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'''श्रीपाद कृष्ण बेलवेलकर''' (जन्म- [[1880]]) प्रसिद्ध विद्वान थे। जब [[महाभारत]] के प्रामाणिक संस्करण तैयार करने के लिए 'भांडारकर प्राच्यविद्या अनुसंधान केंद्र' की स्थापना हुई, तब श्रीपाद कृष्ण बेलवेलकर को इसका प्रधान सम्पादक बनाया गया। महाभारत के संपादन कार्य की पूर्णाहुति के अवसर पर [[सर्वपल्ली राधाकृष्णन|राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन]] ने बेलवेलकर का सम्मान किया था।
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'''आर. के. षण्मुखम चेट्टी''' (जन्म- [[17 अक्टूबर]], [[1892]], [[कोयंबटूर]], [[तमिलनाडु]]; मृत्यु- [[मई]], [[1953]]) राजनीतिज्ञ एवं स्वतंत्र भारत के पहले वित्त मंत्री थे। उन्होंने भारत के प्रतिनिधी की हैसियत से विदेशों का दौरा किया। वे औपनिवेशिक स्वराज्य के समर्थक और असहयोग आंदोलन के स्थान पर संवैधानिक उपायों के हिमायती थे।
 
==परिचय==
 
==परिचय==
प्रसिद्ध विद्वान श्रीपाद कृष्ण बेलवेलकर का जन्म [[1880]] ई. में हुआ था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा [[कोल्हापुर]] और [[पूना]] के डेंकन कॉलेज में हुई। [[1907]] से [[1912]] ई. तक  उन्होंने डेंकन कॉलेज में ही हस्तलिखित [[पांडुलिपि|पांडुलिपियों]] के क्यूरेटर के रूप में काम किया। उसके बाद वे [[अमेरिका]] गए और हार्वर्ड विश्वविद्यालय से पी-एच. डी. की डिग्री प्राप्त की। [[भारत]] लौटने पर आप पूना के डेंकन कॉलेज में [[संस्कृत]] के प्राध्यापक के रूप में काम करने लगे। कुछ वर्ष आपने [[अहमदाबाद]] के गुजरात कॉलेज में अध्यापन किया। बेलवेलकर ने [[महाभारत]] के प्रामणिक संस्करण तैयार करने के लिये भांडारकर प्राच्यविद्या अनुसंधान केंद्र की स्थापना में प्रमुख भूमिका निभाई।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=874|url=}}</ref>
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[[भारत|स्वतंत्र भारत]] के पहले वित्त मंत्री आर. के. षण्मुखम चेट्टी का जन्म [[17 अक्टूबर]], [[1892]] ई. को [[तमिलनाडु]] के [[कोयंबटूर]] जिले में हुआ था। उन्होंने [[मद्रास]] से कानून की डिग्री ली और [[1919]] में वकालत शुरु कर दी। षण्मुखम चेट्टी प्रतिभाशाली विद्यार्थी थे। वे [[गोपाल कृष्ण गोखले]], विद्यानंद चंद्र राय, [[मोतीलाल नेहरू]], [[लाला लाजपत राय]], [[रविन्द्र नाथ टैगोर]], [[एनी बेसेंट]] आदि के विचारों से बहुत प्रभावित थे। [[रामायण]], [[महाभारत]] और 'कुरल' का भी उनके जीवन पर प्रभाव पढ़ा। वे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के अतिरिक्त देश में भी अनेक संस्थाओं से जुड़े रहे।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=877|url=}}</ref>
==सम्पादन कार्य==
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==भारत का प्रतिनिधित्व==
[[महाभारत]] के प्रामाणिक संस्करण तैयार करने के लिये भांडारकर प्राच्यविद्या अनुसंधान केंद्र की स्थापना की गयी। इस संस्थान की स्थापना में श्रीपाद कृष्ण बेलवेलकर का बड़ा योगदान था। 6 वर्षों तक वे इसके अवैतनिक सचिव रहे एवं इसके प्रधान संपादक बेलवेलकर ही थे। [[1943]] से [[1961]] तक  वे इस कार्य में संलग्न रहे। [[भीष्म पर्व महाभारत|भीष्म पर्व]], [[शांतिपर्व महाभारत|शांतिपर्व]], [[आश्रमवासिकपर्व महाभारत|आश्रमवासिक]], [[मौसलपर्व महाभारत|मौसल]], [[महाप्रास्थानिक पर्व महाभारत]] और [[स्वर्गारोहण पर्व महाभारत|स्वर्गारोहण पर्वों]] का सम्पादन आपने ही किया। अन्य खंडों के संपादन में भी मार्गदर्शन आपका ही रहा। [[महाभारत]] के संपादन का कार्य सम्पन्न हो जाने पर [[22 सितंबर]], [[1966]] ई. को [[सर्वपल्ली राधाकृष्णन|राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन]] ने बेलवेलकर को सम्मानित किया था।
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षण्मुखम चेट्टी ने [[1924]] में [[एनी बेसेंट]] के साथ नेशनल कन्वेंशन के प्रतिनिधि मंडल के सदस्य की हैसियत से [[इंग्लैंड]], [[बांग्लादेश]] और [[यूरोप]] के अनेक देशों का भ्रमण किया। उन्होंने [[1926]] में [[ऑस्ट्रेलिया]] में, [[1927]] से [[1930]] तक जनेवा में, और [[1932]] में कनाडा तथा [[ब्रिटेन]] में विभिन्न अवसरों पर [[भारत]] का प्रतिनिधित्व किया। [[1938]] में वे [[संयुक्त राष्ट्र संघ|राष्ट्र संघ]] में [[भारत]] के प्रतिनिधि थे। [[1941]] से [[1942]] में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ के न्यूयॉर्क अधिवेशन में भाग लिया और [[1944]] में भी वे अधिवेशन में सम्मिलित हुए।
==रचनाएं==
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== संवैधानिक उपायों के पक्षधर==
प्रसिद्ध विद्वान श्रीपाद कृष्ण बेलवेलकर ने अनेक ग्रंथों की रचना की है। इनमें से निम्नलिखित इस प्रकार हैं:
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षण्मुखम चेट्टी औपनिवेशिक स्वराज्य के समर्थक थे और असहयोग आंदोलन के स्थान पर संवैधानिक उपायों से इसे प्राप्त करने के पक्षधर थे। वे नरम विचारों के राजनीतिज्ञ थे।
#'सिक्टम्स आफ संस्कृत ग्रामर'
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==राजनैतिक उपलब्धियां==
#भवभूति की उत्तर रामचरित का संपादन और अनुवाद
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आर. के. षण्मुखम चेट्टी अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के अतिरिक्त देश में भी अनेक संस्थाओं से जुड़े रहे। वे [[1920]] से [[1922]] तक मद्रास असेंबली के और [[1930]] से [[1934]] तक केंद्रीय असेंबली के सदस्य थे। वे  स्वराज्य पार्टी के टिकट पर चुने गये थे। [[1952]] में मद्रास विधान परिषद के सदस्य चुने गए। षणमुखम कुछ समय तक कोचीन रियासत के दीवान भी रहे। [[भारत]] के स्वतंत्र होने पर [[1947]] में षणमुखम को देश का प्रथम वित्त मंत्री बनाया गया।  [[अगस्त]], [[1949]] तक वे  इस पद पर रहे।  बाद में कुछ विवादों के कारण उन्होंने [[नेहरू जी]] की सलाह पर इस पद से इस्तीफा दे दिया। [[1951]] से [[1952]] तक वे [[अन्नामलाई विश्वविद्यालय]] के [[कुलपति]] रहे और [[1952]] में मद्रास विधान परिषद के सदस्य चुने गए।
#कालिदास का शाकुंतलम
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==मृत्यु==
#भगवत गीता
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[[भारत|स्वतंत्र भारत]] के पहले वित्त मंत्री आर. के. षण्मुखम चेट्टी का [[मई]], [[1953]] में निधन हो गया।
#ब्रह्मसूत्र का भाष्य सटिप्पण संस्करण
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#भारतीय दर्शन शास्त्र का इतिहास आदि विशेष उल्लेखनीय हैं।
 
इसके अतिरिक्त आपने प्राचीन वांमय और दार्शनिक विषयों पर अनेक गवेषणापूर्ण निबंध भी लिखें हैं।
 
  
 
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==संबंधित लेख==
 
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11:52, 16 अगस्त 2018 का अवतरण

आर. के. षण्मुखम चेट्टी (जन्म- 17 अक्टूबर, 1892, कोयंबटूर, तमिलनाडु; मृत्यु- मई, 1953) राजनीतिज्ञ एवं स्वतंत्र भारत के पहले वित्त मंत्री थे। उन्होंने भारत के प्रतिनिधी की हैसियत से विदेशों का दौरा किया। वे औपनिवेशिक स्वराज्य के समर्थक और असहयोग आंदोलन के स्थान पर संवैधानिक उपायों के हिमायती थे।

परिचय

स्वतंत्र भारत के पहले वित्त मंत्री आर. के. षण्मुखम चेट्टी का जन्म 17 अक्टूबर, 1892 ई. को तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले में हुआ था। उन्होंने मद्रास से कानून की डिग्री ली और 1919 में वकालत शुरु कर दी। षण्मुखम चेट्टी प्रतिभाशाली विद्यार्थी थे। वे गोपाल कृष्ण गोखले, विद्यानंद चंद्र राय, मोतीलाल नेहरू, लाला लाजपत राय, रविन्द्र नाथ टैगोर, एनी बेसेंट आदि के विचारों से बहुत प्रभावित थे। रामायण, महाभारत और 'कुरल' का भी उनके जीवन पर प्रभाव पढ़ा। वे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के अतिरिक्त देश में भी अनेक संस्थाओं से जुड़े रहे।[1]

भारत का प्रतिनिधित्व

षण्मुखम चेट्टी ने 1924 में एनी बेसेंट के साथ नेशनल कन्वेंशन के प्रतिनिधि मंडल के सदस्य की हैसियत से इंग्लैंड, बांग्लादेश और यूरोप के अनेक देशों का भ्रमण किया। उन्होंने 1926 में ऑस्ट्रेलिया में, 1927 से 1930 तक जनेवा में, और 1932 में कनाडा तथा ब्रिटेन में विभिन्न अवसरों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया। 1938 में वे राष्ट्र संघ में भारत के प्रतिनिधि थे। 1941 से 1942 में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ के न्यूयॉर्क अधिवेशन में भाग लिया और 1944 में भी वे अधिवेशन में सम्मिलित हुए।

संवैधानिक उपायों के पक्षधर

षण्मुखम चेट्टी औपनिवेशिक स्वराज्य के समर्थक थे और असहयोग आंदोलन के स्थान पर संवैधानिक उपायों से इसे प्राप्त करने के पक्षधर थे। वे नरम विचारों के राजनीतिज्ञ थे।

राजनैतिक उपलब्धियां

आर. के. षण्मुखम चेट्टी अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के अतिरिक्त देश में भी अनेक संस्थाओं से जुड़े रहे। वे 1920 से 1922 तक मद्रास असेंबली के और 1930 से 1934 तक केंद्रीय असेंबली के सदस्य थे। वे स्वराज्य पार्टी के टिकट पर चुने गये थे। 1952 में मद्रास विधान परिषद के सदस्य चुने गए। षणमुखम कुछ समय तक कोचीन रियासत के दीवान भी रहे। भारत के स्वतंत्र होने पर 1947 में षणमुखम को देश का प्रथम वित्त मंत्री बनाया गया। अगस्त, 1949 तक वे इस पद पर रहे। बाद में कुछ विवादों के कारण उन्होंने नेहरू जी की सलाह पर इस पद से इस्तीफा दे दिया। 1951 से 1952 तक वे अन्नामलाई विश्वविद्यालय के कुलपति रहे और 1952 में मद्रास विधान परिषद के सदस्य चुने गए।

मृत्यु

स्वतंत्र भारत के पहले वित्त मंत्री आर. के. षण्मुखम चेट्टी का मई, 1953 में निधन हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 877 |

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख