"प्रयोग:दिनेश" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
(पृष्ठ को खाली किया)
 
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 121 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''लक्ष्मीनाथ बेजबरुआ''' (जन्म- [[18 नवंबर]] [[1868]], मृत्यु-  [[26 मार्च]],  [[1938]], [[डिब्रूगढ़ ज़िला]], [[आसाम]]) असमिया भाषा के सबसे  बड़े [[साहित्यकार]], नाटककार थे। उन्होंने व्यंग और हास्य रचनाएं कीं। उनकी सेवाओं के लिए उन्हें 'साहित्य रथी' की उपाधि से सम्मानित किया गया था। 
 
==परिचय==
 
[[असमिया भाषा]] के सबसे बड़े साहित्यकार लक्ष्मीनाथ बेजबरुआ का जन्म [[18 नवंबर]] [[1868]] ईस्वी को [[डिब्रूगढ़ ज़िला]] ([[आसाम]]) में हुआ था। जिस समय बेजबरुआ पैदा हुए उस समय उनके माता-पिता ब्रह्म्पुत्र नदी में नाव से यात्रा कर रहे थे। उनका बचपन असम में वैष्णवों के पवित्र तीर्थ बरपेटा में बीता। [[1891]] ई. में जब लक्ष्मीनाथ बेजबरुआ का [[विवाह]] महाकवि रविंद्र नाथ ठाकुर की भतीजी प्रज्ञा सुंदरी के साथ हो गया तो वे [[बंगाल]] के साहित्यकारों के और भी निकट आ गए। उस वक्त असमिया भाषा की शिक्षा की कोई व्यवस्था न होने के कारण बेजबरुआ की शिक्षा [[बंगला भाषा]] में आरंभ हुई। बाद में उन्होंने रिपन कॉलेज, [[कोलकाता]] से उच्च शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने आजीविका के लिए [[उड़ीसा]] के [[संबलपुर]] में इमारती लकड़ी का व्यापार आरंभ किया था। वहां उनका परिचय [[उड़िया भाषा]] के [[साहित्य]] और साहित्यकारों से भी हो गया। <ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=757|url=}}</ref>
 
==योगदान==
 
बेजबरुआ असमिया भाषा की प्रगति के लिए विद्यार्थी जीवन से ही प्रयत्नशील थे। उन्होंने अपने मित्रों के साथ [[1888]] में 'असमिया भाषा उन्नति साधनी सभा' नामक संस्था बनाई। [[1889]] 'जोनाकी' नामक पत्रिका का प्रकाशन किया। इस पत्रिका के द्वारा बहुत से असमिया [[लेखक‍]] असमिया भाषा के प्रति प्रोत्साहित हुए। फिर उन्होंने 20 वर्ष तक 'बांही' नामक साहित्यिक पत्रिका का संपादन किया। बेजबरुआ ने [[साहित्य]] की सभी विधाओं में रचना करके [[असमिया भाषा]] का भंडार भरा। 
 
==लेखन कार्य==
 
लक्ष्मीनाथ बेजबरुआ ने दो वैष्णव संतो [[शंकरदेव]] और [[माधव]] की जीवनियां लिखीं। 'पदुम कुंवरि' नामक ऐतिहासिक [[उपन्यास]] और 'बेलिमार' 'जयमती' तथा 'चक्रध्वज सिन्हा' नामक देश भक्ति पूर्ण [[नाटक]] लिखे। उन्होंने बाल साहित्य की रचना की जो बहुत प्रसिद्ध  हुआ। उन्होंने प्रसिद्ध व्यंग और हास्य रचनाएं की।
 
==ख्याति==
 
बेजबरुआ को असमिया की नई [[कहानी]] का जनक ही माना जाता है। [[कविता]] के क्षेत्र में उनकी देशभक्ति पूर्ण रचनाएं, भक्ति और आध्यात्मिक गीत, गाथा गीत तथा लोकगीत सभी उच्चकोटि की माने जाते हैं। इस प्रकार बेजबरुआ ने असमिया साहित्य के सभी अंगों को मजबूत किया है। उनकी सेवाओं के लिए उन्हें 'साहित्य रथी' की उपाधि से सम्मानित किया गया था।
 
==मृत्यु==
 
लक्ष्मीनाथ बेजबरुआ का [[26 मार्च]] [[1938]] को [[डिब्रूगढ़ ज़िला]], [[आसाम]] में निधन हो गया।
 
  
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
==बाहरी कड़ियाँ==
 
==संबंधित लेख==
 
{{साहित्यकार}}
 
[[Category:साहित्यकार]][[Category:लेखक]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:चरित कोश]][[Category:भारतीय चरित कोश]]
 
__INDEX__
 
__NOTOC__
 
 
भारतीय चरित कोश 757
 

12:43, 6 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण