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==इतिहास==
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वर्ष 1932 में इसकी स्थापना के बाद से ही भारतीय वायु सेना की उपलब्धियों का उल्लेखनीय इतिहास रहा है। भारतीय हवाई क्षेत्र को सुरक्षित रखने और संघर्ष के दौरान हवाई युद्ध का आयोजन करने के अपने प्राथमिक उद्देश्य का पालन करते हुए, भारतीय वायु सेना को [[पाकिस्तान]] के साथ चार युद्ध और चीन के साथ एक युद्ध में शामिल किया गया है। वायु सेना ने द्वितीय विश्व युद्ध में भी जापानी सेना को [[बर्मा]] में रोककर सक्रिय भूमिका निभाई थी।
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==आयोजन==
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==आदर्श वाक्य==
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भारतीय वायु सेना दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायु सेना है। गाजियाबाद, [[उत्तर प्रदेश]] में स्थित हिंडन वायु सेना स्टेशन [[एशिया]] का सबसे बड़ा एयरबेस है। भारतीय वायु सेना के अस्तित्व में आने के बाद से अब तक यह अपने ध्येय वाक्य 'नभ: स्पृशं दीप्तम्' के मार्ग पर चल रहा है। इसका अर्थ है 'गर्व के साथ आकाश को छूना।' वायु सेना के इस ध्येय वाक्य को [[श्रीमद्भगवद गीता|भगवत गीता]] के 11वें अध्याय से लिया गया है। यह [[महाभारत]] के महायुद्ध के दौरान [[कुरुक्षेत्र]] की युद्धभूमि में [[कृष्ण|भगवान श्रीकृष्ण]] द्वारा [[अर्जुन]] को दिए गए उपदेश का एक अंश है। इसी आदर्श वाक्य के साथ भारतीय वायु सेना अपने कामों को अंजाम देती है।
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==वायु सेना ध्वज==
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वायु सेना ध्वज, वायु सेना निशान से अलग, नीले रंग का है जिसके शुरुआती एक चौथाई भाग में राष्ट्रीय ध्वज बना है और बीच के हिस्से में राष्ट्रीय ध्वज के तीनों रंगों अर्थात्‌ केसरिया, श्वेत और हरे रंग से बना एक वृत्त (गोलाकार आकृति) है। यह ध्वज [[1951]] में अपनाया गया था।
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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==संबंधित लेख==
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__NOTOC__

06:14, 8 अक्टूबर 2022 के समय का अवतरण

भारतीय वायु सेना दिवस
भारतीय वायु सेना के सैनिक
विवरण भारतीय वायु सेना की स्थापना 8 अक्टूबर 1932 को हुई थी। इसी मौके को याद करते हुए हर साल इस दिन को भारतीय वायु सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है।
देश भारत
तिथि 8 अक्टूबर
उद्देश्य विभिन्न अभियानों के लिए तैयार किये गए नए विमान प्रदर्शित किए जाते हैं, साथ ही इसकी विशेषताओं और इसके उद्देश्यों को भी समझाया जाता है।
आदर्श वाक्य नभ: स्पृशं दीप्तम्
विशेष भारतीय वायु सेना का ध्येय वाक्य 'नभ: स्पृशं दीप्तम्' के मार्ग पर चल रहा है। इसका अर्थ है 'गर्व के साथ आकाश को छूना।' वायु सेना के इस ध्येय वाक्य को भगवत गीता के 11वें अध्याय से लिया गया है।
अन्य जानकारी वायु सेना के अन्य महत्वपूर्ण कार्यों में ऑपरेशन विजय (गोवा का दावा करने के लिए), ऑपरेशन मेघदूत (विवादित कश्मीर क्षेत्र में सियाचिन ग्लेशियर को पकड़ने के लिए), ऑपरेशन कैक्टस (मालदीव में बचाव अभियान), ऑपरेशन पोमलाई (श्रीलंका में जाफना शहर के घेरे वाले शहर पर हवाई-ड्रॉप की आपूर्ति के लिए) और ऑपरेशन राहत (उत्तराखंड में फ्लैश बाढ़ से पीड़ित लोगों के बचाव और राहत) शामिल हैं।

भारतीय वायु सेना की स्थापना 8 अक्टूबर 1932 को हुई थी। इसी मौके को याद करते हुए हर साल इस दिन को भारतीय वायु सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है। वायु सेना दिवस को आधिकारिक तौर पर सर्वप्रथम 8 अक्तूबर 1932 को भारतीय साम्राज्य की सहायक वायु सेना के रूप में मनाया गया था। वर्ष 2017 में, केंद्रीय वायु कमान 8 अक्तूबर को भारतीय वायु सेना की 85वीं वर्षगांठ को पूरे देश के विभिन्न हवाई स्टेशनों पर बहुत उत्साह के साथ मनाया। ऑपरेशन राहत और ऑपरेशन मेघदूत जैसे विभिन्न महत्वपूर्ण अभियानों में तैनात विमान और हेलीकाप्टर भी प्रदर्शित किये जाते हैं। इसके साथ-साथ, विभिन्न अभियानों के लिए तैयार किये गए नए विमान भी प्रदर्शित किए जाते हैं, साथ ही इसकी विशेषताओं और इसके उद्देश्यों को भी समझाया जाता है।

