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'''सत्यदेव विद्यालंकार''' (जन्म- [[अक्टूबर]], [[1897]], [[पंजाब]], मृत्यु- [[1965]]) प्रसिद्ध पत्रकार, [[लेखक‍]] एवं स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने स्वतंत्रता अंदोलनों में भाग लेने के कारण जेल यातनायें भोगीं। अंत समय में उनकी आंखों की ज्योति चली गयी थी।
 
==परिचय==
 
प्रसिद्ध पत्रकार और [[लेखक‍]] सत्यदेव विद्यालंकार का जन्म [[पंजाब]] की नाभा रियासत में [[अक्टूबर]], [[1897]] ई. को एक खत्री परिवार में हुआ था। उनकी शिक्षा [[गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय|गुरुकुल कांगड़ी]] में हुई थी। उन्होंने विद्यालंकार की उपाधि पाई। [[गुरुकुल]] में ही उनके ऊपर [[महर्षि दयानंद]] के विचारों का प्रभाव पड़ा और वे आर्य समाजी बन गए। विद्यार्थी जीवन में ही उनकी प्रवृत्ति पत्रकारिता की ओर हो गयी थी। [[1919]] में [[इंद्र विद्यावाचस्पति]] के साथ उन्होंने 'विजय' नामक पत्र निकाला जो बाद में 'वीर अर्जुन' हो गया। उसके बाद समय-समय पर उन्होंने पत्रों का संपादन किया।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=885|url=}}</ref>
 
==राष्ट्रवादी पत्रकार==
 
सत्यदेव विद्यालंकार राष्ट्रवादी पत्रकार थे। उनकी [[पत्रकारिता]] में राष्ट्रीय भावना सर्वोपरि थी। [[1921]] में 'राजस्थान केसरी' नाम के एक लेख को आपत्तिजनक बताकर सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। [[1930]] के [[नमक सत्याग्रह]] और [[1932]] के [[सविनय अवज्ञा आंदोलन]] में भी वे जल गए। इस प्रकार उनका एक पैर किसी पत्र के कार्यालय में रहा तो दूसरा पैर जेल में रहा।
 
==सम्पादन कार्य==
 
सत्यदेव विद्यालंकार ने समय-समय पर पत्रों का सम्पादन कार्य किया है। उन्होंने 'राजस्थान केसरी', 'मारवाड़ी', विश्वमित्र', 'नवे भारत', 'अमर भारत', 'हिंदुस्तान', 'नवयुग', 'राजहंस', 'श्रद्धा' आदि पत्रों का संपादन किया है।
 
==लेखन कार्य==
 
सत्यदेव विद्यालंकार ने एक [[लेखक‍]] के रूप में भी कार्य किया है।
 
उनकी अन्य प्रमुख रचनाएं इस प्रकार हैं:
 
#'गांधी जी का मुकदमा' लेखक के रूप में उनकी पहली पुस्तक थी।
 
#दयानंद दर्शन,
 
#स्वामी श्रद्धानंद,
 
#आर्य सत्याग्रह,
 
#परदा,
 
#मध्य भारत,
 
#नवनिर्माण की पुकार,
 
#करो या मरो,
 
#यूरोप में आजादहिन्द, 
 
#लालकिले में,
 
#जय हिन्द,
 
#राष्ट्र धर्म,
 
#पंजाब की चिनगारी आदि।
 
==मृत्यु==
 
प्रसिद्ध पत्रकार और [[लेखक‍]] सत्यदेव विद्यालंकार की [[1954]] में नेत्रों की ज्योति नहीं रही और [[1965]] में उनका निधन हो गया।
 
  
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
==बाहरी कड़ियाँ==
 
==संबंधित लेख==
 
{{स्वतंत्रता सेनानी}}
 
[[Category:स्वतन्त्रता सेनानी]][[Category:साहित्यकार]][[Category:पत्रकार]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:चरित कोश]][[Category:भारतीय चरित कोश]]
 
__INDEX__
 
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12:43, 6 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण