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#[[सूर्य देवता]]- वैदिक और पौराणिक आख्यानों के अनुसार भगवान श्री सूर्य समस्त जीव-जगत के आत्मस्वरूप हैं।
 
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#[[सूर्य ग्रहण]]- [[सूर्य]] व [[पृथ्वी]] के बीच में [[चन्द्रमा]] आ जाता है तो चन्द्रमा के पीछे सूर्य का बिम्ब कुछ समय के लिए ढ़क जाता है, उसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
 
#[[सूर्यवंश]]- क्षत्रियों के दो प्रधान वंशों में से एक जिसका आरम्भ इक्ष्वाकु से माना जाता है, जिन्होंने त्रेता युग में अयोध्या में राज किया।  
 
#[[सूर्यवंश]]- क्षत्रियों के दो प्रधान वंशों में से एक जिसका आरम्भ इक्ष्वाकु से माना जाता है, जिन्होंने त्रेता युग में अयोध्या में राज किया।  
 
#[[सूर्य तीर्थ मथुरा]]- विरोचन के पुत्र महाराज बलि ने यहाँ सूर्यदेव की आराधना कर मनोवाच्छित फल की प्राप्ति की थी
 
#[[सूर्य तीर्थ मथुरा]]- विरोचन के पुत्र महाराज बलि ने यहाँ सूर्यदेव की आराधना कर मनोवाच्छित फल की प्राप्ति की थी
#[[सूर्य मंदिर कोणार्क]]- सूर्य मंदिर [[भारत]] के [[ओड़िशा|उड़ीसा]] राज्य के पुरी ज़िले के पुरी नामक शहर में स्थित है।
 
#[[सूर्य मंदिर पोरबंदर]]- सूर्य मंदिर [[गुजरात]] राज्य के [[पोरबंदर]] शहर में स्थित है।
 
 
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  1. सूर्य- सूर्य सौरमण्डल का प्रधान तारा है।
  2. सूर्य देवता- वैदिक और पौराणिक आख्यानों के अनुसार भगवान श्री सूर्य समस्त जीव-जगत के आत्मस्वरूप हैं।
  3. सूर्य ग्रहण- सूर्यपृथ्वी के बीच में चन्द्रमा आ जाता है तो चन्द्रमा के पीछे सूर्य का बिम्ब कुछ समय के लिए ढ़क जाता है, उसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
  4. सूर्यवंश- क्षत्रियों के दो प्रधान वंशों में से एक जिसका आरम्भ इक्ष्वाकु से माना जाता है, जिन्होंने त्रेता युग में अयोध्या में राज किया।
  5. सूर्य तीर्थ मथुरा- विरोचन के पुत्र महाराज बलि ने यहाँ सूर्यदेव की आराधना कर मनोवाच्छित फल की प्राप्ति की थी