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लक्ष्मण काशीनाथ किर्लोस्कर (जन्म- [[20 जून]], [[1869]] ई., बेलगाँव ज़िला, [[मैसूर]]; मृत्यु- [[26 सितम्बर]], [[1956]] ई.) प्रसिद्ध किर्लोस्कर उद्योग समूह के संस्थापक थे।  
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लक्ष्मण काशीनाथ किर्लोस्कर का जन्म 20 जून, 1869 ई. को मैसूर के निकट बेलगाँव ज़िले में हुआ था। बचपन मे पढ़ने में मन न लगने के कारण वे [[मुम्बई]] के जे.जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट में भर्ती हो गए। परन्तु शीघ्र ही उन्होंने अनुभव किया कि आँखों में खराबी के कारण वे [[रंग|रंगों]] को सही से पहचान नहीं पाते हैं। इसके बाद उन्होंने मैकेनिकल ड्राइंग सीखी और मुम्बई के विक्टोरिया जुबली टेक्निकल इंस्टीट्यूट में अध्यापक नियुक्त हो गए। वे अपने खाली समय में कारख़ाने में जाकर काम किया करते थे। इससे उनको मशीनों की जानकारी हो गई।
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किर्लोस्कर ने जीवन में पहली बार एक व्यक्ति को साइकिल चलाते हुए देखा, तो अपने भाई के साथ मिलकर ‘किर्लोस्कर ब्रदर्स’ नाम से साइकिल की दुकान खोल ली। वे अतिरिक्त समय में साइकिल बेचते, उनकी मरम्मत करते और लोगों को साइकिल चलाना भी सिखाते। नौकरी में जब उनके स्थान पर एक एंग्लों इण्डियन को पदोन्नति दे दी गई तो किर्लोस्कर ने अध्यापक का पद त्याग दिया और छोटा-सा कारख़ाना खोलकर चारा काटने की मशीन और लोहे के हल बनाने लगे। इसी बीच बेलगाँव नगर पालिका के प्रतिबन्धों के कारण उन्हें अपना कारख़ाना [[महाराष्ट्र]] लाना पड़ा। यहाँ 32 एकड़ भूमि में उन्होंने ‘किर्लोस्कर वाड़ी’ नाम की औद्यागिक बस्ती की नींव डाली। इस वीरान जगह की शीघ्र ही काया पलट गई और किर्लोस्कर की औद्योगिक इकाइयाँ [[बंगलौर]], [[पूना]], देवास ([[मध्य प्रदेश]]) आदि में भी स्थापित हो गईं। इनमें खेती और उद्योगों में काम आने वाले विविध उपकरण बनने लगे। किर्लोस्कर के प्रयत्नों के [[लोकमान्य तिलक]], [[जवाहर लाल नेहरू|नेहरूजी]], [[मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया|विश्वेश्वरय्या]], चक्रवर्ती राजगोपालाचारी आदि सभी प्रशंसक थे।  
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'''लक्ष्मण काशीनाथ किर्लोस्कर''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Laxman Kashinath Kirloskar'', जन्म- [[20 जून]], [[1869]] ई., [[बेलगाँव कर्नाटक|बेलगाँव ज़िला]], [[मैसूर]]; मृत्यु- [[26 सितम्बर]], [[1956]] ई.) [[भारत]] के प्रसिद्ध उद्योगपतियों में से एक थे। 'किर्लोस्कर उद्योग समूह' के वे संस्थापक थे। वे 'विक्टोरिया जुबली टेक्निकल इंस्टीट्यूट', [[मुम्बई]] में अध्यापक भी नियुक्त हुए थे। अपने शुरुआती समय में लक्ष्मण काशीनाथ किर्लोस्कर जी ने एक साइकिल की दुकान खोलकर जीवन संघर्ष प्रारम्भ किया था। बाद के समय में अपनी मेहनत और कठिन लगन से उन्होंने 'किर्लोस्कर' की कई औद्योगिक इकाइयों की स्थापना की।