इतिहास

वर्ष 1932 में इसकी स्थापना के बाद से ही भारतीय वायु सेना की उपलब्धियों का उल्लेखनीय इतिहास रहा है। भारतीय हवाई क्षेत्र को सुरक्षित रखने और संघर्ष के दौरान हवाई युद्ध का आयोजन करने के अपने प्राथमिक उद्देश्य का पालन करते हुए, भारतीय वायु सेना को पाकिस्तान के साथ चार युद्ध और चीन के साथ एक युद्ध में शामिल किया गया है। वायु सेना ने द्वितीय विश्व युद्ध में भी जापानी सेना को बर्मा में रोककर सक्रिय भूमिका निभाई थी। वायु सेना के अन्य महत्वपूर्ण कार्यों में ऑपरेशन विजय (गोवा का दावा करने के लिए), ऑपरेशन मेघदूत (विवादित कश्मीर क्षेत्र में सियाचिन ग्लेशियर को पकड़ने के लिए), ऑपरेशन कैक्टस (मालदीव में बचाव अभियान), ऑपरेशन पोमलाई (श्रीलंका में जाफना शहर के घेरे वाले शहर पर हवाई-ड्रॉप की आपूर्ति के लिए) और ऑपरेशन राहत (उत्तराखंड में फ्लैश बाढ़ से पीड़ित लोगों के बचाव और राहत) शामिल हैं। इसके अलावा भारतीय वायु सेना संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन में भी शामिल है। भारतीय वायु सेना में लगभग 1,70,000 कर्मियों की ताकत है और 1,400 से अधिक विमान हैं और इसे दुनिया के अग्रणी वायु सेना में से एक माना जाता है। भारतीय क्षेत्रों को सभी जोखिमों से बचाना और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान प्रभावित क्षेत्रों में सहायता प्रदान करना इसकी जिम्मेदारी है।[1]

आयोजन

8 अक्टूबर को परेड के साथ वायु सेना उत्सव की शुरुआत होती है। सभी वायु सेना स्टेशन अपने हवाई अड्डों पर अपने संबंधित परेड आयोजित करते हैं। पारंपरिक सैन्य परेड एक ही प्रोटोकॉल का अनुसरण करते हैं। बगुल की आवाज के साथ दाहिनी ओर से परेड की शुरुआत होती है। आकस्मिक रूप से दोनों उड़ानों में से प्रत्येक में चार स्क्वाड्रन शामिल होते हैं और इसकी कमान एक विंग कमांडर के हाथ में होती है। पूरे उत्सव में परेड के साथ एक बैंड होता है। एक बार जब परेड ग्राउंड पर परेड का जुलूस होता है, तो सभी उपस्थित लोगों के सम्मान में सभी वर्दीधारी वायु सैनिक परेड की सलामी देते हैं।

आदर्श वाक्य

भारतीय वायु सेना दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायु सेना है। गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश में स्थित हिंडन वायु सेना स्टेशन एशिया का सबसे बड़ा एयरबेस है। भारतीय वायु सेना के अस्तित्व में आने के बाद से अब तक यह अपने ध्येय वाक्य 'नभ: स्पृशं दीप्तम्' के मार्ग पर चल रहा है। इसका अर्थ है 'गर्व के साथ आकाश को छूना।' वायु सेना के इस ध्येय वाक्य को भगवत गीता के 11वें अध्याय से लिया गया है। यह महाभारत के महायुद्ध के दौरान कुरुक्षेत्र की युद्धभूमि में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश का एक अंश है। इसी आदर्श वाक्य के साथ भारतीय वायु सेना अपने कामों को अंजाम देती है।

वायु सेना ध्वज

वायु सेना ध्वज, वायु सेना निशान से अलग, नीले रंग का है जिसके शुरुआती एक चौथाई भाग में राष्ट्रीय ध्वज बना है और बीच के हिस्से में राष्ट्रीय ध्वज के तीनों रंगों अर्थात्‌ केसरिया, श्वेत और हरे रंग से बना एक वृत्त (गोलाकार आकृति) है। यह ध्वज 1951 में अपनाया गया था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 8 अक्टूबर – भारतीय वायु सेना दिवस (हिंदी) एंटरहिन्दी। अभिगमन तिथि: 10 अप्रैल, 2018।

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