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*बांसुरी अत्यंत लोकप्रिय सुषिस वाद्य यंत्र माना जाता है, क्योंकि यह प्राकृतिक बांस से बनायी जाती है, इसलिये लोग उसे बांस बांसुरी भी कहते हैं।
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*बांसुरी अत्यंत लोकप्रिय सुषिस [[वाद्य]] यंत्र माना जाता है, क्योंकि यह प्राकृतिक बांस से बनायी जाती है, इसलिये लोग उसे बांस बांसुरी भी कहते हैं।
 
*बांसुरी बनाने की प्रक्रिया काफ़ी कठिन नहीं है, सब से पहले बांसुरी के अंदर के गांठों को हटाया जाता है, फिर उस के शरीर पर कुल सात छेद खोदे जाते हैं। सब से पहला छेद मुंह से फूंकने के लिये छोड़ा जाता है, बाक़ी छेद अलग अलग आवाज निकले का काम देते हैं।
 
*बांसुरी बनाने की प्रक्रिया काफ़ी कठिन नहीं है, सब से पहले बांसुरी के अंदर के गांठों को हटाया जाता है, फिर उस के शरीर पर कुल सात छेद खोदे जाते हैं। सब से पहला छेद मुंह से फूंकने के लिये छोड़ा जाता है, बाक़ी छेद अलग अलग आवाज निकले का काम देते हैं।
*बांसुरी की अभिव्यक्त शक्ति अत्यंत विविधतापूर्ण है, उस से लम्बे, ऊंचे, चंचल, तेज व भारी प्रकारों के सूक्ष्म भाविक मधुर संगीत बजाया जाता है। लेकिन इतना ही नहीं, वह विभिन्न प्राकृतिक आवाजों की नक़ल करने में निपुण है, मिसाल के लिये उससे नाना प्रकार के पक्षियों की आवाज की हू व हू नक्ल की जा सकती है।
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*बांसुरी की अभिव्यक्त शक्ति अत्यंत विविधतापूर्ण है, उस से लम्बे, ऊंचे, चंचल, तेज व भारी प्रकारों के सूक्ष्म भाविक मधुर [[संगीत]] बजाया जाता है। लेकिन इतना ही नहीं, वह विभिन्न प्राकृतिक आवाजों की नक़ल करने में निपुण है, मिसाल के लिये उससे नाना प्रकार के पक्षियों की आवाज की हू व हू नक्ल की जा सकती है।
# बांसुरी की बजाने की तकनीक कलाएं समृद्ध ही नहीं, उस की किस्में भी विविधतापूर्ण हैं, जैसे मोटी लम्बी बांसुरी, पतली नाटी बांसुरी, सात छेदों वाली बांसुरी और ग्यारह छेदों वाली बांसुरी आदि देखने को मिलते हैं और उस की बजाने की शैली भी भिन्न रूपों में पायी जाती है।
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*बांसुरी की बजाने की तकनीक कलाएं समृद्ध ही नहीं, उस की किस्में भी विविधतापूर्ण हैं, जैसे मोटी लम्बी बांसुरी, पतली नाटी बांसुरी, सात छेदों वाली बांसुरी और ग्यारह छेदों वाली बांसुरी आदि देखने को मिलते हैं और उस की बजाने की शैली भी भिन्न रूपों में पायी जाती है।
# बांसुरी,वंसी ,वेणु ,वंशिका कई सुंदर नामो से सुसज्जित है।
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*बांसुरी, वंसी ,वेणु ,वंशिका कई सुंदर नामो से सुसज्जित है।
# प्राचीनकाल में लोक संगीत का प्रमुख वाद्य था बाँसुरी ।
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*प्राचीनकाल में [[लोक संगीत]] का प्रमुख वाद्य था बाँसुरी।
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11:59, 21 जुलाई 2010 का अवतरण

  • बांसुरी अत्यंत लोकप्रिय सुषिस वाद्य यंत्र माना जाता है, क्योंकि यह प्राकृतिक बांस से बनायी जाती है, इसलिये लोग उसे बांस बांसुरी भी कहते हैं।
  • बांसुरी बनाने की प्रक्रिया काफ़ी कठिन नहीं है, सब से पहले बांसुरी के अंदर के गांठों को हटाया जाता है, फिर उस के शरीर पर कुल सात छेद खोदे जाते हैं। सब से पहला छेद मुंह से फूंकने के लिये छोड़ा जाता है, बाक़ी छेद अलग अलग आवाज निकले का काम देते हैं।
  • बांसुरी की अभिव्यक्त शक्ति अत्यंत विविधतापूर्ण है, उस से लम्बे, ऊंचे, चंचल, तेज व भारी प्रकारों के सूक्ष्म भाविक मधुर संगीत बजाया जाता है। लेकिन इतना ही नहीं, वह विभिन्न प्राकृतिक आवाजों की नक़ल करने में निपुण है, मिसाल के लिये उससे नाना प्रकार के पक्षियों की आवाज की हू व हू नक्ल की जा सकती है।
  • बांसुरी की बजाने की तकनीक कलाएं समृद्ध ही नहीं, उस की किस्में भी विविधतापूर्ण हैं, जैसे मोटी लम्बी बांसुरी, पतली नाटी बांसुरी, सात छेदों वाली बांसुरी और ग्यारह छेदों वाली बांसुरी आदि देखने को मिलते हैं और उस की बजाने की शैली भी भिन्न रूपों में पायी जाती है।
  • बांसुरी, वंसी ,वेणु ,वंशिका कई सुंदर नामो से सुसज्जित है।
  • प्राचीनकाल में लोक संगीत का प्रमुख वाद्य था बाँसुरी।