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==जन्म तथा शिक्षा==
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लक्ष्मण काशीनाथ किर्लोस्कर का जन्म 20 जून, 1869 ई. को [[मैसूर]] के निकट बेलगाँव ज़िले में हुआ था। बचपन मे पढ़ने में मन न लगने के कारण वे [[मुम्बई]] के जे.जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट में भर्ती हो गए। परन्तु शीघ्र ही उन्होंने अनुभव किया कि [[आँख|आँखों]] में ख़राबी के कारण वे [[रंग|रंगों]] को सही से पहचान नहीं पाते हैं। इसके बाद उन्होंने मैकेनिकल ड्राइंग सीखी और [[मुम्बई]] के 'विक्टोरिया जुबली टेक्निकल इंस्टीट्यूट' में अध्यापक नियुक्त हो गए। वे अपने ख़ाली समय में कारख़ाने में जाकर काम किया करते थे। इससे उनको मशीनों की जानकारी हो गई थी।
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====व्यवसाय की शुरुआत====
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किर्लोस्कर ने जीवन में पहली बार एक व्यक्ति को साइकिल चलाते हुए देखा, तो अपने भाई के साथ मिलकर ‘किर्लोस्कर ब्रदर्स’ नाम से साइकिल की दुकान खोल ली। वे अतिरिक्त समय में साइकिल बेचते, उनकी मरम्मत करते और लोगों को साइकिल चलाना भी सिखाते।
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==औद्यागिक बस्ती की नींव==
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नौकरी में जब लक्ष्मण काशीनाथ किर्लोस्कर के स्थान पर एक एंग्लों इण्डियन को पदोन्नति दे दी गई तो किर्लोस्कर ने अध्यापक का पद त्याग दिया और छोटा-सा कारख़ाना खोलकर चारा काटने की मशीन और [[लोह|लोहे]] के हल बनाने लगे। इसी बीच [[बेलगाँव कर्नाटक|बेलगाँव]] नगर पालिका के प्रतिबन्धों के कारण उन्हें अपना कारख़ाना [[महाराष्ट्र]] लाना पड़ा। यहाँ 32 एकड़ भूमि में उन्होंने ‘किर्लोस्कर वाड़ी’ नाम की औद्यागिक बस्ती की नींव डाली। इस वीरान जगह की शीघ्र ही काया पलट गई और किर्लोस्कर की औद्योगिक इकाइयाँ [[बंगलौर]], [[पूना]], देवास ([[मध्य प्रदेश]]) आदि में भी स्थापित हो गईं। इनमें खेती और उद्योगों में काम आने वाले विविध उपकरण बनने लगे। किर्लोस्कर के प्रयत्नों के [[लोकमान्य तिलक]], [[जवाहर लाल नेहरू|नेहरूजी]], [[मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया|विश्वेश्वरय्या]], [[चक्रवर्ती राजगोपालाचारी]] आदि सभी प्रशंसक थे।  
 
==मृत्यु==
 
==मृत्यु==
लक्ष्मण काशीनाथ किर्लोस्कर का 26 सितम्बर, 1956 ई. में देहान्त हो गया।
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लक्ष्मण काशीनाथ किर्लोस्कर
लक्ष्मण काशीनाथ किर्लोस्कर
पूरा नाम लक्ष्मण काशीनाथ किर्लोस्कर
जन्म 20 जून, 1869
जन्म भूमि बेलगाँव ज़िला, मैसूर
मृत्यु 26 सितम्बर, 1956
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र उद्योग
विद्यालय 'जे.जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट', 'विक्टोरिया जुबली टेक्निकल इंस्टीट्यूट', मुम्बई
प्रसिद्धि उद्योगपति
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी किर्लोस्कर जी ने पहली बार जब एक व्यक्ति को साइकिल चलाते हुए देखा, तो अपने भाई के साथ मिलकर ‘किर्लोस्कर ब्रदर्स’ नाम से साइकिल की दुकान खोली थी।

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लक्ष्मण काशीनाथ किर्लोस्कर (अंग्रेज़ी: Laxman Kashinath Kirloskar, जन्म- 20 जून, 1869 ई., बेलगाँव ज़िला, मैसूर; मृत्यु- 26 सितम्बर, 1956 ई.) भारत के प्रसिद्ध उद्योगपतियों में से एक थे। 'किर्लोस्कर उद्योग समूह' के वे संस्थापक थे। वे 'विक्टोरिया जुबली टेक्निकल इंस्टीट्यूट', मुम्बई में अध्यापक भी नियुक्त हुए थे। अपने शुरुआती समय में लक्ष्मण काशीनाथ किर्लोस्कर जी ने एक साइकिल की दुकान खोलकर जीवन संघर्ष प्रारम्भ किया था। बाद के समय में अपनी मेहनत और कठिन लगन से उन्होंने 'किर्लोस्कर' की कई औद्योगिक इकाइयों की स्थापना की।

जन्म तथा शिक्षा

लक्ष्मण काशीनाथ किर्लोस्कर का जन्म 20 जून, 1869 ई. को मैसूर के निकट बेलगाँव ज़िले में हुआ था। बचपन मे पढ़ने में मन न लगने के कारण वे मुम्बई के जे.जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट में भर्ती हो गए। परन्तु शीघ्र ही उन्होंने अनुभव किया कि आँखों में ख़राबी के कारण वे रंगों को सही से पहचान नहीं पाते हैं। इसके बाद उन्होंने मैकेनिकल ड्राइंग सीखी और मुम्बई के 'विक्टोरिया जुबली टेक्निकल इंस्टीट्यूट' में अध्यापक नियुक्त हो गए। वे अपने ख़ाली समय में कारख़ाने में जाकर काम किया करते थे। इससे उनको मशीनों की जानकारी हो गई थी।

व्यवसाय की शुरुआत

किर्लोस्कर ने जीवन में पहली बार एक व्यक्ति को साइकिल चलाते हुए देखा, तो अपने भाई के साथ मिलकर ‘किर्लोस्कर ब्रदर्स’ नाम से साइकिल की दुकान खोल ली। वे अतिरिक्त समय में साइकिल बेचते, उनकी मरम्मत करते और लोगों को साइकिल चलाना भी सिखाते।

औद्यागिक बस्ती की नींव

नौकरी में जब लक्ष्मण काशीनाथ किर्लोस्कर के स्थान पर एक एंग्लों इण्डियन को पदोन्नति दे दी गई तो किर्लोस्कर ने अध्यापक का पद त्याग दिया और छोटा-सा कारख़ाना खोलकर चारा काटने की मशीन और लोहे के हल बनाने लगे। इसी बीच बेलगाँव नगर पालिका के प्रतिबन्धों के कारण उन्हें अपना कारख़ाना महाराष्ट्र लाना पड़ा। यहाँ 32 एकड़ भूमि में उन्होंने ‘किर्लोस्कर वाड़ी’ नाम की औद्यागिक बस्ती की नींव डाली। इस वीरान जगह की शीघ्र ही काया पलट गई और किर्लोस्कर की औद्योगिक इकाइयाँ बंगलौर, पूना, देवास (मध्य प्रदेश) आदि में भी स्थापित हो गईं। इनमें खेती और उद्योगों में काम आने वाले विविध उपकरण बनने लगे। किर्लोस्कर के प्रयत्नों के लोकमान्य तिलक, नेहरूजी, विश्वेश्वरय्या, चक्रवर्ती राजगोपालाचारी आदि सभी प्रशंसक थे।

मृत्यु

लक्ष्मण काशीनाथ किर्लोस्कर का 26 सितम्बर, 1956 ई. में देहान्त हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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