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*यहां एक बात याद रखना जरुरी है- पश्चिम में दिन की शुरुआत मध्य रात्रि से होती है और वैदिक दिन की शुरुआत सूर्योदय से होती है।  
 
*यहां एक बात याद रखना जरुरी है- पश्चिम में दिन की शुरुआत मध्य रात्रि से होती है और वैदिक दिन की शुरुआत सूर्योदय से होती है।  
 
*वैदिक ज्योतिष में जब हम दिन की बात करें तो मतलब सूर्योदय से ही होगा।
 
*वैदिक ज्योतिष में जब हम दिन की बात करें तो मतलब सूर्योदय से ही होगा।
*सप्ताह के प्रत्येक दिन के कार्यकलाप उसके स्वामी के प्रभाव से प्रभावित होते हैं और व्यक्ति के जीवन में उसी के अनुरुप फल की प्राप्ति होती है। जैसे- चन्द्रमा दिमाग और गुरू धार्मिक कार्यकलाप का कारक होता है *इस [[वार]] में इनसे सम्बन्धित कार्य करना व्यक्ति के पक्ष में जाता है.
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*सप्ताह के प्रत्येक दिन के कार्यकलाप उसके स्वामी के प्रभाव से प्रभावित होते हैं और व्यक्ति के जीवन में उसी के अनुरुप फल की प्राप्ति होती है। जैसे- चन्द्रमा दिमाग और गुरू धार्मिक कार्यकलाप का कारक होता है।
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11:31, 21 सितम्बर 2010 का अवतरण

  • सामान्यत: एक माह में चार सप्ताह होते हैं।
  • एक सप्ताह में सात दिन होते हैं।
  • सप्ताह के प्रत्येक दिन पर नौ ग्रहों के स्वामियों में से क्रमश: पहले सात का राज चलता है. जैसे-
  1. रविवार पर सूर्य का राज चलता है।
  2. सोमवार पर चन्द्रमा का राज चलता है।
  3. मंगलवार पर मंगल का राज चलता है।
  4. बुधवार पर बुध का राज चलता है।
  5. बृहस्पतिवार पर गुरु का राज चलता है।
  6. शुक्रवार पर शुक्र का राज चलता है।
  7. शनिवार पर शनि का राज चलता है।
  • अन्तिम दो राहु और केतु क्रमश: मंगलवार और शनिवार के साथ सम्बन्ध बनाते हैं।
  • यहां एक बात याद रखना जरुरी है- पश्चिम में दिन की शुरुआत मध्य रात्रि से होती है और वैदिक दिन की शुरुआत सूर्योदय से होती है।
  • वैदिक ज्योतिष में जब हम दिन की बात करें तो मतलब सूर्योदय से ही होगा।
  • सप्ताह के प्रत्येक दिन के कार्यकलाप उसके स्वामी के प्रभाव से प्रभावित होते हैं और व्यक्ति के जीवन में उसी के अनुरुप फल की प्राप्ति होती है। जैसे- चन्द्रमा दिमाग और गुरू धार्मिक कार्यकलाप का कारक होता है।
  • इस वार में इनसे सम्बन्धित कार्य करना व्यक्ति के पक्ष में जाता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