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प्रसिद्ध हिंदीसेवी रामचंद्र वर्मा का जन्म 1890ई. में वाराणसी में हुआ था। विद्यालयी शिक्षा उनको बहुत कम मिल पाई, किंतु अपने अध्यवसाय से उन्होंने हिंदी, उर्दू, फारसी, मराठी, बंगला, गुजराती, अंग्रेजी आदि भाषाओं का बहुत अच्छाअध्ययन कर लिया था।

वर्माजी ने अपना जीवन पत्रकार के रूप में आरम्भ किया। 1907 ई. में वे नागपुर के पत्र 'हिंदी केसरी' के सम्पादक बने। कुछ समय तक बांकीपुर के पत्र 'बिहार बंधु' के संपादक रहे। उसके बाद काशी नागरी प्रचारिणी सभा के हिंदी शब्द सागर के सहायक संपादक के पद पर रहे। इस पद पर वे 1910 ईसवी से 1929 तक रहे।उन्होंने 'संक्षिप्त हिंदी शब्द सागर' का भी संपादन किया। विभिन्न भाषाओं की एक प्रसिद्ध ग्रंथों के अनुवाद का श्रेय भी उनको है। वे आजीवन लोगों का ध्यान शुद्ध हिंदी लिखने और बोलने की ओर आकृष्ट करते रहे। हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा प्रकाशित 5 खंडों का 'मानक हिंदी कोश' भी उन्हीं के परिश्रम का फल है। उनके अन्य चर्चित ग्रंथ हैं‌‌- 'अच्छी हिंदी' 'हिंदी प्रयोग' 'हिंदी कोश रचना' प्रामाणिक हिंदी कोश, उर्दू हिंदी कोश आदि। रामचंद्र वर्मा को उनकी हिंदी सेवाओं के लिए भारत सरकार ने 'पद्मश्री' से सम्मानित किया था।1969 ईस्वी में वर्मा जी का देहांत हो गया।

भारतीय चरित्र कोश 729