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− | '''सर गंगाराम''' (जन्म- [[15 अप्रैल]], 1851, [[पाकिस्तान]] | + | '''सर गंगाराम''' (जन्म- [[15 अप्रैल]], 1851, [[पाकिस्तान]]; मृत्यु- [[10 जुलाई]], [[1927]], [[लंदन]]) प्रसिद्ध इंजीनियर, समाजसेवी और [[भारत]] में [[हरित क्रांति]] के नायक थे। उन्होंने 'सर गंगाराम ट्रस्ट सोसाइटी' बनाई, जिसके अंतर्गत विधवा आश्रम, अपाहिज आश्रम, चिकित्सालय आदि संस्थाओं की स्थापना की गई। |
==परिचय== | ==परिचय== | ||
− | प्रसिद्ध इंजीनियर और [[भारत]] में हरित क्रांति के प्रणेता सर गंगाराम का जन्म [[15 अप्रैल]], 1851 ई. को [[पश्चिमी पंजाब]] ([[पाकिस्तान]]) के शेखपुरा जिले के एक गांव में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा [[अमृतसर]] और [[लाहौर]] में हुई और इंजीनियरिंग की शिक्षा उन्होंने रुड़की कॉलेज से प्राप्त की। कुछ समय तक लाहौर, [[दिल्ली]] और नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे में नौकरी करने के बाद गंगाराम वाटर वर्क्स निर्माण का प्रशिक्षण लेने के लिए [[इंग्लैंड]] गए। भारत लौटने पर गंगाराम ने 12 वर्ष तक लाहौर में काम किया। वहां के प्रसिद्ध भवन, जलाशय आदि उन्हीं के नेतृत्व में बने। [[1930]] में सरकारी नौकरी से अवकाश ग्रहण करते ही उन्हें पटियाला रियासत ने बुला लिया।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=899|url=}}</ref> | + | प्रसिद्ध इंजीनियर और [[भारत]] में हरित क्रांति के प्रणेता सर गंगाराम का जन्म [[15 अप्रैल]], 1851 ई. को [[पश्चिमी पंजाब]] ([[पाकिस्तान]]) के शेखपुरा जिले के एक [[गांव]] में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा [[अमृतसर]] और [[लाहौर]] में हुई और इंजीनियरिंग की शिक्षा उन्होंने रुड़की कॉलेज से प्राप्त की। कुछ समय तक लाहौर, [[दिल्ली]] और नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे में नौकरी करने के बाद गंगाराम वाटर वर्क्स निर्माण का प्रशिक्षण लेने के लिए [[इंग्लैंड]] गए। भारत लौटने पर गंगाराम ने 12 वर्ष तक लाहौर में काम किया। वहां के प्रसिद्ध भवन, जलाशय आदि उन्हीं के नेतृत्व में बने। [[1930]] में सरकारी नौकरी से अवकाश ग्रहण करते ही उन्हें पटियाला रियासत ने बुला लिया।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=899|url=}}</ref> |
==योगदान== | ==योगदान== | ||
− | सर गंगाराम ने प्रसिद्ध भवन, जलाशय, इंजीनियरिंग के अनेक नए उपकरणों के निर्माण आदि में बहुत ही योगदान दिया है। उनकी सेवाओं के उपलक्ष में ब्रिटिश सरकार ने उन्हें 'सर' की उपाधि से सम्मानित किया था। [[1930]] में सरकारी नौकरी अवकाश ग्रहण करते ही पटियाला रियासत ने उन्हें बुला लिया। उनके प्रयासों से कुछ ही दिनों में पटियाला नगर की तस्वीर ही बदल गई थी। | + | सर गंगाराम ने प्रसिद्ध भवन, जलाशय, इंजीनियरिंग के अनेक नए उपकरणों के निर्माण आदि में बहुत ही योगदान दिया है। उनकी सेवाओं के उपलक्ष में ब्रिटिश सरकार ने उन्हें 'सर' की उपाधि से सम्मानित किया था। [[1930]] में सरकारी नौकरी से अवकाश ग्रहण करते ही पटियाला रियासत ने उन्हें बुला लिया। उनके प्रयासों से कुछ ही दिनों में पटियाला नगर की तस्वीर ही बदल गई थी। |
==हरित क्रांति== | ==हरित क्रांति== | ||
− | परंतु सर गंगाराम को इतने से संतोष नहीं हुआ। 60 वर्ष की उम्र में वे कृषि केंद्रों को देखने के लिए पुन: [[इंग्लैंड]] गये। लौटने पर उन्होंने [[1911]] के दिल्ली दरबार के समय भारतीय नरेशों | + | परंतु सर गंगाराम को इतने से संतोष नहीं हुआ। 60 वर्ष की उम्र में वे कृषि केंद्रों को देखने के लिए पुन: [[इंग्लैंड]] गये। लौटने पर उन्होंने [[1911]] के [[दिल्ली दरबार]] के समय भारतीय नरेशों को शिविर निर्माण में परामर्श दिया। [[काशी हिंदू विश्वविद्यालय]] के वे अवैतनिक मुख्य इंजीनियर थे। अब उन्होंने अपने कृषि संबंधी ज्ञान का प्रयोग करने का निश्चय किया। [[पंजाब]] की बहुत सी भूमि नदियों से ऊंची होने के कारण सिचाई से वंचित और बंजर पड़ी थी। सर गंगाराम ने सबसे पहले पानी को ऊपर उठाकर सिंचाई का प्रबंध किया। इस तकनीक से खेत लहलहा उठे। नहर का पानी ऊपर से गिरा कर जल विद्युत उत्पन्न करने का शुभारंभ करने का श्रेय गंगाराम को ही जाता है। |
==समाज सेवा== | ==समाज सेवा== | ||
− | सर गंगाराम के अंदर जन सेवा की भावना बहुत थी। उन्होंने परिश्रम और योग्यता से बहुत धन अर्जित किया था। वे स्वयं गरीब घर में पैदा हुए थे और गरीबी के कष्ट को समझते थे। उस समय समाज में अनेक कुरीतियां प्रचलित | + | सर गंगाराम के अंदर जन सेवा की भावना बहुत थी। उन्होंने परिश्रम और योग्यता से बहुत धन अर्जित किया था। वे स्वयं गरीब घर में पैदा हुए थे और गरीबी के कष्ट को समझते थे। उस समय समाज में अनेक कुरीतियां प्रचलित थीं। छोटी उम्र में बच्चों का [[विवाह]] हो जाता था और विधवाओं की बड़ी दुर्दशा थी। एक सर्वेक्षण के अनुसार देश में [[1921]] ई. में 1 वर्ष से कम उम्र की लगभग 7500 विधवाएं थीं। इस स्थिति से दु:खी होकर उन्होंने 50 लाख रुपए से 'सर गंगाराम ट्रस्ट सोसाइटी' बनाई जिसके अंतर्गत विधवा आश्रम, अपाहिज आश्रम, चिकित्सालय आदि संस्थाएं स्थापित की गईं। उन्होंने लड़कियों के लिये हाईस्कूल और ट्रेनिंग कॉलेज खुलवाये और [[लाहौर]] में मेडिकल कॉलेज स्थापित कराया। उन्होंने बहुत से गुरुद्वारों के निर्माण में भी धन दिया। |
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सर गंगाराम की स्मृति में 'सर गंगाराम ट्रस्ट' ने [[दिल्ली]] में 'सर गंगाराम अस्पताल' की स्थापना की है जो इस प्रतिभाशाली और समाजसेवी व्यक्ति का स्मरण कराता है। उनके निधन पर [[गांधी जी]] ने गंगाराम को ठीक ही [[भारत]] का प्रतिष्ठित सपूत बताया था। देश के विभाजन के बाद सर गंगाराम की सब संपत्ति [[पाकिस्तान]] में ही रह गई थी। | सर गंगाराम की स्मृति में 'सर गंगाराम ट्रस्ट' ने [[दिल्ली]] में 'सर गंगाराम अस्पताल' की स्थापना की है जो इस प्रतिभाशाली और समाजसेवी व्यक्ति का स्मरण कराता है। उनके निधन पर [[गांधी जी]] ने गंगाराम को ठीक ही [[भारत]] का प्रतिष्ठित सपूत बताया था। देश के विभाजन के बाद सर गंगाराम की सब संपत्ति [[पाकिस्तान]] में ही रह गई थी। | ||
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− | प्रसिद्ध इंजीनियर समाज सेवी और भारत में हरित क्रांति के प्रणेता सर गंगाराम का [[10 जुलाई]], [[1927]] ई. को [[लंदन]] में निधन हो गया। | + | प्रसिद्ध इंजीनियर, समाज सेवी और भारत में हरित क्रांति के प्रणेता सर गंगाराम का [[10 जुलाई]], [[1927]] ई. को [[लंदन]] में निधन हो गया। |
10:44, 28 अगस्त 2018 का अवतरण
सर गंगाराम (जन्म- 15 अप्रैल, 1851, पाकिस्तान; मृत्यु- 10 जुलाई, 1927, लंदन) प्रसिद्ध इंजीनियर, समाजसेवी और भारत में हरित क्रांति के नायक थे। उन्होंने 'सर गंगाराम ट्रस्ट सोसाइटी' बनाई, जिसके अंतर्गत विधवा आश्रम, अपाहिज आश्रम, चिकित्सालय आदि संस्थाओं की स्थापना की गई।
परिचय
प्रसिद्ध इंजीनियर और भारत में हरित क्रांति के प्रणेता सर गंगाराम का जन्म 15 अप्रैल, 1851 ई. को पश्चिमी पंजाब (पाकिस्तान) के शेखपुरा जिले के एक गांव में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा अमृतसर और लाहौर में हुई और इंजीनियरिंग की शिक्षा उन्होंने रुड़की कॉलेज से प्राप्त की। कुछ समय तक लाहौर, दिल्ली और नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे में नौकरी करने के बाद गंगाराम वाटर वर्क्स निर्माण का प्रशिक्षण लेने के लिए इंग्लैंड गए। भारत लौटने पर गंगाराम ने 12 वर्ष तक लाहौर में काम किया। वहां के प्रसिद्ध भवन, जलाशय आदि उन्हीं के नेतृत्व में बने। 1930 में सरकारी नौकरी से अवकाश ग्रहण करते ही उन्हें पटियाला रियासत ने बुला लिया।[1]
योगदान
सर गंगाराम ने प्रसिद्ध भवन, जलाशय, इंजीनियरिंग के अनेक नए उपकरणों के निर्माण आदि में बहुत ही योगदान दिया है। उनकी सेवाओं के उपलक्ष में ब्रिटिश सरकार ने उन्हें 'सर' की उपाधि से सम्मानित किया था। 1930 में सरकारी नौकरी से अवकाश ग्रहण करते ही पटियाला रियासत ने उन्हें बुला लिया। उनके प्रयासों से कुछ ही दिनों में पटियाला नगर की तस्वीर ही बदल गई थी।
हरित क्रांति
परंतु सर गंगाराम को इतने से संतोष नहीं हुआ। 60 वर्ष की उम्र में वे कृषि केंद्रों को देखने के लिए पुन: इंग्लैंड गये। लौटने पर उन्होंने 1911 के दिल्ली दरबार के समय भारतीय नरेशों को शिविर निर्माण में परामर्श दिया। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वे अवैतनिक मुख्य इंजीनियर थे। अब उन्होंने अपने कृषि संबंधी ज्ञान का प्रयोग करने का निश्चय किया। पंजाब की बहुत सी भूमि नदियों से ऊंची होने के कारण सिचाई से वंचित और बंजर पड़ी थी। सर गंगाराम ने सबसे पहले पानी को ऊपर उठाकर सिंचाई का प्रबंध किया। इस तकनीक से खेत लहलहा उठे। नहर का पानी ऊपर से गिरा कर जल विद्युत उत्पन्न करने का शुभारंभ करने का श्रेय गंगाराम को ही जाता है।
समाज सेवा
सर गंगाराम के अंदर जन सेवा की भावना बहुत थी। उन्होंने परिश्रम और योग्यता से बहुत धन अर्जित किया था। वे स्वयं गरीब घर में पैदा हुए थे और गरीबी के कष्ट को समझते थे। उस समय समाज में अनेक कुरीतियां प्रचलित थीं। छोटी उम्र में बच्चों का विवाह हो जाता था और विधवाओं की बड़ी दुर्दशा थी। एक सर्वेक्षण के अनुसार देश में 1921 ई. में 1 वर्ष से कम उम्र की लगभग 7500 विधवाएं थीं। इस स्थिति से दु:खी होकर उन्होंने 50 लाख रुपए से 'सर गंगाराम ट्रस्ट सोसाइटी' बनाई जिसके अंतर्गत विधवा आश्रम, अपाहिज आश्रम, चिकित्सालय आदि संस्थाएं स्थापित की गईं। उन्होंने लड़कियों के लिये हाईस्कूल और ट्रेनिंग कॉलेज खुलवाये और लाहौर में मेडिकल कॉलेज स्थापित कराया। उन्होंने बहुत से गुरुद्वारों के निर्माण में भी धन दिया। == स्मरण==. सर गंगाराम की स्मृति में 'सर गंगाराम ट्रस्ट' ने दिल्ली में 'सर गंगाराम अस्पताल' की स्थापना की है जो इस प्रतिभाशाली और समाजसेवी व्यक्ति का स्मरण कराता है। उनके निधन पर गांधी जी ने गंगाराम को ठीक ही भारत का प्रतिष्ठित सपूत बताया था। देश के विभाजन के बाद सर गंगाराम की सब संपत्ति पाकिस्तान में ही रह गई थी।
मृत्यु
प्रसिद्ध इंजीनियर, समाज सेवी और भारत में हरित क्रांति के प्रणेता सर गंगाराम का 10 जुलाई, 1927 ई. को लंदन में निधन हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 899 |
बाहरी कड़ियाँ
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