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'''लक्ष्मी मेनन''' (जन्म- [[1899]], [[त्रिवेंद्रम]]) शिक्षिका, वकील और राजनेता थीं। उन्हें [[पद्मभूषण]] से सम्मानित किया गया था। इन्होंने महिलाओं की स्थिति सुधारने के कामों पर विशेष बल दिया।
 
==परिचय==
 
प्रसिद्ध महिला नेत्री और नारी उत्थान के लिए प्रयत्नशील लक्ष्मी मेनन का जन्म [[1899]] ईसवी में [[त्रिवेंद्रम]] में हुआ था। उन्होंने त्रिवेंद्रम, [[मद्रास]], [[लखनऊ]] और [[लंदन]] में शिक्षा पाई तथा एम.ए., एल.टी. और एल.एल.बी.. की डिग्रीयां लीं। देश और समाज के प्रति किये गये कार्यों के लिए [[1957]] में लक्ष्मी मेनन को [[पद्म भूषण]] से सम्मानित किया गया था। <ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=758|url=}}</ref>
 
==अध्यापन==
 
लक्ष्मी ने एक शिक्षिका के रूप में जीवन आरंभ किया। 5 वर्ष तक वे कॉलेज, [[मद्रास]] में पढ़ाती रहीं। फिर गोखले क्वीन मैरिज मेमोरियल स्कूल, [[कोलकाता]] आईं। उन्होंने [[1930]] से [[1932]] तक आईटी कॉलेज, [[लखनऊ]] में अध्यापन कार्य किया। [[1951]]-[[1952]] में वे टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज, [[पटना]] की प्राचार्या थींं।
 
==राजनैतिक यात्रा==
 
लक्ष्मी मेनन इसी दौरान [[जवाहर लाल नेहरु]] और [[सरोजिनी नायडू]] आदि के संपर्क में आईंं। वे 'ऑल इंडिया वूमेंस कांफ्रेंस' की संस्थापक सदस्य थी और इस संस्था की महामंत्री एवं अध्यक्ष भी रहीं। [[1952]] में वे [[राज्यसभा]] की सदस्य चुनी गईंं और [[संयुक्त राष्ट्र संघ]] में [[भारत]] के प्रतिनिधि मंडल की सदस्य रहीं। उनकी कार्य क्षमता से प्रभावित होकर उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में, [[1952]] में विदेश मंत्रालय का सभा सचिव, [[1957]] में उपमंत्री और [[1962]] में राज्य मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी। उन्होंने [[भारत]] [[चीन]] संघर्ष के दिनों में विभिन्न देशों की यात्रा करके भारत के दृष्टिकोण का स्पष्टीकरण बड़ी सफलता के साथ किया।
 
==महिलाओं के प्रति ध्यान==
 
[[1966]] में लक्ष्मी ने सक्रिय राजनीति छोड़ दी थी। उन्होंने 'ऑल इंडिया वूमेंस कांफ्रेंस' संस्था के माध्यम से अपना पूरा ध्यान महिलाओं की स्थिति सुधारने के कामों में लगाया।
 
इस संस्था की वे संस्थापक सदस्य, महामंत्री एवं अध्यक्ष भी थीं।
 
  
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
==बाहरी कड़ियाँ==
 
==संबंधित लेख==
 
{{भारत के मुख्य न्यायाधीश}}
 
[[Category:शिक्षिका]][[Category:राजनेता]][[Category:अधिवक्ता]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:चरित कोश]][[Category:भारतीय चरित कोश]]
 
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प्रसिद्ध महिला नेत्री और नारी उत्थान के लिए प्रयत्नशील लक्ष्मी मेनन का जन्म 1899 ईसवी में त्रिवेंद्रम में हुआ था। उन्होंने त्रिवेंद्रम, मद्रास, लखनऊ और लंदन में शिक्षा पाई तथा एम.ए.एल.टी. और एल.एल.बी.. की डिग्रीयां लीं। लक्ष्मी ने एक शिक्षिका के रूप में जीवन आरंभ किया। 5 वर्ष तक वे  कॉलेज मद्रास में पढ़ाती रहीं। फिर गोखले  क्वीन मैरिज मेमोरियल  स्कूल कोलकाता आई। उन्होंने 1930 से 1932 तक आईटी कॉलेज लखनऊ में अध्यापन कार्य किया। उसके बाद कुछ वर्षों तक वकालत भी की।  1951‌‌-52 में वे टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज पटना की प्राचार्या थी। अपने इस घटना पूर्ण जीवन में लक्ष्मी जवाहर लाल जी और सरोजिनी नायडू आदि के संपर्क में आई ऑल इंडिया वूमेंस कांफ्रेंस की संस्थापक सदस्य थी और इस संस्था की महामंत्री और अध्यक्ष भी र हीं। 1952में वे राज्यसभा की सदस्य चुनी गई और राष्ट्र संघ में भारत के प्रतिनिधि मंडल की सदस्य रहीं। उनकी कार्य क्षमता से प्रभावित होकर उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में 1952 में विदेश मंत्रालय का सभा सचिव 1957 में उपमंत्री और 1962 में राज्य मंत्री का दायित्व सौंपा गया था। भारत चीन संघर्ष के दिनों में विभिन्न देशों की यात्रा करके भारत के दृष्टिकोण का स्पष्टीकरण उन्होंने बड़ी सफलता के साथ किया। 1966 में लक्ष्मी ने सक्रिय राजनीति छोड़ दी और अपना पूरा ध्यान महिलाओं की स्थिति सुधारने के कामों में लगाया। 1957 में लक्ष्मी मेनन को पदम भूषण से सम्मानित किया गया था।
 
भारतीय चरित्र  कोश 758
 

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