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'''बीबी का मक़बरा''' [[महाराष्ट्र]] राज्य के [[औरंगाबाद महाराष्ट्र|औरंगाबाद]] में स्थित है। यह मक़बरा [[मुग़ल]] सम्राट [[औरंगज़ेब]] (1658-1707 ई.) की पत्‍नी 'रबिया-उल-दौरानी' उर्फ 'दिलरास बानो बेगम' का एक सुंदर मक़बरा है। माना जाता है कि इस मकबरे का निर्माण राजकुमार आजमशाह ने अपनी माँ की स्‍मृति में सन 1651 से 1661 के दौरान करवाया। मुख्‍य प्रवेश द्वार पर पाए गए एक [[अभिलेख]] में यह उल्‍लेख है कि यह मक़बरा अताउल्‍ला नामक एक वास्‍तुकार और हंसपत राय नामक एक अभियंता द्वारा अभिकल्पित और निर्मित किया गया। इस मकबरे का प्रेरणा स्रोत [[आगरा]] का विश्‍व प्रसिद्ध [[ताजमहल]] था। यही कारण है कि "दक्‍कन के ताज" के नाम से जाना जाता है।
'''बीबी का मक़बरा''' [[महाराष्ट्र]] राज्य के [[औरंगाबाद महाराष्ट्र|औरंगाबाद]] में स्थित है। औरंगाबाद में दौलताबाद क़िले से कुछ ही दूरी पर बीबी का मक़बरा है।<ref name="पुरवाई">{{cite web |url=http://purvaai.wordpress.com/2010/04/25/%E0%A4%AC%E0%A5%80%E0%A4%AC%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%AE%E0%A4%95%E0%A4%AC%E0%A4%B0%E0%A4%BE/ |title=बीबी का मक़बरा |accessmonthday=[[27 जनवरी]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=पुरवाई |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
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==संरचना==
*बीबी का मक़बरा कालांतर में [[मुग़ल]] शहंशाह [[औरंगज़ेब]] ने फतेहनगर के समीप ही [[ताजमहल]] की तरह बनवाया था और नगर का नाम खाड़की से बदलकर औरंगाबाद कर दिया।
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यह मक़बरा एक विशाल अहाते के केंद्र में स्थित है, जो अनुमानत: उत्तर-दक्षिण में 458 मीटर और पूर्व-पश्‍चिम में 275 मीटर है। बरादरियाँ या स्तंभयुक्त मंडप, अहाते की दीवार के उत्‍तर, पूर्व और पश्‍चिमी भाग के केंद्र में अवस्थित हैं। विशिष्ट मुग़ल चारबाग पद्धति मक़बरे को शोभायमान करती है। इस प्रकार इसकी एकरूपता और इसके उत्‍कृष्‍ट उद्यान विन्‍यास से इसके सौंदर्य और भव्‍यता में चार चांद लग जाते हैं। अहाते की ऊंची दीवार नुकीले चापाकार आलों से मोखेदार बनाई गई है और इसे आकर्षक बनाने के लिए नियमित अंतरालों पर बुर्ज बनाए गए हैं। आलों को छोटी मीनारों से मुकटित भित्ति स्‍तंभों द्वारा विभक्‍त किया गया है।
*बीबी के मक़बरा का निर्माण मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब के शहज़ादे आज़मशाह ने अंतिम 17वीं शताब्दी में करवाया था।
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====बेल-बूटे की सजावट====
*बीबी का मक़बरा को औरंगजेब के बेटे आज़मशाह ने अपनी माता रबिया दुर्रानी की याद में बनवाया था।
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[[चित्र:Bibi-Ka-Maqbara.jpg|thumb|left|बीबी का मक़बरा, [[औरंगाबाद महाराष्ट्र|औरंगाबाद]]]]
*बीबी का मक़बरा [[अकबर]] एवं [[शाहजहाँ]] के काल के शाही निर्माण से अंतिम [[मुग़ल|मुग़लों]] के साधारण [[वास्तुकला]] के परिवर्तन को दर्शाता है।<ref>{{cite web |url=http://hi.worldpoi.info/poi/756/ |title=बीबी का मक़बरा |accessmonthday=[[27 जनवरी]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=वर्ल्डपोई |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
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'बीबी के मक़बरे' में प्रवेश इसकी दक्षिण दिशा में एक लकड़ी के प्रवेश द्वार से किया जाता है, जिस पर बाहर की ओर से पीतल की प्‍लेट पर बेल-बूटे के उत्‍कृष्‍ट डिज़ाइन हैं। प्रवेश द्वार से गुजरने के बाद एक छोटा-सा कुण्‍ड और साधारण आवरण दीवार है, जो मुख्‍य संरचना की ओर जाती है। आवरण वाले मार्ग के केंद्र में फव्‍वारों की एक श्रंखला है, जो इस शांत वातावरण का सौंदर्य और अधिक बढ़ा देती हैं। मक़बरा एक ऊंचे-वर्गाकार चबूतरे पर बना है और इसके चारों कोनों में चार मीनारें हैं। इसमें तीन ओर से सीढियों दवारा पहुंचा जा सकता है। मुख्य संरचना के पश्चिम में एक मस्जिद पाई गई है, जो [[हैदराबाद]] के निजाम ने बाद में बनवाई थी, जिसके कारण प्रवेश मार्ग बंद हो गया है। इस मकबरे में डेडो स्तर तक संगमरमर लगा हुआ है। डेडो स्‍तर से ऊपर गुम्‍बद के आधार तक यह बेसाल्‍टी ट्रैप से बना है और गुम्‍बद भी संगमरमर से बना है। महीन पलस्‍तर से बेसाल्‍टी ट्रैप को ढका गया है और इसे पॉलिश से चमकाया गया है और सूक्ष्‍म गचकारी अलंकरणों से सजाया गया है
*बीबी का मक़बरा दक्षिण भारतीय ताज के रूप में जाना जाता है।
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==अवशेष==
*प्रवेश द्वार से भीतर जाने के बाद आगे बिल्कुल [[ताजमहल]] जैसा लगता हैं। सामने एक छोटा ताल हैं जिसमे ताजमहल जैसी छवि झिलमिलाती हैं। आगे गलियारा जैसा हैं जिसके दोनों और हरीतिमा हैं।<ref name="पुरवाई" />
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'रबिया-उल-दौरानी' के मानवीय अवशेष भूतल के नीचे रखे गए हैं जो अत्‍यंत सुंदर डिज़ाइनों वाले एक अष्‍टकोणीय संगमरमर के आवरण से घिरा हुआ है जिस तक सीढियाँ उतर कर जाया जा सकता है। मक़बरे के भूतल के सदृश इस कक्ष की छत को अष्‍टकोणीय विवर द्वारा वेधा गया है और एक नीची सुरक्षा भित्ति के रूप में संगमरमर का आवरण बनाया गया है। अत: अष्‍टकोणीय विवर से नीचे देखने पर भूतल से भी कब्र को देखा जा सकता है। मक़बरे के शिखर पर एक गुम्‍बद है, जिसे जाली से वेधा गया है और इसके साथ वाले पैनलों की पुष्‍प डिज़ाइनों से सजावट की गई है, जो उतनी ही बारीकी और सफाई से की गई है, जितनी कि [[आगरा]] के [[ताजमहल]] की। मक़बरे के पश्‍चिम में एक छोटी मस्ज्दि स्थित है, जो शायद बाद में बनाई गई है। आलों को पांच नोकदार चापों द्वारा आर-पार वेधा गया है और प्रत्‍येक कोने पर एक मीनार देखी जा सकती है।
*मक़बरे में आगे जाकर एक बड़ा हॉल है जिसमें बीचो-बीच रेलिंग लगी हुई है जिससे नीचे मक़बरा दिखाई देता है। हॉल की दीवारों और छत पर बहुत सुन्दर नक़्क़ाशी है। इस बड़े हॉल के चारों ओर खुला भाग और चारों ओर स्तम्भ बने हुए हैं।<ref name="पुरवाई" />
 
*मक़बरे के बाहर चारों ओर बड़े भू-भाग में हरियाली हैं। बीबी का मक़बरा बहुत सुन्दर जगह हैं।<ref name="पुरवाई" />
 
 
 
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12:17, 22 अप्रैल 2013 का अवतरण

बीबी का मक़बरा, औरंगाबाद

बीबी का मक़बरा महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद में स्थित है। यह मक़बरा मुग़ल सम्राट औरंगज़ेब (1658-1707 ई.) की पत्‍नी 'रबिया-उल-दौरानी' उर्फ 'दिलरास बानो बेगम' का एक सुंदर मक़बरा है। माना जाता है कि इस मकबरे का निर्माण राजकुमार आजमशाह ने अपनी माँ की स्‍मृति में सन 1651 से 1661 के दौरान करवाया। मुख्‍य प्रवेश द्वार पर पाए गए एक अभिलेख में यह उल्‍लेख है कि यह मक़बरा अताउल्‍ला नामक एक वास्‍तुकार और हंसपत राय नामक एक अभियंता द्वारा अभिकल्पित और निर्मित किया गया। इस मकबरे का प्रेरणा स्रोत आगरा का विश्‍व प्रसिद्ध ताजमहल था। यही कारण है कि "दक्‍कन के ताज" के नाम से जाना जाता है।

संरचना

यह मक़बरा एक विशाल अहाते के केंद्र में स्थित है, जो अनुमानत: उत्तर-दक्षिण में 458 मीटर और पूर्व-पश्‍चिम में 275 मीटर है। बरादरियाँ या स्तंभयुक्त मंडप, अहाते की दीवार के उत्‍तर, पूर्व और पश्‍चिमी भाग के केंद्र में अवस्थित हैं। विशिष्ट मुग़ल चारबाग पद्धति मक़बरे को शोभायमान करती है। इस प्रकार इसकी एकरूपता और इसके उत्‍कृष्‍ट उद्यान विन्‍यास से इसके सौंदर्य और भव्‍यता में चार चांद लग जाते हैं। अहाते की ऊंची दीवार नुकीले चापाकार आलों से मोखेदार बनाई गई है और इसे आकर्षक बनाने के लिए नियमित अंतरालों पर बुर्ज बनाए गए हैं। आलों को छोटी मीनारों से मुकटित भित्ति स्‍तंभों द्वारा विभक्‍त किया गया है।

बेल-बूटे की सजावट

बीबी का मक़बरा, औरंगाबाद

'बीबी के मक़बरे' में प्रवेश इसकी दक्षिण दिशा में एक लकड़ी के प्रवेश द्वार से किया जाता है, जिस पर बाहर की ओर से पीतल की प्‍लेट पर बेल-बूटे के उत्‍कृष्‍ट डिज़ाइन हैं। प्रवेश द्वार से गुजरने के बाद एक छोटा-सा कुण्‍ड और साधारण आवरण दीवार है, जो मुख्‍य संरचना की ओर जाती है। आवरण वाले मार्ग के केंद्र में फव्‍वारों की एक श्रंखला है, जो इस शांत वातावरण का सौंदर्य और अधिक बढ़ा देती हैं। मक़बरा एक ऊंचे-वर्गाकार चबूतरे पर बना है और इसके चारों कोनों में चार मीनारें हैं। इसमें तीन ओर से सीढियों दवारा पहुंचा जा सकता है। मुख्य संरचना के पश्चिम में एक मस्जिद पाई गई है, जो हैदराबाद के निजाम ने बाद में बनवाई थी, जिसके कारण प्रवेश मार्ग बंद हो गया है। इस मकबरे में डेडो स्तर तक संगमरमर लगा हुआ है। डेडो स्‍तर से ऊपर गुम्‍बद के आधार तक यह बेसाल्‍टी ट्रैप से बना है और गुम्‍बद भी संगमरमर से बना है। महीन पलस्‍तर से बेसाल्‍टी ट्रैप को ढका गया है और इसे पॉलिश से चमकाया गया है और सूक्ष्‍म गचकारी अलंकरणों से सजाया गया है

अवशेष

'रबिया-उल-दौरानी' के मानवीय अवशेष भूतल के नीचे रखे गए हैं जो अत्‍यंत सुंदर डिज़ाइनों वाले एक अष्‍टकोणीय संगमरमर के आवरण से घिरा हुआ है जिस तक सीढियाँ उतर कर जाया जा सकता है। मक़बरे के भूतल के सदृश इस कक्ष की छत को अष्‍टकोणीय विवर द्वारा वेधा गया है और एक नीची सुरक्षा भित्ति के रूप में संगमरमर का आवरण बनाया गया है। अत: अष्‍टकोणीय विवर से नीचे देखने पर भूतल से भी कब्र को देखा जा सकता है। मक़बरे के शिखर पर एक गुम्‍बद है, जिसे जाली से वेधा गया है और इसके साथ वाले पैनलों की पुष्‍प डिज़ाइनों से सजावट की गई है, जो उतनी ही बारीकी और सफाई से की गई है, जितनी कि आगरा के ताजमहल की। मक़बरे के पश्‍चिम में एक छोटी मस्ज्दि स्थित है, जो शायद बाद में बनाई गई है। आलों को पांच नोकदार चापों द्वारा आर-पार वेधा गया है और प्रत्‍येक कोने पर एक मीनार देखी जा सकती है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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