रहिमन कठिन चितान तै -रहीम
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:15, 9 फ़रवरी 2016 का अवतरण ('<div class="bgrahimdv"> ‘रहिमन’ कठिन चितान तै, चिंता को चित चैत।<br />...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
‘रहिमन’ कठिन चितान तै, चिंता को चित चैत।
चिता दहति निर्जीव को, चिन्ता जीव-समेत॥
- अर्थ
चिन्ता यह चिता से भी भंयकर है। सो तू चेत जा। चिता तो मुर्दे को जलाती है, और यह चिन्ता जिन्दा को ही जलाती रहती है।
रहीम के दोहे |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख