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मदन लाल ढींगरा  (जन्म 1883 - मृत्यु- 17 अगस्त, 1909) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रान्तिकारी थे। स्वतंत्रत भारत के निर्माण के लिए भारत-माता के कितने शूरवीरों ने हंसते-हंसते अपने प्राणों का उत्सर्ग किया था, उन्हीं महान शूरवीरों में ‘अमर शहीद मदन लाल ढींगरा’ का नाम स्वर्णाक्षरों में लिखे जाने योग्य हैं। अमर शहीद मदनलाल ढींगरा महान देशभक्त, धर्मनिष्ठ क्रांतिकारी थे- वे भारत माँ की आजादी के लिए जीवन-पर्यन्त प्रकार के कष्ट सहन किए परन्तु अपने मार्ग से विचलित न हुए और स्वाधीनता प्राप्ति के लिए फांसी पर झूल गए।
 
मदन लाल ढींगरा  (जन्म 1883 - मृत्यु- 17 अगस्त, 1909) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रान्तिकारी थे। स्वतंत्रत भारत के निर्माण के लिए भारत-माता के कितने शूरवीरों ने हंसते-हंसते अपने प्राणों का उत्सर्ग किया था, उन्हीं महान शूरवीरों में ‘अमर शहीद मदन लाल ढींगरा’ का नाम स्वर्णाक्षरों में लिखे जाने योग्य हैं। अमर शहीद मदनलाल ढींगरा महान देशभक्त, धर्मनिष्ठ क्रांतिकारी थे- वे भारत माँ की आजादी के लिए जीवन-पर्यन्त प्रकार के कष्ट सहन किए परन्तु अपने मार्ग से विचलित न हुए और स्वाधीनता प्राप्ति के लिए फांसी पर झूल गए।
 
==आरंभिक जीवन==
 
==आरंभिक जीवन==
मदललाल ढींगरा का जन्म सन 1883 में [[पंजाब]] में एक संपन्न हिंदू परिवारमें हुआ था। उनके पिता सिविल सर्जन थे और अंग्रेज़ी रंग में पूरे रंगे हुए थे; परंतु माताजी अत्यन्त धार्मिक एवं भारतीय संस्कारों से परिपूर्ण महिला थीं। उनका परिवार अंग्रेजों का विश्वासपात्र था। जब मदन लाल को भारतीय स्वतंत्रता सम्बन्धी क्रान्ति के आरोप में लाहौर के एक विद्यालय से निकाल दिया गया, तो परिवार ने मदन लाल से नाता तोड लिया। मदन लाल को एक क्लर्क रूप में, एक तांगा-चालक के रूपमें और एक कारखाने में श्रमिक के रूप में काम करना पडा। वहाँ उन्होने एक यूनियन (संघ) बनाने का प्रयास किया; परंतु वहां से भी उन्हें निकाल दिया गया। कुछ दिन उन्होने मुम्बई में भी काम किया। अपनी बडे भाई से विचार विमर्शकर वे सन 1906 में उच्च शिक्षाके लिए इंग्लैड गये जहां युनिवर्सिटी कालेज लंदनमें यांत्रिक प्रौद्योगिकी (Mechanical Engineering) में प्रवेश लिया । इसके लिए उन्हें उनके बडे भाई एवं इंग्लैंडके कुछ राष्ट्रवादी कार्यकर्ताओंसे आर्थिक सहायता मिली ।
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मदललाल ढींगरा का जन्म सन 1883 में [[पंजाब]] में एक संपन्न हिंदू परिवारमें हुआ था। उनके पिता सिविल सर्जन थे और अंग्रेज़ी रंग में पूरे रंगे हुए थे; परंतु माताजी अत्यन्त धार्मिक एवं भारतीय संस्कारों से परिपूर्ण महिला थीं। उनका परिवार अंग्रेजों का विश्वासपात्र था। जब मदन लाल को भारतीय स्वतंत्रता सम्बन्धी क्रान्ति के आरोप में लाहौर के एक विद्यालय से निकाल दिया गया, तो परिवार ने मदन लाल से नाता तोड लिया। मदन लाल को एक क्लर्क रूप में, एक तांगा-चालक के रूप में और एक कारखाने में श्रमिक के रूप में काम करना पडा। वहाँ उन्होने एक यूनियन (संघ) बनाने का प्रयास किया; परंतु वहां से भी उन्हें निकाल दिया गया। कुछ दिन उन्होने मुम्बई में भी काम किया। अपनी बडे भाई से विचार विमर्शकर वे सन 1906 में उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैड गये जहां यूनिवर्सिटी कालेज लंदन में यांत्रिक प्रौद्योगिकी में प्रवेश लिया । इसके लिए उन्हें उनके बडे भाई एवं इंग्लैंड के कुछ राष्ट्रवादी कार्यकर्ताओं से आर्थिक सहायता मिली ।
  
  
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मदन लाल ढींगरा (जन्म 1883 - मृत्यु- 17 अगस्त, 1909) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रान्तिकारी थे। स्वतंत्रत भारत के निर्माण के लिए भारत-माता के कितने शूरवीरों ने हंसते-हंसते अपने प्राणों का उत्सर्ग किया था, उन्हीं महान शूरवीरों में ‘अमर शहीद मदन लाल ढींगरा’ का नाम स्वर्णाक्षरों में लिखे जाने योग्य हैं। अमर शहीद मदनलाल ढींगरा महान देशभक्त, धर्मनिष्ठ क्रांतिकारी थे- वे भारत माँ की आजादी के लिए जीवन-पर्यन्त प्रकार के कष्ट सहन किए परन्तु अपने मार्ग से विचलित न हुए और स्वाधीनता प्राप्ति के लिए फांसी पर झूल गए।

आरंभिक जीवन

मदललाल ढींगरा का जन्म सन 1883 में पंजाब में एक संपन्न हिंदू परिवारमें हुआ था। उनके पिता सिविल सर्जन थे और अंग्रेज़ी रंग में पूरे रंगे हुए थे; परंतु माताजी अत्यन्त धार्मिक एवं भारतीय संस्कारों से परिपूर्ण महिला थीं। उनका परिवार अंग्रेजों का विश्वासपात्र था। जब मदन लाल को भारतीय स्वतंत्रता सम्बन्धी क्रान्ति के आरोप में लाहौर के एक विद्यालय से निकाल दिया गया, तो परिवार ने मदन लाल से नाता तोड लिया। मदन लाल को एक क्लर्क रूप में, एक तांगा-चालक के रूप में और एक कारखाने में श्रमिक के रूप में काम करना पडा। वहाँ उन्होने एक यूनियन (संघ) बनाने का प्रयास किया; परंतु वहां से भी उन्हें निकाल दिया गया। कुछ दिन उन्होने मुम्बई में भी काम किया। अपनी बडे भाई से विचार विमर्शकर वे सन 1906 में उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैड गये जहां यूनिवर्सिटी कालेज लंदन में यांत्रिक प्रौद्योगिकी में प्रवेश लिया । इसके लिए उन्हें उनके बडे भाई एवं इंग्लैंड के कुछ राष्ट्रवादी कार्यकर्ताओं से आर्थिक सहायता मिली ।


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