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− | + | वैकटा रेड्डी नायडू इसमें प्रमुख थे। ब्राह्मणेतर वर्गों के लिए विधानमंडलों में आरक्षण की मांग को लेकर इंग्लैंड भी गए थे। मांटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधारों के अधीन हुए चुनावों का कांग्रेस ने बहिष्कार किया था। अतः जस्टिस पार्टी को चुनाव में सफलता मिली मद्रास में उसका मंत्रिमंडल बना। वैकटा रेड्डी नायडू उद्योग मंत्री बनाए गए। उन्होंने सरकारी सेवाओं में अधिक से अधिक गैर ब्राह्मणों की भर्ती की। लेकिन बाद में तमिल मंत्री को स्थान देने के लिए उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा। फिर वे दक्षिण अफ्रीका में भारत सरकार की एजेंट और 1934 में गवर्नर की कौंसिल के कानून सदस्य बने। 1940 में कुछ समय तक कार्यकारी गवर्नर रहने के बाद वे अन्नामलाई विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर बनाये गए थे। 1 सितंबर 1942 को उनका देहांत हो गया। | |
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08:22, 10 जुलाई 2018 का अवतरण
वैकटा रेड्डी नायडू (जन्म- 1875, राजामुंद्री, आंध्र प्रदेश; मृत्यु- 1 सितंबर, 1942) एक शिक्षक, अधिवक्ता के साथ-साथ तमिलनाडु के ब्राह्मण विरोधी नेता थे। उन्होंने गैर ब्राह्मण आंदोलन किया और 'जस्टिस पार्टी' नामक राजनीतिक संगठन बनाया।
परिचय
तमिलनाडु के ब्राह्मण विरोधी नेता कुरमा वैकटा रेड्डी नायडू का जन्म 1875 ईसवी में राजामुंद्री (आंध्र प्रदेश) में हुआ था। वे अपनी पड़ाई पूरी करके कुछ समय तक अध्यापक रहे। उन्होंने बाद में कानून की डिग्री लेकर वकालत करते हुए सार्वजनिक क्षेत्र में भी काम किया। 1900 से 1916 तक वे कांग्रेस में रहे पर उन्होंने अनुभव किया कि सभी महत्वपूर्ण पदों को ब्राह्मण ले लेते हैं। यहीं से उन्होंने मद्रास में गैर ब्राह्मण आंदोलन आरंभ किया। उन्होंने अपने विचारों के प्रचार के लिए 'जस्टिस' नाम का अखबार निकाला और 'जस्टिस पार्टी' नामक राजनीतिक संगठन खड़ा किया। वैकटा रेड्डी नायडू इसमें प्रमुख थे।[1]
गैर ब्राह्मण आंदोलन
वैकटा रेड्डी नायडू ने मद्रास में गैर ब्राह्मण आंदोलन आरंभ किया। ब्राह्मणेतर वर्गों के लिए विधानमंडलों में आरक्षण की मांग को लेकर इंग्लैंड भी गए थे। मांटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधारों के अधीन हुए चुनावों का कांग्रेस ने बहिष्कार किया था। अतः जस्टिस पार्टी को चुनाव में सफलता मिली और मद्रास में उसका मंत्रिमंडल बना। वैकटा रेड्डी को उद्योग मंत्रालय मिला। बाद में तमिल मंत्री को स्थान देने के लिए उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा। उन्होंने सरकारी सेवाओं में अधिक से अधिक गैर ब्राह्मणों की भर्ती की।
राजनीतिक योगयता
वैकटा रेड्डी नायडू राजनीतिक दृष्टि से योग्य व्यक्ति थे। वे दक्षिण अफ्रीका में भारत सरकार के एजेंट और 1934 में गवर्नर की कौंसिल के कानून सदस्य बने। 1940 में कुछ समय तक कार्यकारी गवर्नर रहने के बाद वे अन्नामलाई विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर बनाये गए थे।
मृत्यु
कुरमा वैकटा रेड्डी नायडू का 1 सितंबर, 1942 को निधन हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 816 |
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
तमिलनाडु के ब्राह्मण विरोधी नेता कुरमा वैकटा रेड्डी नयडू का जन्म 1875 ईसवी में राजामुंद्री आंध्र प्रदेश में हुआ था। उन्होंने शिक्षा पूरी करने के बाद कुछ समय तक शिक्षक का काम किया। कानून की डिग्री लेकर वकालत करने लगे। साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र में सक्रिय हुए। 1900 से 1916 तक वे कांग्रेस में रहे पर उन्होंने अनुभव किया के सभी महत्वपूर्ण पद ब्राह्मण ले लेते हैं। यहीं से मद्रास में गैर ब्राह्मण आंदोलन आरंभ हुआ। अपने विचारों के प्रचार के लिए 'जस्टिस' नाम का अखबार निकाला गया और 'जस्टिस पार्टी' नामक राजनीतिक संगठन बना। वैकटा रेड्डी नायडू इसमें प्रमुख थे। ब्राह्मणेतर वर्गों के लिए विधानमंडलों में आरक्षण की मांग को लेकर इंग्लैंड भी गए थे। मांटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधारों के अधीन हुए चुनावों का कांग्रेस ने बहिष्कार किया था। अतः जस्टिस पार्टी को चुनाव में सफलता मिली मद्रास में उसका मंत्रिमंडल बना। वैकटा रेड्डी नायडू उद्योग मंत्री बनाए गए। उन्होंने सरकारी सेवाओं में अधिक से अधिक गैर ब्राह्मणों की भर्ती की। लेकिन बाद में तमिल मंत्री को स्थान देने के लिए उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा। फिर वे दक्षिण अफ्रीका में भारत सरकार की एजेंट और 1934 में गवर्नर की कौंसिल के कानून सदस्य बने। 1940 में कुछ समय तक कार्यकारी गवर्नर रहने के बाद वे अन्नामलाई विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर बनाये गए थे। 1 सितंबर 1942 को उनका देहांत हो गया।
भारतीय चरित्र कोश 816