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हिल्टन यंग आयोग

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हिल्टन यंग आयोग (अंग्रेज़ी: Hilton Young Commission) सन 1920 में ब्रिटिश सरकार द्वारा स्थापित भारतीय मुद्रा और वित्त पर गठित शाही आयोग था। भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना 1935 में हिल्टन यंग आयोग की सिफारिश, 1934 द्वारा हुई थी।

  • सन 1926 में हिल्टन यंग आयोग ने सरकार से एक केंद्रीय बैंक बनाने की सिफारिश की थी।
  • सन 1934 में विधान सभा में एक विधेयक पेश किया गया। इस विधेयक को पारित किया गया और गवर्नर जनरल की सहमति प्राप्त हुई।
  • भारतीय रिज़र्व बैंक ने 1 अप्रैल, 1935 से अपना परिचालन शुरू किया।
  • भारत के अर्थतज्ञ बाबा साहेब आम्बेडकर ने भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना में अहम भूमिका निभाई थी। उनके द्वारा प्रदान किये गए दिशा-निर्देशों या निर्देशक सिद्धान्त के आधार पर भारतीय रिज़र्व बैंक बनाई गई थी। बैंक की कार्यपद्धती या काम करने की शैली और उसका दृष्टिकोण बाबा साहेब ने हिल्टन यंग कमीशन के सामने रखा था, जब 1926 में ये कमीशन भारत में 'रॉयल कमीशन ऑन इण्डियन करेंसी एण्ड फाइनेंस' के नाम से आया था। तब इसके सभी सदस्यों ने बाबा साहेब के लिखे हुए ग्रन्थ 'दी प्राब्लम ऑफ़ दी रुपी - इट्स ओरीजन एण्ड इट्स सोल्यूशन' (रुपया की समस्या - इसके मूल और इसके समाधान) की जोरदार वकालात की, उसकी पृष्टि की।
  • ब्रिटिशों की वैधानिक सभा (लेसिजलेटिव असेम्बली) ने इसे कानून का स्वरूप देते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 का नाम दिया। प्रारम्भ में इसका केन्द्रीय कार्यालय कोलकाता में था जो सन 1937 में मुम्बई आ गया। पहले यह एक निजी बैंक था, किन्तु सन 1949 से यह भारत सरकार का उपक्रम बन गया।


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