राणा साँगा

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राणा साँगा, को संग्राम सिंह के नाम से भी जाना जाता है। संग्राम सिंह वायमल्ल का पुत्र और उत्तराधिकारी था। इतिहास में वह मेवाड़ का राजा साँगा के नाम से प्रसिद्ध था, जिसने 1508 ई. से 1529 ई. क शासन किया। संग्राम सिंह महान योद्धा था और तत्कालीन भारत के समस्त राज्यों में से ऐसा कोई भी उल्लेखनीय शासक न था, जो उससे लोहा ले सके। बाबर के भारत पर आक्रमण के समय राणा साँगा को आशा थी कि वह भी तैमूर की भाँति दिल्ली में लूट-पाट करने के उपरान्त स्वदेश लौट जायेगा। किन्तु जब उसने देखा कि 1526 ई. में इब्राहीम लोदी को पानीपत के युद्ध में परास्त कर बाबर दिल्ली में शासन करने लगा है, तो वह अपने 120 सहायक सामन्तों, 80 हज़ार अश्वारोहियों और 500 हाथियों की एक विशाल सेना लेकर बाबर से युद्ध के लिए चल पड़ा। 16 मार्च, 1527 ई. को खानवा नामक स्थान पर बाबर से उसका घमासान युद्ध हुआ। यद्यपि इस युद्ध में राजपूतों ने अत्यधिक वीरता दिखाई, तथापि वह बाबर द्वारा पराजित हुए। इस युद्ध में राणा साँगा जीवित तो बच गया, किन्तु पराजय के आघात से दो वर्ष के उपरान्त ही उसकी मृत्यु हो गई और भारत में हिन्दू राज्य स्थापित करने का उसका सपना भंग हो गया।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

(पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-458

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