + | लालचंद नवल राय का [[1956]] में निधन हो गया। |
− | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
पंक्ति 15: | पंक्ति 14: | ||
==बाहरी कड़ियाँ== | ==बाहरी कड़ियाँ== | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
− | {{ | + | {{मुख्य न्यायाधीश}} |
− | [[Category: | + | [[Category:अधिवक्ता]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:चरित कोश]][[Category:भारतीय चरित कोश]][[Category:राजनेता]][[Category:राजनीतिज्ञ]][[Category:राजनीति कोश]] |
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ | __NOTOC__ | ||
− | |||
− | प्रसिद्ध | + | |
− | भारतीय चरित्र | + | अविभाजित भारत में सिंध के प्रसिद्ध हिंदू नेता लालचंद राय का जन्म 1870 ईसवी में लरकाना में हुआ था। पूरे सिंध में उस समय कोई कॉलेज नहीं था। इसलिए लालचंद ने मैट्रिक करने के बाद एक वकील के सहायक के रूप में काम करना आरंभ किया। धीरे-धीरे वे स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस करने लगे और उनकी ख्याति बढ़ने लगी साथ ही उन्होंने सार्वजनिक जीवन में भी भाग लेना आरंभ किया। 1904 में उन्होंने लरकाना में अपना मकान देकर लड़कियों का पहला स्कूल खुलवाया था।1917 में जब लालचंद नगरपालिका के अध्यक्ष थे सरकार ने नगरपालिका के मत के विरुद्ध भवन कर लगा दिया था लालचंद सहित सभी सदस्यों ने पद त्याग करके इतना तीव्र आंदोलन छेड़ा कि सरकार को अपना निर्णय वापस लेना पड़ा था। |
+ | लाल चंद सिंध की अकेली हिंदू सीट से 1928 में केंद्रीय असेंबली के सदस्य चुने गए और 1945 तक इस पद पर रहे। असेंबली में मदन मोहन मालवीय की कांग्रेस नेशलिस्ट पार्टी के साथ थे।उन्होंने सुधार के सभी प्रस्तावों का समर्थन किया। बाल विवाह रोकने के लिए 'शारदा बिल' पास हो जाने के बाद बहुत से लोग देशी रियासतों में जाकर छोटे बच्चों का विवाह कराने लगे थे।लालचंद ने बिल में संशोधन करा कर इस पर रोक लगवाई थी। | ||
+ | स्वतंत्रता के साथ हुए विभाजन के कारण लालचंद नवल राय को भी शरणार्थी बनकर बड़ौदा आना पड़ा था और यहीं 1956 में उनका देहांत हुआ।। | ||
+ | भारतीय चरित्र कोश 760 |
12:47, 22 जून 2018 का अवतरण
लालचंद नवल राय (जन्म- 1870, लरकाना, मृत्यु- 1956) वकील के रूप में प्रैक्टिस करते हुए सार्वजनिक जीवन में भी भाग लेना आरंभ किया। उन्होंने लड़कियों की शिक्षा हेतु स्कूल खुलवाने के लिये अपना मकान दे दिया था।
परिचय
अविभाजित भारत में सिंध के प्रसिद्ध हिंदू नेता लालचंद राय का जन्म 1870 ईसवी में लरकाना में हुआ था। पूरे सिंध में उस समय कोई कॉलेज नहीं था। इसलिए लालचंद ने मैट्रिक करने के बाद एक वकील के सहायक के रूप में काम करना आरंभ किया। धीरे-धीरे वे स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस करने लगे और उनकी ख्याति बढ़ने लगी साथ ही उन्होंने सार्वजनिक जीवन में भी भाग लेना आरंभ किया। स्वतंत्रता के साथ हुए विभाजन के कारण लालचंद नवल राय भी शरणार्थी बनकर बड़ौदा आकर रहने लगे।[1]
बालिकाओं के प्रति झुकाव
लालचंद राय लड़कियों की शिक्षा के प्रति बेहद गम्भीर थे। उन्होंने 1904 में लरकाना में अपना मकान देकर लड़कियों का पहला स्कूल खुलवाया था। महिलाओं के प्रति जो कुरीतियां थीं उनका वे विरोध करते थे।
समर्थक एवं विरोध
1917 में जब लालचंद नगरपालिका के अध्यक्ष थे तब सरकार ने नगरपालिका के मत के विरुद्ध भवन कर लगा दिया था। लालचंद सहित सभी सदस्यों ने पद त्याग करके इतना तीव्र आंदोलन छेड़ा कि सरकार को अपना निर्णय वापस लेना पड़ा था। लालचंद राय सिंध की अकेली हिंदू सीट से 1928 में केंद्रीय असेंबली के सदस्य चुने गए और 1945 तक इस पद पर रहे। उन्होंने सुधार के सभी प्रस्तावों का समर्थन किया। बाल विवाह रोकने के लिए 'शारदा बिल' पास हो जाने के बाद लालचंद ने बिल में संशोधन करा कर इस पर रोक लगवाई थी।
मृत्यु
लालचंद नवल राय का 1956 में निधन हो गया।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 760 |
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
अविभाजित भारत में सिंध के प्रसिद्ध हिंदू नेता लालचंद राय का जन्म 1870 ईसवी में लरकाना में हुआ था। पूरे सिंध में उस समय कोई कॉलेज नहीं था। इसलिए लालचंद ने मैट्रिक करने के बाद एक वकील के सहायक के रूप में काम करना आरंभ किया। धीरे-धीरे वे स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस करने लगे और उनकी ख्याति बढ़ने लगी साथ ही उन्होंने सार्वजनिक जीवन में भी भाग लेना आरंभ किया। 1904 में उन्होंने लरकाना में अपना मकान देकर लड़कियों का पहला स्कूल खुलवाया था।1917 में जब लालचंद नगरपालिका के अध्यक्ष थे सरकार ने नगरपालिका के मत के विरुद्ध भवन कर लगा दिया था लालचंद सहित सभी सदस्यों ने पद त्याग करके इतना तीव्र आंदोलन छेड़ा कि सरकार को अपना निर्णय वापस लेना पड़ा था।
लाल चंद सिंध की अकेली हिंदू सीट से 1928 में केंद्रीय असेंबली के सदस्य चुने गए और 1945 तक इस पद पर रहे। असेंबली में मदन मोहन मालवीय की कांग्रेस नेशलिस्ट पार्टी के साथ थे।उन्होंने सुधार के सभी प्रस्तावों का समर्थन किया। बाल विवाह रोकने के लिए 'शारदा बिल' पास हो जाने के बाद बहुत से लोग देशी रियासतों में जाकर छोटे बच्चों का विवाह कराने लगे थे।लालचंद ने बिल में संशोधन करा कर इस पर रोक लगवाई थी। स्वतंत्रता के साथ हुए विभाजन के कारण लालचंद नवल राय को भी शरणार्थी बनकर बड़ौदा आना पड़ा था और यहीं 1956 में उनका देहांत हुआ।।
भारतीय चरित्र कोश 760